Mandi Bhav:यूक्रेन युद्ध के कारण तेलों की आवक बंद, युद्ध लंबा होने पर इन तेल की कीमतों पर होगा असर

Mandi Rate List विदेशी बाजारों में तेजी के बीच आयातित तेलों का भाव ऊंचा होने से बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का लगभग 60 प्रतिशत आयात करता है। यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच पिछले लगभग डेढ़ महीने से मंडियों में सूरजमुखी तेल की आवक नहीं हो रही है। जो सूरजमुखी तेल थोड़ी बहुत मात्रा में आ भी रहा है, उसे अर्जेंटीना से आयात किया जा रहा है।    
 

HR Breaking News, नई दिल्ली, Oil Price Hike, उल्लेखनीय है कि सूरजमुखी तेल (sunflower oil) की वैश्विक आवश्यकता के लगभग 80 प्रतिशत भाग की आपूर्ति यूक्रेन और रूस करते हैं। इन दोनों देशों के बीच छिड़े युद्ध के लंबा खिंचने से सूरजमुखी की अगली बिजाई प्रभावित होने की आशंका है। आयातित तेल के मुकाबले देशी तेल सस्ता होने की वजह से मांग बढ़ने के कारण भी तेल-तिलहनों के भाव में सुधार आया।

 

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जानिए किस कारण सरसों और मूंगफली तेल तिलहन की कीमतों में हुआ सुधार  ( Know what is the reason for the improvement in the prices of mustard and groundnut oil oilseeds)

 


सूत्रों ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सूरजमुखी तेल की आवक काफी कम है और इस तेल की आपूर्ति अर्जेंटीना से हो रही है। अर्जेंटीना में सूरजमुखी तेल का दाम बढ़कर 2,300 डॉलर प्रति टन हो गया है जिसका रिफाइंड तेल देश में लगभग 200 रुपये किलो पड़ता है। इस भाव के मुकाबले मूंगफली का तेल लगभग 40 रुपये किलो सस्ता है। इसलिए सूरजमुखी के विकल्प के रूप में मूंगफली के साथ-साथ सरसों की भी खपत बढ़ी है। यह सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का मुख्य कारण है।

 

सूत्रों ने कहा कि 1980 के दशक में हरियाणा, पंजाब में सूरजमुखी और उत्तर प्रदेश के बरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी तथा लखनऊ में मूंगफली की अच्छी पैदावार होती थी। दक्षिण भारत में भी हर दूसरे महीने किसी न किसी दक्षिणी राज्य से सूरजमुखी की मंडियों में भारी आवक होती थी जो अब बंद हो गयी है। वर्ष 1987 के सूखे के कारण गुजरात में जब मूंगफली की फसल प्रभावित हुई तो आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में होने वाले मूंगफली की पैदावार ने मूंगफली की कमी को दूर करने में भारी मदद की थी। दक्षिण भारत का मौसम सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए इन पारंपरिक तिलहन उत्पादक स्थानों पर फिर से सूरजमुखी और मूंगफली खेती को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

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सूत्रों ने कहा कि पिछले लगभग 30 साल में शुल्क की घटबढ़ करने के उपाय अभी तक अपेक्षित परिणाम देने में विफल रहे हैं। तेजी और गिरावट के चक्र से बचने का सस्ता और दीर्घकालिक उपाय - किसानों को लाभकारी मूल्य देकर तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि मांग बढ़ने से अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 225 रुपये के सुधार के साथ 7,725-7,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। सरसों दादरी तेल 1,075 रुपये सुधरकर 16,300 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुईं। सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी के बीच सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 275-275 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,775-7,825 रुपये और 7,475-7,575 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार रहा।

 

सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 750 रुपये, 810 रुपये और 520 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 17,150 रुपये, 16,810 रुपये और 15,720 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाने का भाव 425 रुपये के सुधार के साथ 6,850-6,945 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली सॉल्वेंट के भाव क्रमश: 1,220 रुपये और 175 रुपये सुधरकर क्रमश: 16,020 रुपये प्रति क्विंटल और 2,645-2,835 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

 

समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 1,050 रुपये बढ़कर 15,150 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव भी 600 रुपये का सुधार दर्शाता 16,700 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 650 रुपये के सुधार के साथ 15,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। बिनौला तेल का भाव भी 550 रुपये का सुधार दर्शाता 15,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।