सुहागरात की कहानी : शादी की पहली रात मैंने अपने पति का देखा ऐसा रुप

शादी की पहली रात सबके लिए उत्साह से भरी होती है। शादी की पहली रात को लेकर लड़कियों में कुछ ज्यादा टेंशन होती है। ऐसी ही कहानी कुछ इस महिला की है। महिला ने बताया कि जब वह दूध का गिलासा लेकर कमरे में गई। पढ़ें पूरी कहानी-

 
सुहागरात की कहानी : शादी की पहली रात मेरा पति नहीं कर पाया कुछ

HR Breaking News (ब्यूरो) : जब मैं हाथ में दूध का गिलास लिए बेडरूम में घुसी। अब तक सब कुछ वैसे ही था जैसा मैंने सोचा था। लेकिन मुझे बिल्कुल भी आभास नहीं था कि एक मुझे कुछ ही देर में ज़ोरदार झटका लगने वाला है। सपनों के मुताबिक जब मैं कमरे में आती हूं तो मेरा पति मुझे कसकर गले लगाता है, चुंबनों की बौछार कर देता है और सारी रात मुझे प्यार करता रहता है। लेकिन वास्तविकता में, जब मैं कमरे में घुसी उससे पहले ही वो सो चुका था। तब 35 की उम्र में मैं वर्जिन थी। 

मेरे लिए ये बेहद तकलीफ़ भरा था, ऐसा लगा कि मेरे पूरे अस्तित्व को मेरे पति ने नकार दिया हो।कॉलेज के दिनों में ही नहीं ऑफ़िस में भी मैंने कई लड़कों और लड़कियों के बीच गहरी दोस्ती देखी थी। वो अपने पार्टनर के कंधों पर अपना सिर टिकाए होते, हाथ पकड़े घूमा करते थे। तब मैं सोचती थी कि काश मेरे साथ भी कोई होता, मुझे अपनी ज़िंदगी में ऐसे ही किसी साथी की तमन्ना नहीं करनी चाहिए थी? मेरा एक बड़ा परिवार था। चार भाई, एक बहन और वृद्ध माता-पिता। इसके बावजूद मुझे हमेशा अकेलापन महसूस होता था।

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मेरे सभी भाई बहन शादीशुदा थे और उनका अपना परिवार था। कभी-कभी मुझे लगता कि क्या वो मेरी परवाह भी करते हैं कि मेरी उम्र बढ़ रही है और मैं अभी तक अकेली हूं। मेरे दिल में भी प्यार की इच्छाएं थीं, लेकिन यह तनहाइयों से घिरा हुआ था। कभी-कभी मुझे लगता कि यह केवल इसलिए है क्योंकि मैं मोटी हूं। क्या मर्द मोटी लड़कियों को नापसंद करते हैं? क्या मेरे वज़न की वजह से मेरा परिवार मेरे लिए जीवनसाथी नहीं ढूंढ पा रहा है? क्या मैं हमेशा अकेली ही रहूंगी? ये सवाल हमेशा ही मेरे मन में घूमते रहते। आख़िरकार जब मैं 35 साल की हुई तो किसी तरह एक 40 वर्षीय आदमी मुझसे शादी करने के लिए सामने आया. उससे मिलने के दौरान मैंने उन्हें अपनी भावनाओं के विषय में बताया। 

लेकिन उन्होंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया और ना ही इसका कोई जवाब दिया। वो थोड़े परेशान दिखे। वो नीचे की ओर देखते हुए चुपचाप बैठ गए और केवल अपना सिर हिलाते रहे। मैंने सोचा कि आजकल महिलाओं से ज़्यादा पुरुष शर्मीले होते हैं और मेरे होने वाले पति भी कोई अपवाद नहीं हैं, शायद इसलिए उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन शादी की रात हुई उस चीज़ ने मुझे उलझन में डाल दिया। मुझे नहीं पता कि उसने ऐसा क्यों किया। जब अगली सुबह मैंने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा कि वो ठीक नहीं थे। लेकिन आगे भी कुछ नहीं बदला। हमारी दूसरी, तीसरी और कई रातें ऐसे ही बीतीं।

मैंने जब अपनी सास को यह बताया तो उन्होंने भी मेरे पति का बचाव किया। उन्होंने कहा, "वह शर्मीला है, उसे बचपन से ही लड़कियों से बात करने में झिझक रही है, उसने लड़कों के स्कूल में पढ़ाई की है।उसकी ना तो कोई बहन है और ना ही कोई महिला मित्र।" हालांकि इस बात से मुझे अस्थायी राहत तो मिली लेकिन मैं इस विषय में सोचना बंद नहीं कर सकी। मेरी सारी उम्मीदें, सपने और इच्छाएं दिन-ब-दिन टूट रही थीं। मेरी बेचैनी का एकमात्र कारण सेक्स नहीं था।  वो शायद ही मुझसे बात करते थे। मुझे लगता कि हमेशा मेरी उपेक्षा हो रही है। वो मुझसे दूर भागते, छूना पकड़ना तो दूर की बात थी।

अगर कोई औरत अपने पहने हुए कपड़े भी ठीक करती है तो मर्द उसे ऐसा करते हुए देखने की कोशिश करता है। लेकिन अगर मैं कभी रात को पूरी तरह से अपने कपड़े उतार भी देती तो भी मेरे पति उदासीन बने रहते। क्या मेरा वज़न उनके इस व्यवहार का कारण है? क्या उन्होंने मुझसे किसी दबाव में शादी की है? मुझे नहीं मालूम था कि ये सब बातें किससे शेयर करूं। मैं अपने परिवार से बात नहीं कर सकती थी क्योंकि सब यही सोचते कि मैं बहुत ख़ुश हूं लेकिन मेरे सब्र का बांध टूट रहा था। मुझे इसका हल ढूंढने की ज़रूरत थी।

आम तौर पर छुट्टियों वाले दिन भी वो घर पर नहीं रहते थे, वो या तो अपने किसी मित्र के घर जाते या अपने माता-पिता को बाहर ले जाते थे। संयोग से उस दिन वो घर पर ही रहे। मैं कमरे में घुसी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर दिया। वो बुहत तेज़ी से अपने बिस्तर से उठे मानो कूद गए हों। मैं उनके पास गई और प्यार से पूछा, "क्या आप मुझे पसंद नहीं करते? हम अब तक एक बार भी अंतरंग नहीं हुए हैं, ना ही आपने अब तक कभी अपनी भावनाओं के विषय में ही बताया, आख़िर आपकी समस्या क्या है?" 


उन्होंने झटके से जवाब दिया, "मुझे कोई समस्या नहीं है।" जब उन्होंने यह कहा तो मैंने सोचा कि यह मौका है उनके करीब जाने और अपनी तरफ उन्हें आकर्षित करने का। मैंने उनसे शारीरिक छेड़छाड़ शुरू की। मैंने सोचा कि इससे उनपर कोई असर होगा, लेकिन उन पर कोई असर हो नहीं रहा था। उनमें उत्तेजना का कोई भाव भी नहीं दिख रहा था। मुझे नहीं पता था कि किससे इस बारे में पूछना चाहिए लेकिन यह बात मुझे परेशान करती थी कि जैसे किसी स्त्री की सुंदरता के बारे में पुरुष आकलन करते हैं,


 मैं क्यों अपने पति के शारीरिक गुणों का आकलन नहीं कर सकती? अगर मुझे उससे कुछ उम्मीदें हैं तो यह ग़लत क्यों है? फिर मुझे एक दिन ये पता चला कि वो नपुंसक थे और डॉक्टर ने हमारी शादी से पहले ही इसकी पुष्टि कर दी थी। वो और उसके माता-पिता सब कुछ जानते थे, लेकिन मुझे अंधेरे में रखकर मुझसे धोखा किया गया। मुझे सच्चाई का पता चल गया तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस हुई, फिर भी उन्होंने अपनी ग़लती कभी स्वीकार नहीं की।


 समाज हमेशा महिलाओं की छोटी से छोटी ग़लती को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है लेकिन अगर किसी मर्द की कोई ग़लती हो तो भी उंगलियां महिलाओं की ओर ही उठती हैं। मेरे रिश्तेदार ने मुझे सलाह दी, "सेक्स ही जीवन में सबकुछ नहीं है, तुम बच्चा गोद लेने का विचार क्यों नहीं करते?" मेरे ससुराल वालों ने मुझसे विनती की, "अगर लोगों को सच्चाई पता चल जाएगी तो ये हम सभी की लिए बहुत शर्मिंदगी की बात होगी."

