Vastu Tips : भगवान पर प्रसाद चढ़ाते समय आप तो नहीं कर रहे हैं ये गलती, देखते ही देखते हो जांएगे कंगाल
HR Breaking News (नई दिल्ली) : भारतीय संस्कृति में हवन-पूजन के बाद भगवान को प्रसाद का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर सुख-समृद्धि की बरसात करते हैं. वास्तु शास्त्र की बात करें तो उसमें भगवान को भोग लगाने से जुड़े कई विधान बताए गए हैं. कहा जाता है कि अगर हम उन नियमों को नजरअंदाज करते हैं तो घर में मुश्किलों का आगमन होते देर नहीं लगती है. आइए जानते हैं कि भगवान पर अर्पित किए जाने वाले प्रसाद से जुड़े वे नियम क्या हैं.
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नैवेद्य को लेकर लोगों में रहता है असमंजस
वास्तु शास्त्र में भगवान पर चढ़ाए जाने वाले भोग को नैवेद्य कहा जाता है. यह नैवेद्य बहुत शुभ और मंगलकारक माना जाता है. काफी सारे लोग भगवान की प्रतिमा पर भोग अर्पित करने के बाद इस असमंजस में रहते हैं कि उस प्रसाद का क्या किया जाए. क्या उसे ग्रहण कर लिया जाए या प्रतिमा के पास ही खुला छोड़ दिया जाए. भोग से जुड़ा यही असमंजस कई बार उनके लिए दुर्भाग्य लाने का बड़ा कारण बन जाता है.
भगवान के सामने से भोग न हटाने का नुकसान
असल में भगवान को भोग अर्पित करने के कुछ देर बाद उसे वहां से हटा देना चाहिए. ऐसा न करने पर चण्डांशु, चांडाली, श्वक्सेन और चण्डेश्वर नामक नकारात्मक शक्तियां वहां आ जाती हैं और भोग को भ्रष्ट कर देती हैं, जिससे इंसान के दुर्दिन शुरू हो जाते हैं. वास्तु शास्त्रियों के अनुसार भोग को भगवान की प्रतिमा के सामने से हटाकर किसी तांबे, चांदी, सोने, पत्थर, मिट्टी या लकड़ी के पात्र में रख देना चाहिए. ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है और परिवार पर भगवा की कृपा बरसती है.
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खुद ग्रहण कर लें या बांट दें भगवान पर चढ़ाया भोग
ज्योतिष में कहा गया है कि पात्र में रखने के कुछ देर इसके बाद भगवान पर अर्पित किया गया वह भोग प्रसाद का रूप ले लेता है. ऐसे में उस प्रसाद को खुद ग्रहण कर लेना चाहिए. साथ ही संभव हो तो उस प्रसाद को दूसरों में भी बांट देना चाहिए. ऐसा करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और प्रसाद ग्रहण करने वाले सभी लोगों का बेड़ा पार करते हैं. कहा जाता है कि जो लोग प्रसाद से जुड़े इस नियम का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं, उन्हें जीवन में कभी भी किसी तरह का कष्ट नहीं रहता और घर खुशियों से भरा रहता है.