Crashed Vehicle in Haryana  हरियाणा के पुलिस थानों में कबाड़ में तब्दील हो रहे जब्त और दुर्घटनाग्रस्त हुए वाहन

Crashed Vehicle in Haryana  जिले में किसी भी थाना में जाए तो वहां पर एक कोना ऐसा भी मिलेगा जहां पर वाहन (Vehicle कबाड़ बन रहे होंगे। स्थिति यह है कि जितनी तेजी से सडक़ों पर वाहनों की संख्या बढ़ी है, तो दुर्घटनाएं भी उतनी ही बढ़ गई है। कई बार ऐसे हादसे होते हैं जिनको देखकर भी व्यक्ति की रूह कांप जाती है। अब मरने वाले जिस वाहन में सवार में थे ऐसे वाहन (Vehicleउस परिवार के लिए ही अशुभ बन जाते हैं। इसके चलते जिला के तमाम पुलिस (Police) थानों में ये वाहन (Vehicle) कबाड़ बन रहे हैं। हालांकि इन्हें सुपुर्ददारी पर भी दिया जाता है, लेकिन अधिकतर वाहन मालिक उन्हें लेकर ही नहीं जाते हैं। इसके अलावा एक्साइज एक्ट व अन्य मामलों में जब्त किए जाने वाले वाहनों की संख्या कम नहीं है।
 


पुलिस (Police) की सूचना के बाद भी नहीं ले जाते:-
जिले में यूं तो थानों की संख्या 12 है लेकिन महिला थाना ही एकमात्र ऐसा है जहां पर इस तरह के वाहन (Vehicle) नहीं है। जबकि ट्रैफिक (Traffic) थाना सहित अन्य दस थानों में ऐसे वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं।

 

चूंकि पुलिस की तरफ से एक निश्चित समय और पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद इन वाहनों को नीलाम किया जाता है, लेकिन उस नीलामी के लिए भी 3 से 4 साल तक का समय लग जाता है। जिला के तमाम थानों में दुर्घटनाग्रस्त हुए वाहनों की संख्या सर्वाधिक है।

ये भी पढ़ें...........

Haryana Weather Update 17 फरवरी को हरियाणा में मौसम दोबारा लेगा करवट, जाने क्या होगा बदलाव


हाईवे से लगते थानों में है ऐसे वाहनों की संख्या अधिक:- 
जिले के नेशनल हाईवे-19  पर स्थित थानों में ऐसे वाहनों की संख्या सबसे ज्यादा है। हालांकि अन्य थानों में भी ऐसे वाहनों की संख्या कम है। यहां पर आबकारी अधिनियम व लावारिस हालत में मिले हुए वाहन अधिक है।

कबाड़ बन रहे ये वाहन पुलिस के लिए भी बड़ी मुसीबत है, क्योंकि इनमें से अधिकांश का सामान गायब तक हो जाता है। 



बीमा कंपनी से पैसे लेने के बाद नहीं लेते वाहन:-
लावारिस मिलने वाले वाहनों के बारे में पुलिस उनकी तहकीकात करके असल मालिक तक पहुंचने का प्रयास करती है तो इनमें अधिकांश वाहन ऐसे होते हैं जो कि चोरी हो चुके हैं। चूंकि तीन माह तक चोरी वाहन के ट्रेस नहीं होने की स्थिति में पुलिस को अनट्रेस रिपोर्ट देनी होती है,

जिसके बाद बीमा कंपनी मालिक को उसकी कीमत अदा कर देता है। ऐसे में लावारिस वाहनों को उनके असल मालिक देखने तो आ जाते हैं पर स्थिति देखकर लेकर ही नहीं जाते हैं।



दुर्घटनाग्रस्त वाहन ही सर्वाधिक:-
थानों में जब्त किए गए अधिकांश वाहनों में दुर्घटना करने वाले होते हैं। सामान्य दुर्घटनाओं में तो वाहन मालिक उन वाहनों की जमानत करा लेते हैं लेकिन जब किसी वाहन से बड़ी दुर्घटना हो जाती है तो उनमें जमानत प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है। कई वाहनों के पूर्ण दस्तावेज नहीं होने पर भी मालिक उन्हें छुड़ा नहीं पाते हैं।

वहीं जिन वाहनों से बड़ी दुर्घटनाएं हुई या जिनमें परिवार के कई लोगों की मौत हो जाती है ऐसे वाहनों को भी पीडि़तों के परिवार लेकर ही नहीं जाते हैं। उन वाहनों को भी पुलिस को दुर्घटनास्थल से उठाकर थाना में लाना पड़ता है। ऐसे वाहनों में कार, ऑटो व बाइक अधिक होती है।


----
जिले के थानों में हजारों वाहन हो रहे कबाड़:-
जिले के कैंप, सदर, मुंडकटी, गदपुरी, हथीन, होडल, हसनपुर व ट्रैफिक थाना सहित पुलिस लाईन में हजारों की संख्या में वाहन कबाड़ बन रहे है। वर्ष 2018 में कुछ वाहनों को नीलाम किया जा चुका है,

इसके  बाद भी लगभग पूरे जिले में एक हजार से अधिक वाहन थानों व पुलिस लाईन में कबाड़ बन रहे हैं। इनमें अधिकांश बाइक, कार, ऑटो, बस, कैंटर व डंपर है।


----
वाहनों को नीलाम करने की प्रक्रिया कर चुके है प्रारंभ: एसपी
दुर्घटनाग्रस्त सहित विभिन्न मामलों में जब्त किए जाने वालों को नीलाम करने के लिए एक लंबी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसकी वजह से कुछ समय लग जाता है। जिला पलवल में वर्ष 2018 में इन वाहनों को नीलाम किया है और अभी भी प्रक्रिया चल रही है, जल्द ही इनकी नीलामी होने वाली है। दुर्घटनाग्रस्त हुए वाहनों को कई परिवार लेने तक भी नहीं आते हैं।
-राजेश दुग्गल, एसपी पलवल।