income tax department : इतने साल पुराने केस नहीं खोल सकता इनकम टैक्स विभाग, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

income tax case rule : इनकम टैक्स के दायरे में आने वाले हर भारतीय नागरिक को टैक्स अदा करना होता है। जो लोग टैक्स नहीं भरते हैं और राजस्व को नुकसान पहुंचाते हैं। आयरक विभाग उन लोगों की जांच करता है और कार्रवाई करता है। लेकिन आयकर विभाग को भी एक हद में रहकर कार्रवाई करने का हक है। ऐसा नहीं है कि इनकम टैक्स (income tax) विभाग किसी भी केस को कभी भी खोल ले। चलिए जानते हैं कि आयकर विभाग कितने साल पुराना केस खोल सकता है। 

 

HR Breaking News - (Income Tax Rule) इनकम टैक्स रिटर्न के दायरे में आने वाले हर व्यक्ति को कर भरना होता है। यह सभी के लिए अनिवार्य है। ITR यानी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना एक जिम्मेदारी वाला कार्य है।

इसलिए टैक्स से जुड़े काम को बड़ी बारीकी से पूरा किया जाता है। इसको लेकर भारत में कई तरह के नियम बनाए गए हैं। जब भी कोई करदाता टैक्स नहीं भरता है या फिर आईटीआर में इनकम का सही ब्योरा नहीं देता है तो ऐसे में इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) मामले को खंगालने में देरी नहीं करता है। 

 

 

कई बार देखने को मिलता है कि टैक्स (Income Tax Rule) से जुड़े मामले में हेरफेर किए हुए कई साल गुजर जाते हैं। लेकिन आयकर विभाग की जब नजर पड़ती है तो उस केस को फिर से खोल लिया जाता है। लेकिन अब इनकम टैक्स विभाग अपनी मनमर्जी करते हुए टैक्स से जुड़े पुराने मामले को नहीं खोल सकेगा। इसके लिए आयकर विभाग ने नियमों व शर्तों का पालन करना होगा। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला - 


दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court Decision) ने इनकम टैक्स से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि आयकर विभाग ने टैक्स से जुड़ा तीन साल पुराना मामला नहीं खोल सकता है। कोर्ट का कहना है कि आमतौर पर 3 साल से अधिक पुराने मामलों में रिअसेसमेंट ऑर्डर नहीं जारी हो सकता है। हालांकि, अगर 50 लाख रुपये से अधिक इनकम छुपाने और सीरीयस फ्रॉड से जुड़े मामलों में 10 साल तक रिअसेसमेंट (Reassessment Rule) हो सकता है और आयकर विभाग कार्रवाई कर सकता है। 

जानिए पूरा मामला- 

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court Decision) ने फैसला सुनाते हुए कहा, कि तीन साल से ज्यादा पुराने और 50 लाख से कम की इनकम में गड़ब से जुड़े मामले को अब आयकर विभाग नहीं खोल सकता है। Law of Limitation की वजह से 3 साल पुराने मामले को खोलने के लिए कुछ नियमों व शर्तों का पालन करना होगा। अगर सीरीयस फ्रॉड और 50 लाख रूपए से ज्यादा की आय में हेरफेर का मामला है तो आयकर विभाग उस मामले पर कार्रवाई कर सकता है। 


कानून के हवाले से दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court)  ने फैसला सुनाते हु कहा है कि असेसमेंट ईयर के 3 साल बीतने के बाद आयकर विभाग करदाता को  सामान्यत नोटिस नहीं भेज सकता है। 

बजट 2021-22 के दौरान रिअसेसमेंट को लेकर नया IT कानून बनाया गया था।  जिसमें 6 साल से रिअसेसमेंट पीरीयड को कम करके  3 साल कर दिया गया था। 50 लाख से ज्यादा और सीरीयस फ्रॉड में 10 साल तक रिअसेसमेंट हो सकती है। 


सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था बड़ा फैसला - 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने अभिसार बिल्डवेल मामले में सुनवाई करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि ITR कानून की धारा 153-ए के तहत आयकर विभाग रिएसेसमेंट प्रॉसीडिंग के दौरान किसी करदाता की आय में कोई एडीशन नहीं कर सकते हैं। 


इसके लिए आयकर विभाग  (Income Tax Department) के अधिकारों के पास कोई ठोस सबूत होना चाहिए।  हालांकि, इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ITR कानून की धारा 147 और 148 के तहत रिएसेसमेंट रिस्टोर की जा सकती है।

धारा 148 (पुरानी व्यवस्था) के तहत आयकर विभाग को अधिकार हैं कि वह इनकम टैक्स से जुड़े 6 साल पुराने मामलों को भी खोल सकते हैं। फाइनेंस एक्ट, 2021 में 148ए धारा का जोड़ा गया। इसमे आयकर विभाग 10 साल पुराने मामलों (Income Tax rule) को भी खोला सकता है। लेकिन इसके लिए कम से कम वार्षिक इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा होनी चाहिए। 

CBDT के अनुसार, पुराने मामलों को खोलते समय यह लिमिट लागू होगी। कहने का मतलब यह है कि अगर 50 लाख रुपये से सालाना आय कम होती है तो आयकर विभाग मामले को नहीं खोल सकता है।