Gratuity : 35 हज़ार की सैलरी वालों को ग्रेच्युटी में मिलेंगे पूरे 1,41,346 रुपए, जानिए कैलकुलेशन
HR Breaking News, New Delhi : अगर आप एक कर्मचारी है तो जान लीजिये की हाल ही में ग्रेच्युटी (Gratuity) को लेकर सरकार ने नियम बदला है. हालांकि, ये नियम ग्रेच्युटी पर लगने वाले टैक्स को लेकर है. 20 लाख रुपए तक की टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की लिमिट को अब 25 लाख रुपए कर दिया गया है. ये वो रकम होती है, जो कर्मचारी को संस्था या नियोक्ता (Employer) की तरफ से मिलती है. एम्प्लॉयर के पास कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक नौकरी करना जरूरी है. आमतौर पर ये रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या फिर वो रिटायर (Retirement) होता है. किसी वजह से कर्मचारी की मौत होने या दुर्घटना की वजह से उसके नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी उसे या उसके नॉमिनी (Gratuity nominee) को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.
क्या है ग्रेच्युटी की एलिजिबिलिटी?
ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के नियमों (Gratuity act 1972) के मुताबिक, ग्रेच्युटी की रकम अधिकतम (gratuity pay) 25 लाख रुपए तक हो सकती है. ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य है. इससे कम वक्त के लिए की गई नौकरी की स्थिति में कर्मचारी ग्रेच्युटी की पात्रता (gratuity eligibility) नहीं रखता. 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ने पर भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है. हालांकि, अचानक कर्मचारी की मौत या दुर्घटना होने पर नौकरी छोड़ने की स्थिति में ये नियम लागू नहीं होता.
कैसे कैलकुलेट होती है ग्रेच्युटी?
कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया). उदाहरण से समझिए
मान लीजिए कि आपने 7 साल एक ही कंपनी में काम किया. आपकी अंतिम सैलरी 35000 रुपए (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है तो कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार होगा-
(35000) x (15/26) x (7)= 1,41,346 रुपए. मतलब ये कि आपको 1,41,346 रुपए का भुगतान कर दिया जाएगा.
कैलकुलेशन में क्या है 15/26 का मतलब?
एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है. वहीं, महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. ग्रेच्युटी कैलकुलेशन की एक अहम बात ये भी है कि इसमें कोई कर्मचारी 6 महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी गणना एक साल के तौर पर की जाएगी. अगर कोई कर्मचारी 7 साल 7 महीने काम करता है तो उसे 8 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्युटी की रकम बनेगी. वहीं, अगर 7 साल 3 महीने काम करता है तो उसे 7 साल ही माना जाएगा.