High Court Decision - पति-पत्नी के मामले में कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, इस चीज की बताई नैतिक जिम्मेदारी 
 

आमतौर पर पति-पत्नी के मामले आपस में बात करने से सुधर जाते है। वहीं हाल ही में पति-पत्नी का एक मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। जिसके बाद इस केस पर कारवाई करते हुए ये कोर्ट ने  बड़ा फैसला सुनाते हुए कुछ नैतिक जिम्मेदारियां भी बताई।  
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- वैवाहिक विवाद के चलते अलग रह रही पत्नी व उसके साथ रह रहे बच्चों की देखभाल के लिए पति न केवल समाजिक व नैतिक बल्कि कानूनी रूप से बाध्य है। पति अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी पति द्वारा भिवानी की फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करते वक्त की।


पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर बताया था कि उसका विवाह फरवरी 2017 में हुआ था। इसके बाद दोनों के बीच विवाद हुआ और दोनों अलग रहने लगे। पत्नी ने गुजारे के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। फैमिली कोर्ट ने पति की आय का आंकलन करने के बाद उसे पत्नी व बच्चों के गुजारे के लिए 10 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता के रूप में देने का आदेश दिया। 


फैमिली कोर्ट के फैसले को पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दे दी थी। अपील में याची ने हाईकोर्ट में कहा कि फैमिली कोर्ट ने उसकी आय का गलत आंकलन किया है। याची की आय आंकलन की गई राशि से काफी कम है।

हाईकोर्ट ने याची की दलील को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी और बच्चों की देखभाल करना पति की नैतिक, समाजिक व कानूनी जिम्मेदारी है। याची अपनी इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता। हाईकोर्ट ने 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए पति की याचिका को खारिज कर दिया।