Parenting Tips : इकलौती संतान की परवरिश में भूलकर भी न करें ये 4 गलतियां

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बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उनकी अच्छी और स्वस्थ परवरिश जरूरी होती है। वैसे तो ये काम हर माता पिता बखूबी करना चाहते हैं। इकलौता बच्चा होने पर कई बार बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। उन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती हैं तो वहीं हद से ज्यादा ध्यान देना भी उनके बर्ताव पर बुरा असर डाल सकता है।

 

HR Breaking News (ब्यूरो)। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उनकी अच्छी और स्वस्थ परवरिश जरूरी होती है। वैसे तो ये काम हर माता पिता बखूबी करना चाहते हैं। कई बार घर में कई बच्चे होने से भी बच्चों में अच्छी आदतें आ जाती हैं। अक्सर दो-तीन बच्चे साथ होते हैं तो मिलकर काम करना, चीजें शेयर करना और एक दूसरे के साथ सुलह-समझौता करना सीखते हैं। लेकिन जब घर पर बच्चा अकेला हो तो अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।

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इकलौता बच्चा होने पर कई बार बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। उन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती हैं तो वहीं हद से ज्यादा ध्यान देना भी उनके बर्ताव पर बुरा असर डाल सकता है। इकलौता बच्चा होने पर माता पिता का अधिक लाड प्यार उन्हें बिगाड़ सकता है, तो वहीं अभिभावक की इकलौते बच्चे से अधिक उम्मीदें उसपर दबाव डाल सकती हैं। इकलौते बच्चे की परवरिश में माता-पिता कई गलतियां कर जाते हैं, जो बच्चे के व्यवहार और उसके भविष्य को खराब कर सकती हैं। चलिए जानते हैं कि इकलौते बच्चे की परवरिश में क्या गलतियां करने से बचना चाहिए। 


अपनी इच्छाएं थोपना

अक्सर अभिभावक बच्चे पर अपनी इच्छाओं को पूरा करने का दबाव बनाते हैं। वह बच्चे से कई सारी उम्मीदें लगा लेते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए बच्चे से  अपेक्षा करते हैं। इसके कारण बच्चा तनाव में आ सकता है। अभिभावकों की इच्छा और सपनों को पूरा करने के लिए बच्चे पर मानसिक और शारीरिक तौर पर  दबाव बढ़ता है।

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न हों ओवर प्रोटेक्टिव

जब परिवार में इकलौता बच्चा होता है तो माता पिता उसे लेकर अधिक सुरक्षा देते हैं। वह बच्चे के हर काम में दखल देते हैं और उनका बचाव करने के चक्कर में बच्चों के आत्मविश्वास को कम कर देते हैं। बच्चा खुल कर अपने मन मुताबिक काम नहीं कर पाता और खुद को बंद महसूस करता है।


बच्चे को बाहर जाने से रोकना

समाज में जीने के लिए बच्चे को बाहर के माहौल में घुलना मिलना आना चाहिए। बच्चा बिगड़ न जाए या किसी मुसीबत में न पड़ जाए इसलिए माता पिता उन्हें बाहर जाने से मना करते हैं। ऐसे में वह बच्चा खुद को कैद में महसूस करता है और अकेलापन महसूस करता है। हो सकता है कि वह माता-पिता के इस बर्ताव की वजह से उनसे दूरी बनाने लगे। 

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फैसले लेने का अधिकार न देना

अक्सर माता पिता बच्चों को नसमझ और जिम्मेदार न समझ कर उनके जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ही लेते हैं। चाहे वह उनकी पसंद का खिलौना लेना हो या उनकी शिक्षा से जुड़ा फैसला हो। बच्चों को कुछ फैसले खुद से लेने दें। वह गलत निर्णय लेंगे तो भविष्य के लिए उन्हें सबक मिलेगा। गलतियों से सीखने का मौका दें। अगर आप उनके फैसले लेंगे तो वह जीवन में अपने फैसलों को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहेंगे।