cheque bounce : चेक बाउंस के मामले में हाईकोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों में नहीं बन सकता केस
HR Breaking News - (Check bounce case)। डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन में आजकल ज्यादातर चीज ऑनलाइन हो चुकी हैं यहां तक की अगर आप किसी के पास पैसे ट्रांसफर करना चाहते हैं तो बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती घर बैठे phone pay, यूपीआई (UPI) या गूगल पे के जरिए आसानी से पेमेंट कर सकते हैं। लेकिन ऑनलाइन पेमेंट में फ्रॉड होने का खतरा ज्यादा रहता है इसके लिए आज भी लोग बड़ी पेमेंट चेक के जरिए करना सेफ मानते हैं। लेकिन चेक के जरिए पेमेंट करते समय कई सावधानियां बरतनी होती हैं।
आपकी छोटी सी लापरवाही की वजह से चेक बाउंस (Check bounce) हो सकता है। बैंक की भाषा में चेक बाउंस को Dishonored Cheque कहते हैं। चेक बाउंस होने पर आप बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। क्योंकि भारत में चेक बाउंस होने अपराध है,
Negotiable Instrument Act 1881 की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध माना गया है, जिसके लिए आपको न केवल भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है बल्कि जेल भी जाना पड़ सकता है। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चेक से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह क्लियर किया है कि अब से चेक बाउंस के इन मामले में केस (Check bounce case) नहीं बनेगा। चलिए जानते हैं
इस वजह से चेक बाउंस होने पर नहीं होगा केस -
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपने फैसले में कहा कि जो बैंक किसी अन्य बैंकों के साथ मर्ज हो चुके हैं, उनके चेक रिजेक्ट किए जाने पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध गठित नहीं होंगे। चेक के बाउंस होने पर इसे जारी करने वाले के खिलाफ 138 एन आई एक्ट (138 NI Act) का मुकदमा नहीं चलेगा। इंडियन बैंक (Indian Bank) में मर्ज हो चुके चेक रिजेक्ट के मामले में बांदा की अर्चना सिंह गौतम की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने दिया है।
जानिये क्या था पूरा मामला -
अर्चना सिंह गौतम ने 21 अगस्त 2023 को दूसरी पार्टी को एक चेक जारी किया, जिसे उसने 25 अगस्त 2023 को बैंक में कैश निकालने के लिए लगाया। परंतु बैंक ने इसे अमान्य करार देते हुए चेक को वापस लौटा दिया। ऐसे में दूसरी पार्टी ने याची (अर्चना सिंह गौतम) के खिलाफ 138 एन आई एक्ट के तहत चेक बाउंस (Cheque Bounce) का केस दर्ज करवा दिया। कोर्ट (Court Decision) ने सुनवाई करते हुए याची के खिलाफ समन जारी कर दिया है, जिसपर याची (अर्चना सिंह गौतम) ने इंसाफ के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने कहा कि एन आई एक्ट की धारा 138 के मुताबिक अगर अमान्य चेक बैंक में प्रस्तुत करने पर बैंक द्वारा अस्वीकार किया जाता है तो धारा 138 का अपराध गठित नहीं होता है। इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank Merged) को इंडियन बैंक में 1 अप्रैल 2020 को मर्ज किया गया था। तथा इसके चेक 30 सितंबर 2021 तक मान्य थे।
इसके बाद प्रस्तुत किया गया चेक अगर बैंक अमान्य करता है तो चेक बाउंस का केस नहीं बन सकता। कोर्ट ने कहा कि एन आई (NI Act) एक्ट के मुताबिक जारी किया गया चेक वैध होना चाहिए तभी उसके बाउंस होने पर अपराध गठित होता है और चेक जारी करने वाले पर कार्रवाई की जा सकती है।