allahabad high court judgement : क्या सजा होने पर सरकारी कर्मचारी की चली जाएगी नौकरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में मिला जवाब
High Court Decision : भारत देश में सरकार नौकरी करने वालों के लिए सरकार की ओर से कई सर्विस नियम (Employee Service Rule) बनाए गए हैं। अगर सरकारी कर्मचारी कानून को तोड़ते हैं और गलत कदम उठाते हैं तो इसका सीधा असर उनकी जॉब पर पड़ेगा या नहीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में सुवाई करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी सरकारी कर्मचारी को सजा होने के बाद उसे नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा या नहीं।
HR Breaking News - देश में काम कर रहे लाखों- करोड़ों सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा अपडेट सामने आया है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों (Government employees news) की सर्विस से जुड़े एक नियम पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले का हर सरकारी कर्मचारी को जान लेना चाहिए।
सजा होने पर सरकारी कर्मचारी होगा बर्खास्त ?
इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मामले के सुनवाई करते हुए इस बात को स्पष्ट किया है कि सरकारी कर्मचारी के खिफला किसी भी मामले में सजा होने के बाद उसे नौकरी से निकल (Employee Service Rule) दिया जाएगा या नहीं। कोर्ट का कहना है कि अगर किसी कर्मचारी को पद से बर्खास्त किया भी जाता है तो ऐसा करने से पहले विभागीय कार्रवाई का होना बहुत जरूरी है, बिना विभागीय कार्रवाई के कर्मचारी को पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कही बड़ी बात -
हाईकोर्ट ने कानपुर देहात के सरकारी स्कूल के एक सहायक अध्यापक की बर्खास्तगी को अवैध बताते हुए रद्द किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) का हवाला देते हुए कहा है कि अनुच्छेद 311(2) के तहत किसी भी सरकार कर्मचारियों न तो नौकरी से निकाला जा सकता है और ना ही उसकी रैंक कम की जा सकती है।
दरअसल, कानपुर देहात सहायक टीचर को हाईकोर्ट (High Court) ने दहेज हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। सरकारी टीचर को सजा होने के बाद बीएसए ने नौकरी से निकला दिया था। इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने अनुच्छेद 311 (2) दो महीने में नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए निर्देश दिए हैं। इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस मंजीव शुक्ल कर रहे थे। उन्होंने याचिकाकर्ता मनोज कटियार की याचिका पर यह फैसला सुनाया है। फैसले के वक्त कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की बहाली नए आदेश पर निर्भर करेगी।
जानिये क्या है पूरा मामला -
दरअसल कानपुर देहात के रहने वाले याचिकाकर्ता की सन् 1999 में प्राइमरी स्कूल में सहायक टीचर के पद पर नियुक्ति हुई थी। इसके बाद 2017 में उनका प्रमोशन भी हुआ था। इसके बाद उनके ऊपर दहेज हत्या का केस लगा। 2009 में दर्ज हुए केस के बाद सत्र न्यायालय ने उन्हें दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया।