Fake Egg: हर रोज 80 लाख नकली अंडे खा रहे लोग, ऐसे होती है नकली असली की पहचान
HR Breaking News (ब्यूरो) : अंडों की अचानक बढ़ी डिमांड के चलते नकली अंडों का व्यापार करने वाले सक्रिय हो गये हैं. खासकर बड़े शहरों में ये नकली अंडे बेचे जा रहे हैं. चिकित्सकों का मानना है कि ये नकली अंडे मानव शरीर में कई तरह की बीमारी पैदा कर सकते हैं. क्योंकि इन अंडों को बनाने में जो कैमिकल यूज होता है ,वह एक तरह से धीमा जहर है. जो धीरे-धीरे मानव शरीर में कई बीमारियों को जन्म देगा. एक अनुमान के मुताबिक हर रोज लोग करीब 80 लाख नकली अंडे कहते है.
ये बीमारियां होने का खतरा
विशेषज्ञ डॅा, विशाल बताते हैं नकली अंडे बनाने में जिलोटिन इस्तेमाल किया जाता है. जो मानव बॅाड़ी के लिए बेहद खतरनाक है. यही नहीं इसके लगातार सेवन से मनुष्य की किडनी पूरी तरह खराब हो सकती है. इसके अलावा नकली अंडों का ज्यादा सेवन आपको नपुंसक तक बना सकता है.
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डॅा, सचिन के मुताबिक नकली अंडे खाने से मनुष्य के शरीर पर अजीब प्रकार के रेसेज निकल सकते हैं. क्योंकि इन्हें बनाने में मोम का भी यूज किया जा रह है. जो बेहद खतरनाक है. इसलिए सर्दियों में अंडे खाते वक्त असली अडों को ही डाइट में शामिल करें.
ऐसे बनाते हैं नकली अंडा
एक्सपर्ट के मुताबिक अंडे बाहरी हिस्से यानि सफेद भाग को बनाने के लिए जिप्सम चूर्ण, कैल्शियम कार्बोनेट का इस्तेमाल किया जाता है.
साथ ही इसके अंदर वाले भाग को बनाने के लिए "जिलोटिन, सोडियम एल्गिनाइट और कैल्सियम" के इस्तेमाल से बनाया जाता है.
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बाहर से अंडे को देखकर आप बिल्कुल भी पहचान नहीं कर सकते हैं कि अंडा नकली है या असली. नकली अंडों को बनाने में रिपोर्ट के मुताबिक "जिलोटिन बेंजाइक अम्ल के साथ कई कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. कृत्रिम अंडे को केवल कैमिकल द्वारा ही तैयार किया जाता है.
ये है पहचान का तरीका
दरअसल, असली अंडे का छिलका थोड़ा चिकना होता है. साथ ही कृत्रिम अंडे का छिलका हल्के भूरे कलर का खुरदरा पाया जाता है. इसके अलावा इसके अंदर वाला हिस्सा बेहद कठोर होता है. जबकि असली अंडे के अंदर वाला हिस्सा बहुत ही मुलायम होता है. हालाकि नकली अंडे के अंदर से भी बिल्कुल पीला-पाला ही पदार्थ निकलता है.