High Court ने कहा- सिबिल स्कोर खराब होने पर भी इस लोन को रिजेक्ट नहीं कर सकते बैंक, SBI को लगाई कड़ी फटकार

High Court - बता दें कि हाल ही में हाई कोर्ट ने अपनी एक केस में सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी में कहा है कि सिबिल स्कोर कम होने के बावजूद किसी लोन का आवेदन बैंक रद्द नहीं कर सकता है.... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े। 
 

HR Breaking News, Digital Desk-    खराब सिबिल स्कोर वालों को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली है।  हाईकोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कहा है कि CIBIL (Credit Information Bureau (India) Limited) स्कोर कम होने के बावजूद किसी के एजुकेशन लोन का आवेदन बैंक रद्द नहीं कर सकता।

बैंकों को सख्त फटकार लगाते हुए जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने शिक्षा ऋण के लिए आवेदनों पर विचार करते समय बैंकों से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए आगाह किया है। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट ने छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "छात्र कल के राष्ट्र निर्माता हैं। उन्हें भविष्य में इस देश का नेतृत्व करना है। केवल इसलिए कि एक छात्र का क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) कम है, जो शिक्षा ऋण के लिए आवेदक है, मेरा मानना ​​है कि वैसे छात्रों के शिक्षा ऋण आवेदन को बैंक द्वारा अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।"

 

 

जानिये क्या है पूरा मामला

इस मामले में याचिकाकर्ता, जो एक छात्र है, ने दो ऋण लिए थे, जिनमें से एक ऋण का 16,667 रुपये अभी भी बकाया है। बैंक ने दूसरे लोन को बट्टा खाते में डाल दिया था। इस वजह से याचिकाकर्ता का सिबिल स्कोर कम हो गया था। याचिकाकर्ता के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि जब तक कि राशि तुरंत प्राप्त नहीं हो जाती, याचिकाकर्ता बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने प्रणव एसआर बनाम शाखा प्रबंधक और अन्य (2020) का उल्लेख किया, जिसमें न्यायालय ने माना था कि एक छात्र के माता-पिता का असंतोषजनक क्रेडिट स्कोर शिक्षा ऋण को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है, क्योंकि छात्र की शिक्षा के बाद ही उसकी ऋण अदायगी की क्षमता योजना के अनुसार निर्णायक कारक होनी चाहिए। वकीलों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव मिला है और इस तरह वो पूरा लोन चुकाने में सक्षम होगा।

इस पर, प्रतिवादी पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि इस मामले में अंतरिम आदेश देना, याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत के तहत, भारतीय बैंक संघ और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्देशित योजना के खिलाफ होगा। वकीलों ने आगे यह भी कहा कि साख सूचना कंपनी अधिनियम, 2005 (Credit Information Companies Act, 2005) और साख सूचना कंपनी नियम, 2006 और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी परिपत्र वर्तमान याचिकाकर्ता की स्थिति में लोन की राशि देने पर रोक लगाते हैं। 

कोर्ट (High Court)  ने वास्तविक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और इस तथ्य पर गौर करते हुए कि याचिकाकर्ता ने ओमान में नौकरी प्राप्त कर ली है, कहा कि सुविधाओं का संतुलन याचिकाकर्ता के पक्ष में होगा और शिक्षा ऋण के लिए आवेदन केवल कम क्रेडिट के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। 

 बैंक और फाइनेस कंपनियों को जारी किए ये निर्देश


लोन से जुड़े एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई व्यक्ति गाड़ी खरीदने के लिए फाइनेंस कंपनी से लोन लेता है और लोन की किस्त (EMI) समय पर चुकाने में असमर्थ होता है तो फाइनेंस कंपनी का वसूली एजेंटों (Loan Recovery Agent) के जरिए गाड़ी को जब्त करना गैरकानूनी है।  हाईकोर्ट ने कहा है कि बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति फाइनेंस कंपनी से लोन पर गाड़ी लेता है और वो उसकी किस्त (Loan EMI) समय पर नहीं चुका  चुका पाता है तो फाइनेंस कंपनी के दबंग जबरन उस व्यक्ति से उसकी गाड़ी को जब्त कर लेते हैं जो कि गलत है और इसीलिए कोर्ट ने अब फाइनेंस कंपनी और पर जुर्माना लगाया है।


हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट  लोन की EMI नहीं चुकाने की स्थिति में जबरन किसी व्यक्ति से गाड़ी जब्त करते हैं तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की  जानी चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए।