आलू ने किसानों को रुलाया: उत्पादन तो बढ़ा, मगर बाज़ार में भाव गिरे

“इस वर्ष धान गेहूं के बाद आलू के भाव ने भी हम किसानों को धोखा दिया है। महंगा बीज लेकर आलू की बुवाई की थी। उम्मीद थी कि अबकी बार आलू का अच्छा रेट मिलेगा और पूरे साल की खेती के घाटे को पूरा कर देगा। लेकिन अब तो आलू की खेती में भी लागत
 

“इस वर्ष धान गेहूं के बाद आलू के भाव ने भी हम किसानों को धोखा दिया है। महंगा बीज लेकर आलू की बुवाई की थी। उम्मीद थी कि अबकी बार आलू का अच्छा रेट मिलेगा और पूरे साल की खेती के घाटे को पूरा कर देगा। लेकिन अब तो आलू की खेती में भी लागत निकालना मुश्किल हो रहा है,” बाराबंकी जिले के सूरतगंज ब्लाक के छांगुर पुरवा गांव के रहने वाले किसान हरिराम वर्मा ने कहा। हरिराम बड़े पैमाने पर आलू की खेती करते हैं। इस वर्ष आलू का बीज 3,000 रुपए प्रति कुंतल में लेकर बुवाई की थी करीब एक बीघे में ढाई कुंतल बीज पड़ता है। बीज की ही लागत करीब 7,500 रुपए आई थी, ऊपर से 4,000 रुपए की खाद, एक हजार रुपए दवा का खर्च, बुवाई, खुदाई और सिंचाई में करीब 4,000 रुपए अलग से। इस तरह एक बीघे में लगभग 16,500 रुपए की लागत की लागत आई है, उत्पादन हुआ लगभग 25 क्विंटल आलू का। इस समय आलू का रेट 480 रुपए क्विंटल का मिल रहा है। इस तरह हर बीघा पर चार से पांच हज़ार रुपए प्रति बीघा नुकसान हो रहा है

बाराबंकी जिला उद्यान अधिकारी महेंद्र कुमार बताते कि सिर्फ बाराबंकी मे करीब 15 से 20% क्षेत्रफल आलू की खेती का रकबा बढा है पिछले साल लगभग 16,000 हेक्टेयर में आलू की खेती की जा रही थी जबकि इस वर्ष 17,500 हेक्टेयर आलू की खेती हो रही है जिले में लगभग 4.50 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन होने का अनुमान है बाराबंकी के फतेहपुर ब्लॉक के गांव गंदीपुर में आलू की खेती करने वाले राजेश यादव बताते हैं, “पिछले वर्ष फरवरी में आलू का रेट लगभग 14 सौ रुपया कुंतल था जबकि इस बार आलू का रेट 500 रुपए कुंतल के आसपास है। जब से मौसम खुला है आलू की खुदाई की शुरुआत ही हुई है जैसे-जैसे आलू की खुदाई तेज़ होगी रेट और गिरने के आसार हैं।” रामनगर ब्लॉक के गांव लालापुर निवासी घनश्याम वर्मा बताते हैं कि पहले धान के लिए सरकारी क्रय केंद्रों पर लंबी-लंबी लाइनें लगाई और अब आलू को स्टोर में रखने के लिए टोकन लेने के लिए स्टोर में लाइने लगनी शुरू हो गई हैं।

आलू के बोरे का थोक व्यापार करने वाले मोहम्मद शकील बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से सूत मिले बंद रहीं और आवश्यकता के अनुसार आलू के बोरे नहीं बने। जिससे बोरों का भाव भी 30% तक बढ़ गया। आलू की ख़ाली बोरी जो 24 रुपए की थी, अब 32 रुपए की बिक रही है। जिला फर्रुखाबाद के ब्लॉक कमालगंज क्षेत्र के आलू किसान मोहित सिंह बताते हैं, “पिछले साल आलू का बहुत अच्छा रेट था इसलिए हमने इस बार 5 हेक्टेयर में आलू की बुवाई की थी। हमारे पास आलू की अच्छी वैरायटी थी जिसका रेट भी 600 से लेकर 700 रुपए कुंतल ही मिल रहा है।” उन्नाव जिले की सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम दुर्जन खेड़ा के आलू किसान कमलेश कुमार ने कहा, “इस बार महंगा बीज मिलने के कारण आलू में लागत बहुत बढ़ गई थी। जब हमारी फसल तैयार हुई है तो बाजार में आलू का भाव 600 रुपए कुंतल के आसपास है। ऐसे में लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। महगाई के दौर में बीज, खाद, दवा की महंगाई ने आलू की लागत जबर्दस्त बढ़ा दी है। कोल्डस्टोरेज में रखने पर आगे क्या हालत होंगे कह पाना मुश्किल है।” उन्नाव के जिला उद्यान अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया, “इस बार जनपद में 10267 हेक्टेयर में आलू लगाई गई थी, कोई अधिकृत आंकड़ा नही है लेकिन अनुमान है कि उत्पादन इस बार अच्छा रहेगा। बाजार में आलू का रेट कम होने से ज्यादातर आलू कोल्ड स्टोरेज में रखा जा रहा है।”