अब हरियाणा में वीडियो कान्फ्रेसिंग से होगी कैदियों की पेशी, जेल मंत्री ने उठाया बड़ा कदम

कैदियों को कोर्ट तक लाने और ले जाने में हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं और साथ ही रिस्क भी बना रहता है। ऐसे में हरियाणा सरकार कैदियों की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग से कराने की तैयारी कर रही है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।
 

 जेलों में सजा काट रहे कैदियों और बंदियों को अब सुनवाई के लिए कोर्ट नहीं ले जाना पड़ेगा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई होगी। जेलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की मंजूरी बाकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गृह सचिव राजीव अरोड़ा तथा जेल महानिदेशक मोहम्मद अकील की हाई कोर्ट के साथ समन्वय बनाने की ड्यूटी लगाई है।

 

अदालतों में सुनवाई के दौरान हार्डकोर अपराधियों के बीच गैंगवार को देखते हुए सरकार ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कराने की योजना बनाई है। इससे कैदियाें को अदालत ले जाने और वापस लाने पर हर साल खर्च होने वाले 25 करोड़ रुपये बचेंगे। प्रदेश की अधिकतर जेलों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा है। अब इसमें और सुधार के लिए नए उपकरणों की खरीद को सीएम ने मंजूरी दी है।

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नूंह में नई जेल की शुरुआत के बाद प्रदेश में जेलों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में जेलों का नाम बदलने का निर्णय भी हुआ है। सुधार गृह जैसा नाम रखने के लिए जेल विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।

इसके बाद विधानसभा में बिल लाकर इसके लिए एक्ट बनेगा। प्रदेश की जेलों में 24 हजार से ज्यादा कैदी और बंदी हैं। इनमें से छह हजार के लगभग कैदी और साढ़े 18 हजार बंदी हैं, जो अंडर ट्रायल हैं।


बैठक में जेल अधिकारियों की सिक्योरिटी का मुद्दा भी उठा। हिसार में डिप्टी सुपरिटेंडेंट के अलावा कई सिपाहियों का मर्डर हो चुका है। जेल के कई अधिकारियों को बदमाशों द्वारा धमकियां दी जा चुकी हैं। सीएम ने गृह विभाग के अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने को कहा है। गृह विभाग जेल अधिकारियों की सिक्योरिटी की समीक्षा कर सीएम को रिपोर्ट सौंपेंगे। जेल अधीक्षक व उपाधीक्षक को वर्दी भत्ता मिलेगा और अब वे वर्दी में ड्यूटी देंगे।


जेल अधीक्षकों को मिलेगी स्कारपियो और मोबाइल सुविधा

हरियाणा के सभी जेल अधीक्षकों को स्कारपियो मुहैया करवाई जाएगी। वर्तमान में किसी भी जेल अधीक्षक के पास सरकारी गाड़ी नहीं है। जेल अधीक्षकों व उपाधीक्षकों को सरकार मोबाइल फोन भी उपलब्ध करवाएगी। जेलों में महिला डाक्टरों की भी नियुक्ति होगी। इतना ही नहीं, जेल में ड्यूटी देने के बाद महिला डाक्टरों पर गांव में प्रैक्टिस की शर्त से बाहर कर दिया जाएगा। जेलों में खाली पदों को भर्ती कर भरा जाएगा। साथ ही, सेवा नियम तय होंगे।

वहीं, जेलों के लिए अलग से इंटेलिजेंस विंग भी बनाई जाएगी। खुफिया विभाग के दो-तीन अधिकारियों को जेलों में तैनात किया जाएगा जो कैदियों व बंदियों के अलावा जेल स्टाफ पर भी नजर रखेंगे। किसी भी तरह की गड़बड़ होने पर इसकी सूचना सीधे सरकार को दी जाएगी। बंदियों व कैदियों को अच्छा खाना मुहैया कराया जाएगा। साथ ही पूरे जेल कैंपस व बैरक में साफ-सफाई का विशेष प्रबंध किया जाएगा।


जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने बनाई थी कमेटी

जेलों में सुधार के लिए जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी गठित की थी। कमेटी ने पंद्रह बिंदुओं पर काम किया और अपनी रिपोर्ट जेल मंत्री को सौंपी। जेल मंत्री ने इस रिपोर्ट पर सीएम से चर्चा की। इसके बाद ही नूंह में जेल अधिकारियों के साथ बैठक का निर्णय लिया गया। अधिकारियों द्वारा की गई अधिकतर सिफारिशों को सीएम ने मंजूरी दी है।

बिजली और जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने कहा कि हम तीन बार बिजली चोरों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर चुके हैं। सीएम ने हमेशा ही अच्छे कार्यों की सराहना की है और पूरा भरोसा जताया है। अब जेलों में सुधार व सुविधाओं को लेकर जितने भी मुद्दे उनके सामने रखे गए, उन्होंने सभी पर मुहर लगा दी।