मां-बाप से अलग रहने के लिए पत्नी अपने पति को मजबूर कर सकती है या नहीं, जानिए HC का फैसला 

High court latest news : हरेक माँ बाप का सपना होता है की उनका बेटा शादी के बाद भी उनके साथ ही रहे पर कई बार पत्नी अपने पति को माँ बाप से अलग रहने के लिए मजबूर करती है, क्या ये सही है या गलत, आइये जानते हैं हाई कोर्ट ने इसके ऊपर क्या फैसला सुनाया है 

 

HR Breaking News, New Delhi :  मां-बाप से अलग रहने के लिए पत्नी अपने पति को मजबूर कर सकती है या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए विशेष टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट के तलाक को मंजूरी के फैसले को चुनौती देने वाली पत्नी की याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी अपने पति को मां-बाप से अलग रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती, लेकिन अलग रहने की वजह सही होने पर भी पत्नी का अलग रहने का दावा करना भी क्रूरता नहीं कहा सकता है।

ख़राब CIBIL score वालों के हक़ में हाई कोर्ट ने दिया फैसला और साथ में बैंक को दिए निर्देश

2012 में शादी हुई, 3 महीने बाद अलग हो गए थे

मिली जानकारी के अनुसार, पत्नी ने 3 महीने में ही ससुराल छोड़ दिया था। साल 2012 में दोनों ने शादी की थी, लेकिन वे 3 महीने बाद ही अलग हो गए। फैमिली कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी, लेकिन पत्नी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करते हुए कहा कि वह पति के साथ रहना चाहती है, लेकिन उसके मां-बाप के साथ नहीं रहना चाहती। इस केस में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर शख्स अपने मां-बाप के साथ रहना चाहता है तो पत्नी उसे अलग रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।

संयुक्त परिवार को भारतीय समाज का कल्चर बताया

ख़राब CIBIL score वालों के हक़ में हाई कोर्ट ने दिया फैसला और साथ में बैंक को दिए निर्देश

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीता बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि भारतीय समाज में संयुक्त परिवार में रहने का कल्चर है। एक व्यक्ति की अपने माता-पिता और जीवनसाथी दोनों पक्षों के पति जिम्मेदारी होती है। उसे दोनों के बीच संतुलन बनाना होता है और अगर वह ऐसा कर सकता है तो उसे अलग रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ससुरालियों से अलग रहने के दावे को सही साबित नहीं कर पाई। अलग रहने की सही वजह नहीं बता पाई, इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाती है।