wheat stock खेत से निकलने के बाद कहां गया गेहूं, चेक करेंगे अधिकारी

इस बार गेहूं के बढ़ते दामों की वजह से किसानों का गेहूं बिना मंडी के ही बिक गया। जिसे लेकर अब सरकार को चिंता सत्ताने लगी है। सरकार ने अब कुछ अधिकारियों की ड्यूटी तय की है जो मैदान में जाकर इस बात का पता लगाएंगे की आखिरकार खेत से निकलने के बाद गेहूं कहां गया।
 

HR Breaking News, चंडीगढ़ ब्यूरो,  खेत से निकलने के बाद कहां गया गेहूं, अब यह जानने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारी मैदान में उतर गए हैं। अब यह सीधा किसानों से संपर्क करेंगे। ताकि गेहूं की पैदावार व बेचने की स्थिति के बारे में जान सकें। इसके लिए जिन किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ था। उन किसानों को रिकार्ड तैयार किया गया हैं।

 

अब एक-एक करके किसानों से अधिकारी व कर्मचारी फोन पर संपर्क करेंगे। इस दौरान किसानों से पूछा जाएगा कि उन्होंने जिस जमीन पर गेहूं बिजाई का रजिस्ट्रेशन करवाया था। उस खेत में कितनी पैदावार हुई और उस पैदावार को कहां पर बेचा। ताकि यह पता लग सके कि इस बार गेहूं की आवक कम क्यों हुई है। इसके लिए कृषि विभाग व मार्केट कमेटी की टीम किसानों से संपर्क करने में जुटी हैं।

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जिसके लिए पांच कर्मचारियों की (मार्केट कमेटी के तीन व कृषि विभाग के दो कर्मचारियों) की टीम बनाई गई है। जो किसानों से संपर्क कर रही है। हालांकि, यह भी सामने आ रहा है कि किसान डिटेल साझा करने में हिचकिचा रहे हैं। इस बार घटा बिजाई का रकबा

 


 बता दें कि इस बार गेहूं के बिजाई में 5 हजार 34 हेक्टेयर की कमी देखने को मिली थी। वर्ष 2020-21 के दौरान जिले के कुल 1 लाख 1 हजार 651 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई थी। जबकि इस वर्ष 2021-22 में गेहूं बिजाई एरिया एक लाख का आंकड़ा भी नहीं छू पाया। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 96 हजार 617 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई है। जिससे साफ है कि गेहूं का बिजाई एरिया घटा है। हालांकि सरसों का बिजाई एरिया बढ़ा था।

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फसल खराब होने से पैदावार हुई प्रभावित

देखा जाए तो इस बार बरसात का सिलसिला फरवरी माह तक जारी रहा। जिस कारण काफी किसानों के गेहूं में पानी जमा हो गया। ऐसी सूरत में गेहूं की फसल खराब हो गई। करीब पांच हजार से अधिक एकड़ में बरसात के कारण फसल खराब होने की किसानों ने शिकायत भी दी थी, जिसका पैदावार पर असर पड़ा। साथ ही मार्च माह से ही गर्मी ने अपना असर दिखाया। तेज गर्मी होने के कारण गेहूं जल्दी पका, जिस कारण औसत पैदावार प्रभावित हुई।

इस बार एक तिहाई गेहूं की ही आवक

इस बार गेहूं की मंडियों में आवक काफी धीमी रही है। यहां तक कि जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले आधा गेहूं भी मंडियों में नहीं पहुंचा। जिसका असर यह रहा कि पिछले वर्ष इन दिनों में मंडी गेहूं से लबालब भरी हुई थी। वहीं इस वर्ष एकाध ढेरी ही दिखाई दे रही है। करीब एक तिहाई गेहूं की आवक इस वर्ष हुई है। कोरोना महामारी के बावजूद पिछले वर्ष मंडियां गेहूं से अटी हुई थी और किसानों की लाइन लगी हुई थी। इधर, प्राइवेट मंडियों में गेहूं की कीमत अधिक होने के कारण सरकारी खरीद का आंकड़ा कम हुआ है। जहां सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। वहीं प्राइवेट मंडियों में गेहूं करीब 200-300 रुपये प्रति क्विंटल अधिक भाव से बिका है। जिसके कारण किसान प्राइवेट मंडियों में बेचना पसंद कर रहे हैं। ----------

इस बार गेहूं की पैदावार कम है। अब मार्केट कमेटी के कर्मचारी कृषि विभाग के साथ मिलकर किसानों से फोन पर संपर्क कर रहे हैं। ताकि यह पता लग सके कि गेहूं की कम आवक का कारण क्या रहा। - सविता सैनी, सचिव, मार्केट कमेटी, झज्जर। ------------

टीम किसानों से संपर्क कर रही है तो कई किसानों के फोन भी नहीं मिल रहे। साथ ही कई किसान जानकारी देने में हिचकिचा रहे हैं। इसके कारण टीम को दिक्कत भी हो रही है।

- विजय सिंह, सह सचिव, मार्केट कमेटी, झज्जर।