Cotton Farming: कपास की खेती से किसानों को होगी मोटी कमाई, जानिए पूरी जानकारी

Cotton Cultivation: कपास की खेती करते समय ध्यान रखना बेहद जरूरी हैं कि खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. मटियार भूमि में की इसकी खेती की जाती है. इसके अलावा सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिट्टी में भी कपास की खेती की जा सकती है.
 

HR Breaking News, नई दिल्ली, Cotton Farming: कपास की बुवाई का वक्त आ गया है. कई राज्यों में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इसका उपयोग कपड़ा बनाने में किया जाता है. साथ ही कपास के बीजों से तेल भी बनाया जाता है. यही वजह है कि बाजार में कपास की कीमतें अच्छी बनी रहती हैं. ऐसे में इसकी खेती कर किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.

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बता दें कि कपास की खेती करते समय ध्यान रखना बेहद जरूरी हैं कि खेतों में जलनिकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. मटियार भूमि में की इसकी खेती की जाती है इसके अलावा सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिटटी में भी कपास की खेती की जा सकती है.

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उत्तरी भारत में कपास की खेती सिंचाई आधारित होती है. कपास का खेत तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि खेत ठीक तरह से समतल हो और मिट्टी की जल धारण एवं जलनिकास क्षमता दोनों अच्छे हों. इसके अलावा समय-समय पर खेतों से खरपतवार हटाते रहे हैं, जिससे कपास के पौधे का विकास सही तरीके से हो सके.

 

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दक्षिण व मध्य भारत में कपास वर्षा-आधारित काली भूमि में उगाई जाती है. बता दें कि पहले कपास की खेती महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में की जाती थी.लेकिन अब धीरे-धीरे इसकी खेती उत्तर भारत के राज्यों में भी दिखने लगी है. सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिलने से भी कई किसानों  ने इसकी खेती की तरफ अपना रुख किया है. अब वह मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

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बता दें कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग जैविक कपास की उपज और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से 15 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत कपास विकास कार्यक्रम पर काम कर रहा है. वहीं, आईसीएआर – केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर) भी देश में जैविक कपास के उत्पादन वृद्धि के लिए तकनीक के विकास और अनुसंधान पर काम करके किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.