Success Story : MNC की नौकरी नहीं आई रास, आर्गेनिक खेती करके कमाए लाखों  रूपए 

कुछ करने की तम्मना एक अच्छी खासी नौकरी छुड़वा सकती है और जिन्हे कुछ करना होता है वो एक प्राइवेट नौकरी के भरोसे नहीं रहते और ऐसा ही क्र दिखाया है इन्होने।  टॉप MNC कम्पनी की नौकरी छोड़ क्र शुरू क्र दी आर्गेनिक खेती , आज कमा रहे हैं लाखों रूपए महीना।  आइये जानते हैं इनकी स्टोरी। 

 
 

HR Breaking News, New Delhi :  भारत में बागवानी (Horticulture) का तेजी से विकास-विस्तार हो रहा है. इसमें बढ़ते मुनाफे के देखकर अब किसान तो क्या पढ़े-लिखे प्रोफेशनल तक खेती की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. जब शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में दिलचस्पी कम होने लगती है तो लोग अपने गांव अपनी मिट्टी के बारे में ही सोचते हैं और फिर कुछ नया और अलग करने के लिये निकल पड़ते है. ऐसे ही पढ़े-लिखे प्रोफेशनल फार्मर्स (Professinal farmers)  में शामिल हैं मनदीप वर्मा, जिन्होंने एक बड़ी एमएनसी की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर हिमाचल स्थित अपने गांव जाने का फैसला किया.

इसके लिये बंजर जमीन खरीदकर फलों की ऑर्गेनिक खेती (Organic farming) भी की और आज इस काम से सालाना 40 लाख रुपये कमा रहे हैं. मनदीप वर्मा ने अपने 5 एकड़ में स्थित स्वास्तिक फार्म (Swastic Farms) में सेब और कीवी के ढेरों पेड़ लगायें है, जिनकी देखभाल के लिये पूरी तरह जैविक और प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल होता है. कैमिकल का यहां कोई कान नहीं और यहां तक कीटनाशकों का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता.

MNC की नौकरी छोड़ शुरू की खेती
मनदीव वर्मा ने साल 2010 में MBA किया और बिजनेस मार्केटिंग के लिये एक एमएनसी में नौकरी करने लगे. करीब 4 साल की अपनी आईटी की नौकरी में मनदीप को काफी तरक्की मिली और कई नेटवर्क भी बनाये, लेकिन बढ़ते वर्क प्रैशर के  बीच उन्होंने खुद के बिजनेस की प्लानिंग करनी शुरू कर दी. फिर क्या घर और गांव की चिंता सताती रहती थी और वापस अपने गांव जाने का फैसला कर लिया. दूसरे लोगों से अलग मनदीप ने अपनी एजुकेशन और स्किल्स की तर्ज पर फलों की बागवानी करने की सोची और हिमाचल के शिल्ली में बंजर पड़ी 4.84 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर बागवानी शुरू कर दी.

ना खेती की जानकारी ना फसलों का तजुर्बा और बंजर जमीन भी जंगली पौधों से अटी पड़ी थी. ऐसे में मनदीप ने हिमालय (Himalayas) की गोद में बसी इस जमीन पर जैविक खेती करने का फैसला लिया.  शुरूआत में कई मुसीबतें आई. शिल्ली में स्थित उनकी पुश्तैनी जमी पूरी तरह से ढ़लान पर थी. ऐसे में सबसे पहले जंगली पौधों को हटाकर खेत को समतल बनाया और खाद के साथ कार्बनिक पदार्थ डालकर खेतों को तैयार करने में जुट गये. 


इंटरनेट ने मिली जानकारी


आधुनिकता के इस दौर में इंटरनेट पर क्या कुछ नहीं मिलता. मनदीप ने भी खेती से पहले सोशल मीडिया और यूट्यूब को खंगाल लिया. वहां जैविक और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से अनाजों की खेती को लेकर जानकारी हासिल की. इस काम में कोई एक्सपीरिएंस नहीं था तो कृषि अधिकारी और वैज्ञानिकों से संपर्क करके सलाह मशवरा करते रहे. इस तरह स्वास्तिक फार्म को शुरू करने में करीब 5 महीने का समय लग गया.

इसके बाद बंदरों के आतंक की चिंता भी लगी रहती थी, जिसके बाद एक सुरक्षित फल कीवी उगाने का फैसला किया. बता दें कि कीवी का ऊपरी भाग किसी त्वचा जैसा ही होता है, जिस पर बाल बने होते हैं. इसी कारण इसे बंदर नहीं खाते. मनदीप ने इसे उगाने से पहले हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से संपर्क किया और कीवी के 150  पौधे लगाकर बागवानी शुरू कर दी.

जीवामृत से होती है देखभाल


प्राकृतिक खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है. केंद्र और राज सरकारें मिलकर अब किसानों को गाय आधारित प्राकृतिक खेती के लिये प्रोत्साहित कर रही है. इसमें खर्च और मेहनत भी कम होती है और फसलों से क्वालिटी उत्पादन भी मिलता है. मनदीप वर्मा ने भी यूट्यूब से ऐसा ही ज्ञान बटोर लिया था. इसके बाद अपने कीवी के बागों से मुनाफा कमाने के लिये जीवामृत का इस्तेमाल करने लगे.

शुरूआत से ही मिट्टी में गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और अन्य कार्बनिक पदार्थों से बने जीवामृत का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं, लोबिया, गेहूं, चना, काला चना, हरी मूंग दाल, तिल और चना जैसे सात अनाजों को मिलाकर एक पारंपरिक खाद सप्त धन्यंकुर भी बना डाली और पानी-गौमूत्र में मिलाकर यूरिया की जगह इसका छिड़काव करने लगे. अबी तक मनदीप इसका छिड़काव पेड़ों पर फूल आते समय करते हैं. इससे कीट-रोगों की संभावना भी कम हो जाती है.  

जैविक खेती से कमाये 40 लाख रुपये


जब मनदीप वर्मा ने जैविक विधि से तैयार फलों की पहली पैदावार को बाजार में बेचा तो साल 2016 में कीवी के फल 350 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बिके. यह एक अच्छी शुरूआत थी. इसके बाद साल 2017 में स्वास्तिक फार्म को रजिस्टर करके एक वेबसाइट बनाई, जिससे आज उत्तराखंड, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरु के ग्राहक तक जुड़े हुये हैं. इसके बाद साल 2018 में इटालियन किस्म की सेब (Italian Apple) उगाने का फैसला किया.

कम ऊंचाई वाला ये पेड़ सालभर में एक बार फल देता है. इसके भी 12,000 पौधे लगाकर दो नर्सरी बनाई और स्वास्तिक फार्म में दोबारा 14 लाख का निवेश किया. जब मुनाफा बढ़ता चला गया तो लोग इनके फार्म को देखने आने लगे और इनके फार्म के जैविक फलों (Organic Fruits) की डिमांड करने लगे. आज मनदीप वर्मा के स्वास्तिक फार्म में करीब 700 कीवी के पौधे हैं, जिनसे 9 टन फलों की पैदावार मिलती है. वहीं सेब के पेड़ों का उत्पादन मिलाकर आज मनदीप वर्मा सालाना 40 लाख रुपये की आमदनी ले रहे हैं. उनका मानना है कि कीवी की बढ़ती डिमांड और जैविक खेती (organic Farming of fruits)  के रुझानों के बीच जल्द 40 टन तक कीवी का प्रॉडक्शन मिलने लगेगा.