customer rights :  खरीदारी करते समय आप भी ठगे तो नहीं जाते, जानिये ग्राहक के अधिकार से लेकर क्लेम तक के नियम

खरीदारी करते समय आमतौर हम कई बातों का ध्यान नहीं रखते हैं। खासकर ऑफलाइन खरीदारी करते समय। इसका खामियाजा हमें खराब सामान और एक्चुअल कीमत से ज्यादा पैसे देकर चुकाना पड़ता है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
 
 

HR Breaking News (ब्यूरो) : कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां दुकानदार ग्राहकों को खराब प्रोडक्ट देकर एमआरपी रेट से ज्यादा पैसे वसूलते हैं। इसके लिए आपको खरीदारी करते समय अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है।


खरीदारी करते समय खुद से करें ये सवाल


क्या आप एक जागरुक कंज्यूमर हैं? आप जो सामान मार्केट या दुकान से खरीदते हैं, उसकी पड़ताल करते हैं? क्या आप प्रोडक्ट की असली कीमत का पता करते हैं? इसका आंकलन आप खुद कर सकते हैं।

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एक कंज्यूमर के तौर पर आपको कई अधिकार मिले हुए हैं लेकिन कई लोगों को इन अधिकारों की जानकारी नहीं है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट हर कंज्यूमर को 6 अधिकार देता है। इन्हीं में से एक राइट आपको प्रोडक्ट की MRP से भी मिलता है।


कौन से हैं 6 राइट

  • राइट टू सेफ्टी- इस अधिकार के तहत उपभोक्ता को सुरक्षा का अधिकार मिलता है। कोई भी खराब क्वालिटी वाली वस्तु ग्राहक को नहीं दी जा सकती। कोई वस्तु या सेवा ऐसी नहीं होनी चाहिए जो तुरंत या भविष्य में ग्राहक के लिए हानिकारक साबित हो।
  • राइट टू इन्फॉर्म- हर उपभोक्ता को किसी भी प्रॉडक्ट की क्वालिटी, क्वांटिटी जानने का पूरा हक है। किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस की शुद्धता और मूल्य जानने का भी पूरा हक है।
  • राइट टू सेलेक्ट - ग्राहक को अपने मन मुताबिक कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस चुनने का पूरा हक है। इससे ग्राहक को एक कॉम्पीटिटिव मार्केट मिलता है। कॉम्पीटीशन होने से ग्राहक को प्राइस और क्वालिटी ठीक मिलती है।
  • राइट टू बी हेयर्ड- ग्राहक की बात सुनी जानी चाहिए। कोई भी ग्राहक के साथ अनुचित व्यवहार नहीं कर सकता। ग्राहक को बेईमान व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठाने का हक है।
  • राइट टू Redressal- कोई भी अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस नहीं कर सकता।
  • राइट टू कंज्यूमर एजुकेशन - इसके साथ ही ग्राहक को शिक्षा दिए जाने का अधिनियम भी इसमें शामिल है।

खरीदारी के समय कंज्यूमर डिपार्टमेंट की ये बातें रखें ध्यान में-


भारत सरकार का उपभोक्ता मामलों का डिपार्टमेंट लोगों को कई बातों को लेकर जागरूक करता है। डिपार्टमेंट की बातों पर गौर करें तो आपको नुकसान होने की संभावना नहीं के बराबर होगी। डिपार्टमेंट ने ऐसी ही कुछ बातों पर गौर करने की सलाह दी है।

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खरीदारी करते समय कंज्यूमर डिपार्टमेंट की सलाह जरूर याद रखें -

  • कभी भी एमआरपी (MRP) से ज्यादा कीमत का भुगतान न करें। अगर ऐसा होता है तो तुरंत इसकी शिकायत करें। कोई भी दुकानदार एमआरपी से ज्यादा कीमत पर सामानों की बिक्री नहीं कर सकता। यह गैर कानूनी है।
  • आप हर छोटी बड़ी प्रोडक्ट की जांच कर सकते हैं। भले ही आप अपने बच्चे के लिए दूध की बोतल (फीडिंग बॉटल्स) खरीदने जा रहे हैं तो उस पर आईएसआई (ISI) मार्क जरूर देंखे। इससे आपके शिशु के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
  • जब भी आप फ्यूल स्टेशन पर अपनी गाड़ी में टैंक फुल कराने या पेट्रोल-डीजल खरीदने जाते हैं तो पंप में रीडिंग शून्य (0) कराने के बाद ही तेल लें। अगर रीडिंग शून्य नहीं है तो माप सही नहीं है और आपको इसका नुकसान उठाना होगा।
  • जब भी आप कोई पैकेज्ड प्रॉडक्ट खरीदते हैं तो उस पर लिखे गए वजन को जरूर पढ़ लें। इससे आपको खरीदे गए सामान का एक्चुअल वजन का पता चल सकेगा।
  • कई बार आप खरीदारी करने के बाद बिल को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं। ऐसा बिल्कुल न करें। खरीदारी के बाद थोड़ा समय देकर बिल को जरूर पढ़ें।
  • खरीदारी के लिए ऑनलाइन भुगतान आराम से, सोच समझकर और फिर भुगतान करें। इससे आप ऑनलाइन फ्रॉड से बच सकते हैं।

ऑनलाइन खरीदारी करते हैं तब क्या करना चाहिए?


