Railway इन ट्रेनों में यात्री को होता है राजाओं सा अहसास, लाखों रुपए है किराया
 

अक्सर लोग ट्रेन में किराया कम और सुविधा अच्छी होने के कारण सफर करते है लेकिन आज हम आपको भारत की उन ट्रेनों के बारे में बताने जा रहे है जिसमें यात्रियों को राजाओं सा अहसास होता है और जिसका किराया लाखों में रुपए में है। 
 
 

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, दुनिया की जानी-मानी पर्यटन पत्रिका कोन्डे नास्ट (conde nast traveller) ने राजस्थान (Rajasthan) के पर्यटक स्थलों को घुमाने वाले लग्जरी ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स (Palace On Wheels) को दुनिया की दूसरी लग्जरी ट्रैवल ट्रेन (Luxury travel train) माना है. ये ट्रेन पहले भी दुनियाभर के लोगों का दिल जीतती रही है.

आखिर इस ट्रेन में हैं ही ऐसी खासियतें कि जो इसकी यात्रा करता है, वो इसे कभी भूल नहीं पाता
आजाद इन रेल संग्रहालय में धरोधर इंजन के रूप में रहता है जब शाही रेल में सवार यात्रियों ने आजाद को ट्रेन के साथ लगे देखा, तो वो रोमांचित हो गये. आठ साल पहले इस ट्रेन को ‘अकबर’ नाम के भाप इंजन के साथ सफदरजंग से पटेल नगर स्टेशन तक चलाया गया था.


पैलेस ऑन व्हील्स को सबसे पहले 26 जनवरी,1982 को शुरू किया गया था. तब ट्रेन में राजस्थान की पूर्व रियासतों के ओरिजनल सलून यानी वो रेल डिब्बे लगे हुए थे, जिनका इस्तेमाल राजा-महाराजा अपने निजी उपयोग के लिए करते थे. पहियों पर राजमहल ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ वर्ष 1982 से 1989 तक भाप इंजन से चली. जब भी इसे प्रतीकात्मक तौर पर भाप इंजन के साथ चलाया जाता है तब इसकी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं.


शाही रेलगाड़ी पैलेस ऑन व्हील्स जब 21 नवंबर को चली तो ये उसकी मौजूदा पर्यटन सत्र की 12 वीं यात्रा थी. ये ट्रेन दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से जयपुर और राजस्थान के अन्य ऐतिहासिक शहरों में घुमाती है. इसमें यात्रा करना किसी खूबसूरत अनुभव से कम नहीं होता. इस बार यात्रा में 45 यात्री रवाना हुए.


ये लोगों को एक सप्ताह का शाही सफर कराती है. इस दौरान ये नई दिल्ली से चलकर जयपुर पहुंचती है और फिर वहां से सवाईमाधोपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, जैसलमेर जोधपुर, भरतपुर और आगरा. इसके बाद ये फिर नई दिल्ली वापस आती है. पैलेस ऑन व्हील्स सितंबर से लेकर अप्रैल के बीच चलाई जाती है.


हर बार पर्यटन सत्र में ट्रेन को पारंपरिक परिवेश में ही नए तरीके से सजाया संवारा जाता है. इसमें एक शाही बार और चार सर्विस कारें होती हैं. ट्रेन के डिब्बों को तीन बेड केबिन, डबल बेड केबिन, सिंगल बेड केबिन में बांटा गया है. इनके चार्जेज करीब 10,600, 6055 तथा 4550 अमेरिकी डॉलर हैं. यानि भारतीय मुद्रा के हिसाब से 7.46 लाख, 4.26 लाख और 3.20 लाख रुपए. ये किराया इस पर निर्भर करता है कि आप ट्रेन के किस तरह के केबिन में यात्रा कर रहे हैं. इस किराए पर पांच फीसदी सर्विस टैक्स लगता है. इसके अलावा ट्रेन में कुछ सुविधाओं पर अतिरिक्त शुल्क देना होता है.
'पैलेस ऑन व्हील्स' शुरुआत के बाद से अब तक यानि 32 सालों में करीब 50,000 यात्रियों को राजस्थान की आलीशान भव्य हवेलियों,  विशाल किलों, रेत के टीलों के साथ पर्यटन स्थलों की सवारी करवा चुकी है.


ये पैलेस ऑन व्हील्स के खाने के कक्ष का दृश्य है. ट्रेन में कई तरह के खाने परोसे जाते हैं, जिसमें कांटिनेंटल, चायनीज़ और भारतीय खाना शामिल है. आमतौर पर ट्रेन से सवारी करने वाले इसके लजीज व्यंजनों की तारीफ किये बिना नहीं रह पाते. इसका भोजन कक्ष भी अलग अलग इंटीरियर लिये होता है. लेविश लाइफ स्टाइल ट्रेन में दो रेस्टोरेंट महारानी और महाराजा हैं जिन्हें "किचन कार" भी कहा जाता है.


अगर आप सच में राजा जैसी फीलिंग्स के साथ एक रॉयल अंदाज में जीना चाहते है तो कुछ दिनों के लिए भारतीय रेल विभाग और राजस्थान पर्यटन विभाग की "पैलेस ऑन व्हील्स" ट्रेन सेवा से बेहतर कुछ नहीं. इस एसी ट्रेन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रहता है. रूम में टीवी, इंटरकॉम, कॉफी मेकर और कप, अटेच बाथरूम में गरम और ठंडा पानी के साथ साथ फाइव स्टार होटल की सारी सुविधाएं मौजूद हैं. हर सुबह न्यूज पेपर और चाय भी आपके कमरे तक पहुंचाई जाती है. ट्रेन में इंडोर गेम्स, बार, इनेटेरेक्टिंग रूम, मेल बॉक्स, मेडिकल सुविधा भी मौजूद है.


दिल्ली की इंटीरियर डिजाइनर मोनिका खन्ना ने इस बार ट्रेन के इंटीरियर को डिजाइन किया है जिसमें रॉयल फर्नीचर, हेन्डीक्रॉफ्ट के आइटम और रॉयल पेंटिंग्स लगाई गई हैं.