अब किसानों को डीएपी के आधे खर्चे में मिलेगी पूरी पैदावार, अगले साल हरियाणा में आएगा नैनो डीएपी

हाल में ही नैनो यूरिया मार्केट में आया है जिसे इफको ने लॉन्च किया है। गेहूं के सीजन में हरियाणा में नैनो यूरिया की आधा लीटर की 1300000 बोतल बिक चुकी हैं। वहीं जींद जिले में 90000 बोतल इफ़को की तरफ से किसानों को दी जा चुकी हैं।
 

नैनो यूरिया के बाद जल्द ही नैनो डीएपी भी मार्केट में आएगा। जिसकी कीमत डीएपी के बैग से आधे से भी कम होगी। बता दें कि पिछले साल ही नैनो यूरिया मार्केट में आया है जिसे इफको ने लॉन्च किया है। गेहूं के सीजन में हरियाणा में नैनो यूरिया की आधा लीटर की 13,00,000 बोतल बिक चुकी हैं।

वहीं जींद जिले में 90,000 बोतल इफ़को की तरफ से किसानों को दी जा चुकी हैं। नैनो यूरिया की आधा लीटर की बोतल ₹240 की है, जो प्रति एकड़ एक यूरिया के बैग से ज्यादा काम करती है।


इफको कृषि सेवाएं डीजीएम ओमकार सिंह ने बताया कि नैनो डीएपी अगले गेहूं के सीजन में आ जाएगा। जिसकी एक बोतल की कीमत करीब ₹550 तक हो सकती है। वही डीएपी का वह किसान को 12 सो रुपए में मिलता है। नैनो डीएपी से जहां किसान की लागत घटेगी।

वहीं केंद्र सरकार को भी अरबों रुपए की का फायदा होगा। केंद्र सरकार हर साल डीएपी बाहर से खरीदती है, जो किसान को सब्सिडी पर दिया जाता है। इस सब्सिडी की राशि पर सरकार अरबों रुपए खर्च करती है। नैनो डीएपी मार्केट में आने के बाद सरकार का यह भारी भरकम सब्सिडी पर होने वाला खर्च बचेगा।

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नैनो यूरिया के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि जहां यूरिया का बैग फसल में 30 से 40% तक ही काम करता है। वही नैनो यूरिया का रिजल्ट 90% तक है। अभी शुरुआत में काफी किसानों ने इसे अपनाया है।

एक बार जो किसान नैनो यूरिया का प्रयोग कर लेता है वह दोबारा नैनो यूरिया की मांग करता है यूरिया का असर फसल में 3 से 4 दिन तक ही रहता है। जबकि नैनो यूरिया का असर लंबे समय तक रहता है और फसल उत्पादन भी आठ से 12 परसेंट तक बढ़ता है।


अन्य उत्पाद पर भी चल रहा ट्रायल

डॉ ओमकार सिंह ने बताया कि इफको की तरफ से नैनो डीएपी के साथ-साथ नैनो जिंक, नैनो कॉपर सहित कई तरह के नैनो फर्टिलाइजर्स का ट्रायल किया जा रहा है। आने वाले समय में किसानों को यह सभी फर्टिलाइजर उपलब्ध कराए जाएंगे।

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किसानों को यूरिया के लिए लाइन में लगना पड़ा रबी के पूरे सीजन में इस बाहर यूरिया की किल्लत रही। किसानों को घंटो तक लाइन में लगने के बाद भी यूरिया के बैग नहीं मिले। नैनो यूरिया के प्रयोग से किसानों की यह समस्या का हल हो जाएगा और उन्हें यूरिया के बैग के लिए लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा। वही ट्रांसपोर्ट का भी खर्च बचेगा।