ऑनलाइन खरीदारी के दौरान आए दिन ग्राहकों के शिकायत आते हैं। कभी प्रोडक्ट को लेकर तो कभी भुगतान के नाम पर फ्राॅड। अगर आप ऑफलाइन से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो आपको ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। बता दें कि हाल ही में मोदी सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर नए नियम जारी कर दिए हैं। इसके लिए सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन (E-Commerce) रूल्स 2020 जारी किया है, जिसके तहत तमाम नियम-कायदे बनाए गए हैं। नियमों का उल्लंघन करने पर कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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जानिए क्या है ये नियम -

  • अब आप कोई भी सामान खरीदने से पहले ये पता कर सकेंगे कि वह कहां बना है । ताकि आप खुद ही ये तय कर सकें कि वो सामान खरीदना है या नहीं।
  • प्रोडक्ट को लेकर उसकी एक्सपायरी डेट, रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी और गारंटी जैसी सारी जानकारियों समेत डिलीवरी और शिपमेंट की जानकारी भी देनी होगी।
  • अगर ग्राहक को अपना फैसला लेने के लिए किसी और जानकारी की जरूरत है तो वह भी ई-कॉमर्स कंपनी को मुहैया करानी होगी।
  • नए नियमों के मुताबिक ई-कॉमर्स वेबसाइट ग्राहकों पर ऑर्डर कैंसिल करने के लिए कैंसिलेशन चार्ज नहीं लगा सकती है। यानी अगर आपने अब कोई प्रोडक्ट कैंसिल किया तो ई-कॉमर्स साइट कोई चार्ज नहीं मांगेगी। ऐसा करना नियमों का उल्लंघन होगा।
  • ई-कॉमर्स वेबसाइट कीमत को लेकर भी ग्राहकों को गुमराह नहीं कर सकती हैं। वह ज्यादा फायदा कमाने के लिए गलत कीमत नहीं दिखा सकती हैं। ना ही ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों के साथ किसी भी आधार पर भेदभाव कर सकती हैं।
  • ई-कॉमर्स वेबसाइट्स को ये भी बताना होगा कि उनके पास भुगतान के कौन-कौन से तरीके उपलब्ध हैं। इन भुगतान के तरीकों की सिक्योरिटी के बारे में भी बताना होगा
  • ई-कॉमर्स वेबसाइट को सेलर के बारे में पूरी जानकारी भी दिखानी होगी। इसमें उसके बिजनेस का नाम भी दिखाना होगा और ये बताना होगा कि वह रजिस्टर्ड है या नहीं। सेलर का पता, कस्टमर केयर नंबर और उसके बारे में मिली रेटिंग्स को भी दिखाना होगा।

पुराने से किस तरह अलग है यह नया कंज्यूमर कानून?


केंद्र सरकार ने इस कानून में कई बदलाव किए हैं। अब तक 20 लाख रुपए तक के मामलों की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम करते थे। इसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है। फिलहाल, कंज्यूमर की शिकायतों में 20 लाख से ज्यादा की राशि का विवाद होने पर स्टेट कमीशन में याचिका दायर करने जाना पड़ता था। नए कानून के अनुसार एक करोड़ रुपए से ऊपर और 10 करोड़ रुपए तक के मामले स्टेट कमीशन के सामने जा सकेंगे। वहीं, 10 करोड़ रुपए से ज्यादा के मामले नेशनल कमीशन में जाएंगे।


कहीं से भी कर सकते हैं शिकायत

  • नए कानून से कंज्यूमर को कहीं से भी इलेक्ट्रॉनिक तौर पर शिकायत दर्ज करने का विकल्प मिल गया है। वे अपने घर के पास के किसी भी कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  • पहले उन्हें वहां जाकर शिकायत करनी होती थी जहां सामान खरीदा है या जहां विक्रेता की रजिस्टर्ड ऑफिस है। लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं होगी।
  • कंज्यूमर्स के विवादों के निपटारे के लिए नए नियमों के तहत पांच लाख रुपए तक के केस फाइल करने पर कोई फीस नहीं लेगा।
  • यदि शिकायतकर्ता केस की सुनवाई में खुद फोरम पहुंचकर भाग नहीं ले पा रहा तो वह नए कानून के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हो सकता है।

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शिकायत से संबंधित नियम-

  • नए नियमों में ग्राहकों द्वारा की जाने वाली शिकायतों को भी ध्यान में रखा गया है। नियमों के मुताबिक ई-कॉमर्स वेबसाइट को हर शिकायत के साथ टिकट नंबर भी देना जरूरी होगा, जिसकी मदद से ग्राहक अपनी शिकायत का स्टेटस चेक कर सके।
  • कंज्यूमर मिलावटी और नकली सामान के लिए मैन्यूफैक्चरर्स और विक्रेताओं को कोर्ट में ला सकते हैं और हर्जाना मांग सकते हैं।
  • नए कानून में मैन्यूफैक्चर और विक्रेता डिफेक्टिव प्रोडक्ट या सर्विस की वजह से लगने वाली चोट या नुकसान की भरपाई करने के लिए जिम्मेदार होगा।
  • यदि डिफेक्टिव प्रोडक्ट की वजह से कंज्यूमर को कोई चोट नहीं लगी तो विक्रेता को 6 महीनों तक की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
  • यदि डिफेक्टिव प्रोडक्ट की वजह से कंज्यूमर को चोट लगती है तो सामान बेचने वाले को जेल की अधिकतम सजा 7 साल हो जाएगी और जुर्माना भी पांच लाख रुपए तक बढ़ जाएगा।
  • यदि डिफेक्टिव प्रोडक्ट या सेवा की वजह से कंज्यूमर की मौत हो जाती है तो विक्रेता को सात साल से उम्रकैद तक की सजा होगी। जुर्माना भी 10 लाख रुपए हो जाएगा।