RBI ने जारी की सुरक्षित बैंकों की लिस्ट, जानिए कहां सेफ है आपका पैसा 
 

RBI ने हाल ही में सबसे सुरक्षित बैंकों (Safest Bank in India) की सूची जारी की थी. इन बैंकों के नाम हैं HDFC, ICICI और SBI. इन बैंकों को D-SIB भी कहा जाता है. इसके साथ ही आरबीआई ने बताया है कहां सेफ है आपका पैसा। 
 
 

HR Breaking News, Digital Desk- RBI ने हाल ही में सबसे सुरक्षित बैंकों (Safest Bank in India) की सूची जारी की थी. इन बैंकों के नाम हैं HDFC, ICICI और SBI. इन बैंकों को D-SIB भी कहा जाता है. D-SIB का मतलब होता है डोमेस्टिक सिस्टमैटिकली इंपोर्टेंट बैंक. RBI हर साल इनकी सूची जारी करता है. ये ऐसे बैंक हैं जिनके डूबने से किसी देश की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक प्रभावित हो सकती है. संक्षेप में कहें तो इन्हें डूबने नहीं दिया जा सकता.

लेकिन इन बैंकों का चुनाव कैसे होता है, कैसे पता चलता है यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है. साथ ही ऐसे बैंकों की सूची बनाने की जरूरत कब महसूस की गई. आज हम आपको यह बताने की कोशिश करेंगे. साथ में यह भी देखेंगे कि किस आधार पर किसी बैंक को D-SIB कहा जाता है.

वैश्विक मंदी का दौर-


2008 में वैश्विक मंदी के समय अर्थव्यवस्था को संभालने की जगह बड़े बैंक भी धराशाई हो गए. ऐसे में बड़े-बड़े देश मुश्किल में फंस गए. तब यह महसूस किया कि कुछ ऐसे बैंकों का चुनाव करना होगा जो इस तरह की किसी मुसीबत के समय देश की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने का काम करें. इन बैंकों  पर अगर कभी कोई परेशानी आए तो सरकार इन्हें बचाने का काम करेगी. यहीं से डीएसआईबी की शुरुआत हुई.

पहली लिस्ट-
साल 2014 में आरबीआई ने इसके लिए एक फ्रेमवर्क बनाया. 2015 से डीएसआईबी की पहली लिस्ट जारी करना शुरू किया. सबसे पहले सूची में SBI और ICICI बैंक ने जगह बनाई. इसके बाद 2017 में HDFC बैंक भी शामिल हो गया.

कौन से बैंक होते हैं शामिल-


डीएसआईबी बैंकों की सूची में उन बैंकों को शामिल किया जाता है. जिनकी कुल एसेट देश की जीडीपी के 2 फीसदी से अधिक होती है. इनके महत्व के आधार पर इन्हें पांच अलग श्रेणियों में डाला जाता है. ये एक से पांच तक बढ़ते क्रम में लगाए जाते हैं. पांचवें क्रम पर आने वाला बैंक सबसे महत्वपूर्ण होता है.

फिलहाल यहां पर देश का कोई भी बैंक नहीं है. आईसीआई और एचडीएफसी बैंक अभी पहले क्रम पर हैं, जबकि एसबीआई तीसरे क्रम पर. इन बैंकों पर कुछ नियम भी लागू होते हैं. जैसे, इन्हें अपनी रिस्क वेटेड एसेट का कुछ हिस्सा टियर-1 कैपिटल में डालना होता है. टियर-1 कैपिटल में मुख्य तौर पर स्टॉक और कैश जैसे लिक्विड एसेट होते हैं.