Haryana Budget 2022: राजस्व खर्चों में कमी लाना बना सीएम मनोहर लाल के लिए चुनौती, कल होगा हरियाणा का बजट पास
HR Breaking News, Haryana Budget 2022: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल वित्तमंत्री के तौर पर कल राज्य विधानसभा में साल 2022-23 के लिए बजट पेश करेंगे। मुृख्यमंत्री मनोहर लाल के लिए हर साल बढ़ रहे राजस्व खर्चों को बजट में कम करना किसी चुनौती से कम नहीं होगी। राज्य के कुल बजट का एक बड़ा हिस्सा, यानी करीब 75 प्रतिशत बजट राजस्व खर्चों में जा रहा है, जबकि पूंजीगत खर्च मात्र 25 प्रतिशत हैं।
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कुल बजट के मात्र 25 प्रतिशत हिस्से का उपयोग पूंजीगत खर्चों में
प्रदेश सरकार राजस्व खर्चों में कमी करते हुए पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी करने का इरादा रखती है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्ते, वेतन आयोग की सिफारिशें और विभिन्न वर्ग को मिलने वाली राहत की वजह से राजस्व खर्चे कम होने की बजाय लगातार बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश सरकार इस बार के बजट में किसी तरह का नया टैक्स लगाने के हक में नहीं है।
कोरोना काल की चुनौतियों के बावजूद इस बार टैक्स लगने की संभावना नहीं
हरियाणा के वित्त मंत्री के नाते मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सोच है कि राजस्व खर्चों में कमी की जानी चाहिए और पूंजीगत खर्च बढ़ाया जाना चाहिए। इसकी वजह बताते हुए मनोहर लाल कहते हैं कि राजस्व खर्चों से किसी तरह के आय नहीं है, जबकि पूंजीगत खर्च सुखद हरियाणा के भविष्य की नींव तैयार बनते हैं। मनोहर लाल आठ मार्च को महिला दिवस पर भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार का तीसरा बजट पेश करेंगे। बजट तैयार हो चुका है। सांसदों, विधायकों, मंत्रियों व प्रमुख पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा उद्यमियों, व्यापारियों व किसानों समेत करीब एक दर्जन क्षेत्र के लोगों से विचार विमर्श के बाद यह बजट तैयार किया गया है।
पिछले दो माह से बजट तैयार करने में जुटी मनोहर लाल की टीम
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के नाते टीवीएसएन प्रसाद ने अपनी एक दर्जन अधिकारियों की टीम के साथ यह बजट तैयार किया है। मुख्यमंत्री और वित्त विभाग की टीम बजट तैयार करने में पिछले दो माह से जुटी हुई है। साल 2021-22 के लिए 1.55 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था, जिसके करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
वर्ष 2021-22 का बजट वित्त वर्ष 2020-21 के 1 लाख 37 हजार 738 करोड़ रुपये के बजट से 13 प्रतिशत अधिक था। पिछले दो सालों से देश के बाकी लोगों की तरह हरियाणा भी कोरोना महामारी के दौरान पैदा हुई असाधारण चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में बजट पर इसका असर देखने को मिल सकता है।
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हरियाणा के ऊपर था मात्र दो करोड़ 35 लाख का कर्ज
हरियाणा एक नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होने के बाद अस्तित्व में आया था। तब उस साल के दौरान कोई बजट पेश नहीं हुआ था। कैथल हलके से लगातार चार बार विधायक रहीं ओमप्रभा जैन हरियाणा की पहली वित्त मंत्री बनी थी। उन्होंने राज्य के लिए वर्ष 1967 में पहला बजट पेश किया। हरियाणा के पहले बजट का फोकस कृषि और शिक्षा पर था।
हरियाणा जब पंजाब से अलग हुआ था, उस समय नए बने राज्य पर मात्र 2.35 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो आज करीब सवा दो लाख करोड़ तक पहुंच चुका है। हालांकि राज्य सरकार का मानना है कि यह कर्ज इसलिए अधिक बढ़ा है, क्योंकि बिजली कंपनियों के करीब 30 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को सरकार ने अपने ऊपर लिया, जिस वजह से आज बिजली कंपनियों का सालाना एक हजार करोड़ रुपये तक बचा है।