Grounds for divorce : इन 8 तरीकों से हो जाता है एकतरफा तलाक, दोनों की मंजूरी जरूरी नहीं
HR Breaking News] डिजिटल डेस्क नई दिल्ली,भारत में अगर पति पत्नी दोनों स्वेच्छा से एक-दूसरे से तलाक लेना चाहते हैं तो कानूनी रूप से ऐसा करना बेहद आसान होता है. कई बार एकतरफा तलाक लेना कोर्ट मे मुश्किल होता है लेकिन 8 ऐसे मजबूत आधार हैं, जिनके ग्राउंड पर बेहद आसानी से कोर्ट से तलाक मिल जाता है. ये आधार पति और पत्नी, दोनों के लिए उपलब्ध हैं. अदालत इन 8 वजहों से किसी को भी एकतरफा तलाक दे सकती है.
1. व्यभिचार: अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति दूसरे को धोखा देते हुए किसी, तीसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रहा है, उसके सबूत आपके पास मौजूद हैं तो कोर्ट तलाक दे सकता है. हालांकि अगर पति या पत्नी, किसी पर शक करते हैं या फिर पति या पत्नी में से किसी एक व्यक्ति का कोई गहरा दोस्त है, उसकी चैटिंग पर व्यभिचार साबित नहीं हो सकता. इसका मजबूत आधार होना चाहिए, जिसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके.
2. हिंसा: एक पार्टनर के तौर पर 2 तरह की हिंसा होती है. पहली शारीरिक और दूसरी मानसिक. अगर पति या पत्नी में से कोई एक शारीरिक या मानसिक हिंसा का दोषी है जिसे कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके, उसे आधार बनाकर तलाक दिया जा सकता है
3. एक दूसरे के साथ नहीं रह रहेः शादी होने के बाद भी अगर पति या पत्नी 2 साल के लंबे अंतराल के बीत जाने के बाद भी, एक दूसरे के साथ नहीं रह रहे हैं तो यह भी एकतरफा तलाक का आधार हो सकता है. उदाहरण के तौर पर अगर शादी होने के कुछ दिन बाद ही पत्नी मायके चली गई, पति के कई बार बुलाने के बाद भी ससुराल वापस आने को तैयार नहीं हुई और पत्नी के ससुराल और पति के पास वापस ना आने का समय 2 साल से ऊपर का हो चुका है तो इस आधार पर पति, पत्नी को एकतरफा तलाक देने के के लिए स्वतंत्र है.
4. धर्म परिवर्तन: अगर पति या पत्नी अलग-अलग धर्मों से हैं, शादी करने के वक्त भी दोनों ने अपने धर्म में रहना ही स्वीकार किया है तो ऐसी स्थिति में शादी के बाद पति या पत्नी में से कोई भी दूसरे पार्टनर को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं कर सकता. अगर ऐसा किया जाता है तो ऐसी स्थिति में यह एकतरफा तलाक लेने लेने का कोर्ट में एक मजबूत आधार बन सकता है.
5. संन्यास: पति या पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति अगर शादीशुदा जिंदगी को छोड़कर संन्यास लेने का फैसला करता है तो फिर दूसरे व्यक्ति के पास कोर्ट से एकतरफा तलाक लेने का पूरा अधिकार है. माना जाता है कि शादी के बाद पति-पत्नी दोनों पर एक दूसरे की पारिवारिक सामाजिक और शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है. अगर एक व्यक्ति उन सभी जिम्मेदारियों को छोड़कर संन्यास लेने का फैसला कर रहा है तो फिर उस व्यक्ति से तलाक लेने का दूसरे व्यक्ति को कानूनन पूरा अधिकार है.
6. गुमशुदगी: अगर कोई व्यक्ति 7 साल पूरे होने के बाद भी गायब है और दूसरे पार्टनर को यह नहीं पता कि वह व्यक्ति जीवित भी है या मर चुका है, ऐसी स्थिति में गायब हुए व्यक्ति से दूसरा पार्टनर तलाक लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकता है. देश का कानून यह मानता है अगर कोई भी व्यक्ति अपनी गुमशुदगी के 7 साल पूरा होने के बाद भी वापस नहीं आ पाया है तो वह जीवित नहीं है.
7. गंभीर शारीरिक या मानसिक रोग: अगर आपके पाटनर को कोई गंभीर शारीरिक रोग मसलन एड्स, कुष्ठ रोग जैसी कोई बीमारी है तो फिर इसके लिए एक तरफा तलाक की अर्जी कोर्ट में लगाई जा सकती है. इसके अलावा सिजोफ्रेनिया या किसी अन्य गंभीर मानसिक रोग होने की स्थिति में भी एकतरफा तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल की जा सकती है. ऐसे मामलों में अक्सर कोर्ट की तरफ से तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया जाता है. कोर्ट मानता है कि अगर पार्टनर को कोई ऐसा गंभीर शारीरिक या मानसिक रोग है, जिससे दूसरे व्यक्ति की जान जा सकती है तो फिर ऐसी स्थिति में एकतरफा तलाक कोर्ट द्वारा दे दिया जाता है.
8. नपुंसकता: कई मामलों में नपुंसकता के आधार पर भी कोर्ट के द्वारा एकतरफा तलाक दिया जा सकता है