विदुर नीति : जीवन में तरक्की और भला चाहते हो, तो ऐसे लोगों से हो जाइये कोसों दूर

आचार्य विदुर हमे बताते हैं के अगर आप अपने जीवन में सफलता चाहते हैं और भला चाहते हैं तो आपको ऐसे लोगों से कोसों दूर चले जाना चाहिए नहीं तो आपका जीवन बर्बाद हो जायेगा।  
 

HR Breaking News, New Delhi : अपने रोजमर्रा के जीवन में हमें कई तरह के लोग मिलते हैं, जिनमें अलग-अलग हुनर होते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके सानिध्य में हम कुछ नया सीखते हैं और कुछ ऐसे होते हैं, जिनका साथ समय की बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं होता। अपने जीवन को सुखद बनाने के लिए हमें किन लोगों से दूरी बा लेनी चाहिए

ऐसे पुरोहित का साथ छोड़ें
सनातन धर्म को माननेवाले परिवारों में आमतौर पर कोई पंडित, पुरोहित या ब्राह्मण होते हैं, जो हर अच्छे कार्य का मुहूर्त निकालने, शुभ कार्यों के दौरान पूजा और कर्मकांड कराने का कार्य करते हैं। साथ ही साथ ये परिवार का मार्गदर्शन भी करते हैं। यदि आपके परिवार के पुरोहित को अच्छी और शुद्ध वाणी का महत्व न पता हो तो ऐसे पुरोहित को त्याग देना चाहिए।

विद्याहीन गुरु
बिना किसी देरी के ऐसे गुरु का त्याग कर देना चाहिए, जो अपने ज्ञान को आचरण में न उतार सका हो। ऐसी विद्या कभी फलित होकर सफलता की राह नहीं खोल सकती, जो आचरण में न उतारी गई हो। ऐसे खोखले उपदेश देनेवाले गुरु से दूरी बना लेनी चाहिए।

ऐसा राजा या टीम लीडर
प्रजा को ऐसे राजा का त्याग कर देना चाहिए, जो अपनी प्रजा की रक्षा न कर सके। लेकिन अब देश में राजशाही नहीं है। इसलिए ऐसे टीम लीडर जो टीम को उन्नति के मार्ग पर न ले जा सके, ऐसे राजनेता जो अपने राज्य की प्रजा के अधिकारों की रक्षा न कर सके, इनका तुरंत त्याग कर देना चाहिए।

ऐसे पति या पत्नी
किसी भी व्यक्ति को ऐसी पत्नी का त्याग कर देना चाहिए, जो प्रेमपूर्वक बात करना नहीं जानती हो। घर में कलह का वातावरण रखनेवाली पत्नी आमतौर पर बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं दे पाती। साथ ही मधुर वाणी न बोल सकनेवाला पिता बच्चों को अच्छा मनुष्य बनाने में आमतौर पर असफल रहता है। क्योंकि डरे-सहमे रहनेवाले बच्चों में आत्मविश्वास का अभाव देखा जाता है। इसलिए ऐसे पति का त्याग कर देना चाहिए।

इनके साथ से नहीं चलेगा जीवन
वह ग्वाला कभी गौ पालन में सफल नहीं हो सकता, जो गांव में ही रहता हो। क्योंकि गाय पालने के लिए उन्हें लेकर जंगल में जाना ही होता है या जंगल जाकर उनके लिए चारा लाना ही होता है। अगर ग्वाला गांव में ही रहेगा और जंगल जाएगा ही नहीं तो गाय का पालन नहीं कर सकता। इस बात को आज के परिपेक्ष्य में देखें तो वह व्यक्ति आगे कैसे बढ़ सकता है, जो आगे बढ़ने के लिए मेहनत ही नहीं करेगा। इसके लिए घर से बाहर तो जाना ही होगा न और प्रयास भी करने होंगे।

जो टैलंट का प्रयोग न करे
जंगल में रहनेवाले नाई का साथ छोड़े देने के लिए विदुर ने कहा है। लेकिन आज के समय में न तो इतने जंगल बचे हैं और न ही नाई। लेकिन विदुर के ऐसा कहने के पीछे कारण यह था कि जंगल में रहनेवाला नाई सच्चा साथी नहीं हो सकता। उसके हुनर और नीयत दोनों पर ही शंशय होना स्वाभाविक है। ठीक इसी प्रकार काबिल होने के बाद भी जो व्यक्ति अपने टैलंट का प्रयोग न करे या सही दिशा में प्रयोग न करे, उससे दूरी बना लेनी चाहिए।