लग्जरी होटल से कम नहीं है भारत का पहला यह प्राइवेट रेलवे स्टेशन
 

भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन (railway station) मौजूद है, जहां वर्ल्ड क्लास जैसी बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। जानें कहां पर मौजूद है यह रेलवे स्टेशन(railway station)।
 

HR Breaking News : नई दिल्ली: मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल में एक ऐसा स्टेशन मौजूद है। जो किसी एयरपोर्ट या मॉल से कम नहीं है।

बनकर तैयार होने के बाद से ही यह स्टेशन चर्चा में है। शानदार वेटिंग रूम, साफ-सफाई, सेफ्टी और बेहतरीन क्वालिटी फूड के कारण यह स्टेशन हर यात्री को बेहतर अनुभव देता है। 


कब प्राइवेटाइज हुआ यह स्टेशन?


14 जुलाई साल 2016 के दिन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत इंडियन रेलवे ने 1979 में बने हबीबगंज स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रेक्ट किया गया। 5 सालों तक चले इस प्रोजेक्ट के बाद साल 2021 में हबीबगंज स्टेशन बनकर तैयार हो गया। 

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बदल गया स्टेशन का नाम


साल 2021 में हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर ‘रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया। जिसके बाद से अब रेल टिकट में यह नाम देखने को मिलता है। 


कौन थीं रानी कमलापति?


रानी कमलापति भोपाल की आखिरी हिंदू रानी थीं। मध्यप्रदेश के इतिहास में यह नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। वो गोंड राज्य के राजा निजाम शाह की पत्नी थीं।

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उस दौरान बाड़ी पर निजाम शाह के भतीजे आलम शाह का शासन था, जिसकी नजर निजाम शाह की दौलत और रानी कमलापति पर थी।

आलम शाह ने रानी से प्यार का इजहार किया, लेकिन रानी से प्रस्ताव को ठुकरा दिया। गुस्से में आकर आलम शाह ने अपने चाचा की हत्या करवा दी। जिसके बाद रानी अपने बेटे के साथ भोपाल के कमलापति महल आ गईं।


आलम शाह से बदला लेने के लिए रानी ने राजा के दोस्त मोहम्मद अली खान से मदद मांगी। जिसके बदले में मोहम्मद अली ने रानी से 1 लाख रुपये की मांग की। हालांकि बाद में रानी ने उन्हें भोपाल का एक हिस्सा दे दिया।

रानी के बेटे नवल शाह को यह बात रास नहीं आई। जिस कारण दोनों के बीच युद्ध हुआ। जहां नवल शाह की मौत हो गई। माना जाता है कि जहां पर रानी के बेटे का खून गिरा वह जमीन लाल हो गई जिस कारण उस जगह को लाल घाटी कहा जाता है। 

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रानी कमलापति स्टेशन की भव्य सुविधाएं


कुल 400 करोड़ की लागत में तैयार हुए इस रेलवे स्टेशन की खूबसूरती देखते बनती है। बता दें कि आगे आने वाले समय में इस रेलवे स्टेशन को मेट्रो से जोड़ा जाएगा। जिससे यात्रियों को कोई भी परेशानी होगी। 


स्टेशन का निजीकरण होने के बाद से सर्विसेज बेहतर हो गई हैं। अगर आप इस स्टेशन पर कभी उतरते हैं तो आपको अच्छा अनुभव मिलेगा। 

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तो ये थी भारत के पहले प्राइवेट रेलवे स्टेशन के इतिहास से जुड़ी जरूरी बातें। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।