मेरे परिवार ने मुझसे कहा, "यह तुम्हारा भाग्य है!" लेकिन इस दौरान मेरे पति ने जो कहा उससे मुझे बेहद ठेस पहुंची। उन्होंने कहा, "तुम्हें जो अच्छा लगता है वो करो, किसी और के साथ सो सकती हो, मैं तुम्हें परेशान नहीं करूंगा और ना ही किसी को इसके बारे में बताऊंगा। अगर उससे तुम्हे बच्चा हो जाए तो मैं उसे अपना नाम देने के लिए तैयार हूं।" किसी भी औरत को अपने पति के ऐसे विचारों को नहीं सुनना चाहिए। वो बेईमान था और वह खुद के और अपने परिवार के सम्मान को बचाने के लिए ऐसा कह रहा था। वो मेरे पैरों पर गिर कर रोने लगा और कहा, "प्लीज़, इसे किसी को मत बताना और न ही मुझे तलाक़ देना।" उसने जो सुझाया वो मैं सोच भी नहीं सकती थी।

अब मेरे पास केवल एक ही विकल्प था या तो मैं उसे छोड़ दूं या उसे अपना जीवनसाथी मानकर अपनी इच्छाओं का त्याग कर दूं। अंत में मेरी भावनाओं की जीत हुई। मैंने अपने उस तथाकथित पति का घर छोड़ दिया। मेरे माता-पिता ने मुझे स्वीकार नहीं किया। अपने दोस्तों की मदद से मैं एक लेडिज़ होस्टल में चली गयी। जल्दी ही मुझे एक नौकरी मिल गयी। धीरे धीरे ही सही, मेरा जीवन पटरी पर आने लगा और मैंने कोर्ट में तलाक़ की अर्जी डाल दी।

मेरा पति और उसके परिवारवालों ने बेशर्मी दिखाई, उन्होंने सच्चाई को छुपाते हुए शादी टूटने की आड़ में मुझ पर ही शादी के बाद संबंध बनाने का आरोप मढ़ दिया। मैं लड़ी और अपनी मेडिकल जांच करवाई। तीन साल लग गए लेकिन आख़िरकार मुझे तलाक़ मिल ही गया। मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरा पुनर्जन्म हुआ है। आज मैं 40 की हो गयी हूं और अब भी वर्जिन हूं। इस दौरान मुझसे कई मर्दों ने संपर्क किया। वो सोचते थे कि मैंने अपने पति को इसलिए छोड़ा क्योंकि उनसे मुझे यौन संबंध में संतुष्टि नहीं मिलती थी और वे मुझसे वो सब करना चाहते थे। यह मेरे बारे में ग़लत और बकवास बातें थीं।

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मैं ऐसे मर्दों से दूर रहने की कोशिश करती। इनमें से कोई मुझसे शादी या समर्पित रिश्ता कायम नहीं करना चाहता था। मैं अपनी इच्छाओं, सपनों और भावनाओं को केवल उनके साथ शेयर करना चाहती हूं जो मर्द मुझसे प्यार करे, मेरी परवाह करे, मेरी भावनाओं को समझे और जीवन भर मेरे साथ रहना चाहे। मैं उस मर्द का इंतज़ार कर रही हूं। तब तक मैं अपने दोस्तों से उनके सेक्सुअल लाइफ के बारे में बातें करके ही खुश हूं और जब भी मेरे दिमाग में सेक्स की बात आती है तो इसके लिए वेबसाइट मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। वैसे लोगों की कमी नहीं है जो उससे मुझे आंकते हैं। मैं मानती हूं कि ऐसे लोग समझते हैं कि महिलाएं बेजान वस्तु हैं, जबकि महिलाओं में भी बहुत सी संवेदनाएं होती हैं!