किरायेदार से ऐसे खाली करवाएं मकान : Supreme Court
Property Dispute : किरायेदार अगर आपकी दुकान या मकान पर जम कर बैठ गया ह्यै और वो समय खत्म होने पर प्रॉपर्टी को खाली नहीं कर रहा तो इस हालत में supreme court ने बताया है की कैसे प्रॉपर्टी को खाली करवाया जाये
HR Breaking News, New Delhi : आज के समय में जहां सभी लोगों के पास अपने मकान और प्रॉपर्टी का होना सही माना गया है। अपने घर की तो बात कुछ और ही होती है अपने घर को अपने हिसाब से सजाया व संवारा जा सकता है। किसी का कोई भी जोर नहीं होता कि वे आपको आपके घर से अलग कर दे। ऐसा माना जाता है कि इंसानों के जीवन मे घर का होना बहुत मायने रखता है, वह भी खुद का घर।
इसके अलावा भी कई लोग ऐसे होते हैं, जो खुद का घर नहीं बना पाते हैं। ऐसे लोग किराए के मकान में रहते हैं और अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाते हैं। कई बार लोग किराए में दुकान भी लेते हैं और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाते है। ऐसा करने से आसानी से उन लोगों की आजीविका चल जाती है। अपने ही घर के हिस्से में कमरा या दुकान किराए में दे देते हैं। किराए पर मकान देना व्यवसाय का अच्छा माध्यम माना जाता है। कई बार लोग अपने लोन की किश्तों को किराए के पैसे से अदा करते हैं तो यह उनके लिए अच्छा सौदा होता है।
सिर्फ वसीयत या मुख्तारनामे से नहीं बन सकते प्रॉपर्टी के मालिक : Supreme court
किराएदार से मकान या दुकान खाली कराने का प्रावधान क्या हैं?
आजकल देखा जाता है कि जब किराए से मकान या दुकान लिया जाता है, तो एक एग्रीमेंट कराया जाता है। एग्रीमेंट 11 महीनों का होता है। अगर एग्रीमेंट खत्म हो गया हो, तो फिर से एग्रीमेंट की अवधि बढ़ा दी जाती है या किराएदार को मकान या दुकान खाली करके जाना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक किराएदार से घर या मकान खाली कराने के 2 तरीके है
1) यदि रेंट एग्रीमेंट खत्म हो गया हो।
2) जब “ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के सेक्शन 106 “के तहत कानूनी नोटिस भेजकर मकान मालिक लीज को रद्द कर दे।
यदि किराएदार मकान या दुकान खाली ना करें, तो क्या करें?
सिर्फ वसीयत या मुख्तारनामे से नहीं बन सकते प्रॉपर्टी के मालिक : Supreme court
कभी-कभी किराएदार से मकान या दुकान खाली करवाना बहुत बड़ी समस्या हो जाती है। जब घर में मकान मालिक बुजुर्ग हो, तब तो दिक्कत और भी बढ़ जाती है। ऐसे में परेशान ना होना ही सही है।
- जब भी मकान या दुकान को किराए पर दिया जाए, तो रेंट एग्रीमेंट जरूर बनाना चाहिए। यह एक अहम दस्तावेज होता है। इस एग्रीमेंट के हिसाब से किराएदार की अवधि और हर महीने का जिक्र होना चाहिए ताकि विवाद की स्थिति में बेदखली का मुकदमा किया जा सके।
- जब भी रेंट एग्रीमेंट बनाया जाए, तो उसमें मकान या दुकान के खाली करने की कोई शर्त अवश्य होनी चाहिए ताकि कोई विवाद होने पर आपके पास सबूत रह सके।
- यदि किराएदार का रेंट एग्रीमेंट खत्म हो गया हो या “ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के सेक्शन 106” के तहत मकान मालिक कानूनी रूप से लीज रद्द कर दे। इसके बावजूद मकान या दुकान खाली ना किया गया हो, तो जिला अदालत में बेदखली का मुकदमा दायर किया जा सकता है।
- किसी भी किराएदार को मकान या दुकान को किराया देने से पहले राज्य के “रेंट कंट्रोल एक्ट” के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए।
- मकान खाली कराने के लिए वकील की मदद से एक नोटिस जारी करवाया जा सकता है।
सिर्फ वसीयत या मुख्तारनामे से नहीं बन सकते प्रॉपर्टी के मालिक : Supreme court
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला –
कई बार मकान मालिक और किराएदार के बीच समस्या बढ़ जाती है। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बड़ा फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार “यदि आप की वास्तविक या मालिक संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए यदि समय सीमा के अंदर काम कदम नहीं उठा पाएंगे तो मालिकाना हक समाप्त हो सकता है। जिस किराएदार ने संपत्ति पर कब्जा कर रखा हो बस वही किराएदार की हो जाएगी।
यदि एक बार किराएदार को मालिकाना हक मिल जाए, तो कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में रहकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है इसलिए किसी को भी किराए पर मकान या दुकान देते समय रेंट एग्रीमेंट, हाउस रेंट बिल जैसे कानूनी कार्यवाही जरूर करनी चाहिए जिससे ज्यादा परेशानी ना उठाना पड़े।
किराएदार से मकान या दुकान खाली कैसे करवाएं?
कभी-कभी मकान में दुकान खाली करवाना आसान नहीं होता है। ऐसे में कुछ नियमों के तहत रह कर मकान या दुकान खाली करवाया जा सकता है।
सिर्फ वसीयत या मुख्तारनामे से नहीं बन सकते प्रॉपर्टी के मालिक : Supreme court
1) प्रॉपर्टी खाली करने के लिए दबाव बनाएं
अगर सही तरीके से प्रॉपर्टी खाली ना हो रही हो, तो पुलिस से शिकायत कर दबाव बनाया जा सकता है। साथ ही साथ पड़ोसी या जान पहचान के लोगों के साथ भी समझा-बुझाकर मकान या दुकान खाली करवाया जा सकता है।
2) किराएदार को दे नोटिस
यदि बात कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हो, तो ऐसे में किराएदार को कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है।
3) सिविल कोर्ट में याचिका डालें
किराएदार से बहुत परेशान होने की स्थिति में सिविल कोर्ट में याचिका डाल सकते हैं। इसमें सुनवाई अधिकतर मकान मालिक के पक्ष में ही होती है इससे प्रॉपर्टी जल्दी खाली हो सकती है।
भारत में किरायेदारों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सिर्फ वसीयत या मुख्तारनामे से नहीं बन सकते प्रॉपर्टी के मालिक : Supreme court
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार यदि मकान मालिक अपने किराएदार से परेशान हैं। बहुत समझाने के बाद भी मकान खाली नहीं कर रहा है, तो यह गलत है। मकान या दुकान यदि मकान मालिक के नाम पर रजिस्टर्ड है, तो ऐसी स्थिति में बलपूर्वक किराएदार से मकान खाली कराई जा सकती है। यहां पर बल को परिभाषित नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जितने भी बल की आवश्यकता हो,उतने ही बल का उपयोग करें। अति उत्साही होकर कार्य करने से बचें। इस मामले के लिए कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं होती है यदि हो सके तो कोर्ट के बाहर ही मामला सुलझाना सही होगा।