किसान आंदोलन – मेघालय के राज्य सत्यपाल मलिक ने किसानों को लेकर जताई चिंता – बोले गलत राह पर चल रहे है मोदी – शाह

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। चंडीगढ़तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान लंबे समय से दिल्ली की बॉर्डर पर जमे हुए है। दूसरी ओर कोरोना की आड़ में भाजपा सरकार को किसान आंदोलन खत्म करने के लिए आप्रेशन क्लीन की तैयारी में है। वही किसान नेताओं के आह्वान पर पंजाब एवं हरियाणा के किसान बड़ी संख्या में दिल्ली
 

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। चंडीगढ़
तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान लंबे समय से दिल्ली की बॉर्डर पर जमे हुए है। दूसरी ओर कोरोना की आड़ में भाजपा सरकार को किसान आंदोलन खत्म करने के लिए आप्रेशन क्लीन की तैयारी में है। वही किसान नेताओं के आह्वान पर पंजाब एवं हरियाणा के किसान बड़ी संख्या में दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने लगे है। दिल्ली की बॉर्डर पर किसानों को लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने चिंता व्यक्त की है।

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उन्होंने दादरी के निर्दलीय विघायक और सांगवान खाप 40 के प्रधान सोमबीर सांगवान को पत्र भेजा है। जिसमें किसान आंदोलन को जायज ठहराया गया। वही उन्होंने पत्र में अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी के गलत रास्ते पर चलने की बात कही गई है। दादरी के विघायक सोमबीर सांगवान ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक का पत्र मिलने की पुष्टि की है। किसान नेता एवं विधायक सोमबीर सांगवान को लिखे पत्र में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को यह बताने की कोशिश की है कि वे गलत रास्ते पर हैं और किसानों को दबाने, डराने और धमकाने का प्रयास न करें। 

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मई के पहले सप्ताह में दिल्ली आएंगे मलिक
राज्यपाल ने पत्र में बताया कि मैंने यह भी कहा है कि किसानों को दिल्ली से खाली हाथ न लौटाएं। मैं मई के पहले सप्ताह में दिल्ली आ रहा हूं और इससे संबंधित सभी नेताओं से संपर्क करके किसानों के पक्ष में उन्हें सहमत करने का प्रयास करूंगा। सोमबीर सांगवान ने बताया कि किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखा था। इस पत्र का अब उन्होंने जवाब दिया है। विधायक ने अमर उजाला को पत्र की प्रति भी मुहैया करवाई है।

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सरकार कर रही आंदोलन को तोड़ने और बदनाम करने का काम
राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि आंदोलन के कारण 300 से अधिक किसानों को खोना दुखद है। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने इन किसानों के प्रति संवेदना में एक शब्द भी नहीं कहा। केंद्र सरकार की मंशा ठीक नहीं है और वह आंदोलन को तोड़ने और बदनाम करने का प्रयास कर रही है। किसान बधाई के पात्र है कि इन सबके बावजूद वे शांतिपूर्ण तरीके से शानदार और लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं।