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Repo Rate Hike रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद इन बैंकों ने महंगा किया लोन, अब इतना चुकाना होगा ब्याज

EMI Hike रेपो रेट में बढ़ोतरी होने के बाद इन बैंकों ने अपने लोन को महंगा (loan) कर दिया है। जिसका असर आम आदमी पर हर महीने चुकाने वाली ईएमआई (EMI) पर पड़ेगा। आइए जानते है हर महीने कितना चुकाना पड़ेगा आपको ब्याज
 
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Repo Rate Hike रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद इन बैंकों ने महंगा किया लोन, अब इतना चुकाना होगा ब्याज

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से बेंचमार्क ब्याज दर में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी के बाद आईसीआईसीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी कर्ज देने की दर बढ़ा दी है. आरबीआई ने शुक्रवार को ब्याज दर 0.5 फीसदी बढ़ा दी जिससे रेपो दर तीन वर्ष के उच्चतम स्तर 5.40 फीसदी पर पहुंच गई. मई के बाद से रिजर्व बैंक ने 3 बार दरों में बढ़ोतरी की है और रेपो दरों को 1.4 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. केंद्रीय बैंक ने आगे भी दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए है


कितना महंगा हुआ कर्ज
आईसीआईसीआई बैंक ने एक सूचना में कहा कि आईसीआईसीआई बैंक बाह्य मानक कर्ज दर यानि एक्सर्टनल बेंचमार्क बेस्ड लेंडिंग रेट्स (आई-ईबीएलआर) को आरबीआई की नीतिगत दर के आधार पर तय किया जाता है. और रेपो में बढ़त के साथ इसमें भी बढ़त प्रभाव में आ गई है. बैंक ने कहा, आई-ईबीएलआर 9.10 फीसदी वार्षिक और प्रतिमाह देय है.

 

यह पांच अगस्त, 2022 से प्रभावी होगी. सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक ने भी दर में वृद्धि की जानकारी देते हुए कहा, आरबीआई द्वारा रेपो दर बढ़ाने के बाद रेपो से संबंधित कर्ज दर (आरएलएलआर) को भी 7.40 फीसदी से बढ़ाकर 7.90 फीसदी किया गया है जो आठ अगस्त, 2022 से प्रभावी होगी. बैंक अपनी कर्ज दरों को रेपो दरों से संबंधित रखते हैं जिससे रेपो में आए किसी भी बदलाव से दरें उसी हिसाब से बढ़ या घट जाती है.


रेपो दरों में आधा प्रतिशत की बढ़त
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को खुदरा महंगाई को काबू में लाने के लिये नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है. चालू वित्त वर्ष की चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार तीसरी बार नीतिगत दर बढ़ाई गई है. कुल मिलाकर 2022-23 में अब तक रेपो दर में 1.4 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है. इसके साथ ही प्रमुख नीतिगत दर महामारी-पूर्व के स्तर से ऊपर पहुंच गयी है. फरवरी, 2020 में रेपो दर 5.15 प्रतिशत थी. साथ ही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी निर्णय किया है यानि दरों में आगे और बढ़ोतरी हो सकती है.