Haryana News हरियाणा में किसानों के माथे पर सलवट, सता रही सरसों फसल की चिंता

Haryana News खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं। इधर किसानों को चिंता सता रही है। मौसम की करवट से सरसों की खेती करने वाले किसानों के माथे पर सलवट। कुरुक्षेत्र में 25 हजार एकड़ में इस बार सरसों की खेती बरसात से सरसों को हो रहा नुकसान।
 

मौसम की करवट के बाद सरसों की खेती करने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। मौसम विज्ञानियों ने बरसात की संभावना जताई है। 17 व 18 मार्च को भी मौसम में बदलाव हो सकता है। 25 मार्च के बाद जिले में सरसों की कटाई शुरू होगी, ऐसे में फसल को काफी नुकसान हो सकता है।

 

सरसों की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि पहले हुई बरसात से 25 से 30 प्रतिशत तो वैसे ही नुकसान हो चुका है, अब और बरसात होगी तो फसल काफी प्रभावित हो जाएगी। सरसों के पौधे पर एक कली निकलती हैं, लेकिन इस बार बरसात ज्यादा होने के कारण दोबारा से कली निकल आई है। बीमारी भी फसल में आने लगी है। इससे आने वाले दिनों फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा।

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गांव रोहेड़ियां निवासी किसान विनोद कुमार जागलान ने बताया कि पिछले साल दो एकड़ में थी, इस बार साढ़े तीन एकड़ में सरसों की फसल लगाई है। किसान रामकुमार ने बताया कि दो एकड़ में सरसों की खेती की है। इस बार बरसात ज्यादा होने के कारण फसल के उत्पादन पर असर पड़ेगा। मार्च माह के अंतिम सप्ताह में सरसों की कटाई शुरू हो जाती है, क्योंकि इसके बाद दस अप्रैल से गेहूं का सीजन भी शुरू हो रहा है।

 

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पिछले साल 4650 रुपये प्रति क्विंटल थे भाव, इस बार 5050

पिछले साल जिले में दस हजार एकड़ में सरसों की खेती थी, इस बार किसानों ने 25 हजार एकड़ में सरसों की खेती की है। पिछले साल एमएसपी से भी ज्यादा मिले भाव को देखते हुए सरसों की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। किसानों ने बताया कि पिछले साल 4650 रुपये भाव थे, लेकिन किसानों को छह हजार रुपये प्रति क्विंटल से भी ज्यादा भाव मिले। इस बार भी अच्छे भाव किसानों को मिलने की उम्मीद है।

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सरसों का क्षेत्र बढ़ने पर तीसरा खरीद केंद्र बनाया

जिले में सरसों की खरीद को लेकर पिछले साल दो सेंटर थे। एक कलायत व दूसरा राजौंद अनाज मंडी को बनाया गया। इस बार ज्यादा क्षेत्र में सरसों होने के कारण किसानों की सुविधा को देखते हुए गांव टीक की अनाज मंडी को खरीद केंद्र बनाया गया है, हालांकि किसानों की मांग की है कि गांव की अनाज मंडी को खरीद केंद्र बनाने की बजाए जिला मुख्यालय पर अतिरिक्त अनाज मंडी को खरीद केंद्र बनाया जाए। इससे जिले के सभी किसानों को फसल बेचने में आसानी होगी।