Income Tax : टैक्सपेयर्स के हक में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, इनकम टैक्स से कहा- वापस करो पैसे
बॉम्बे हाईकोर्ट ने टैक्सपेयर्स के हक में बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने आयकर विभाग के फटकार लगते हुए कहा कि टैक्सपेयर्स का पैसा वापस किया जाए। नीचे खबर में विस्तार से पढ़ें-
HR Breaking News (नई दिल्ली)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में आयकर विभाग को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने न्यायिक अनुशासन के महत्व को रेखांकित करते हुए अधिकारियों को 16 लाख रुपये वकील के वापस करने को कहा है। एयर इंटेलिजेंस यूनिट (एआईयू) ने ये रकम मुंबई के एक वकील से उसकी जब्त किए थे, जो दो मामलों में पेश होने सुप्रीम कोर्ट जाने वाले थे।
न्यायमूर्ति के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति एफ पी पूनीवाला की पीठ ने कहा, 'यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि राजस्व अधिकारी अपीलीय प्राधिकरण के फैसले से बंधे हों।' आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आई. टी. ए. टी.) ने मई में वकील के स्पष्टीकरण को स्वीकार कर लिया कि यह उनके मुवक्किलों से मिली प्रफेशनल इनकम थी जिस पर उन्होंने बाद में कर का भुगतान किया। हाई कोर्ट ने पाया कि न्यायाधिकरण का आदेश अतिरिक्त आयुक्त और उनके अधीनस्थ अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं। हाई कोर्ट ने की पीठ ने कहा, 'न्यायिक अनुशासन के सिद्धांत के लिए आवश्यक है कि उच्च अपीलीय प्राधिकरण के आदेशों का पालन अधीनस्थ अधिकारी करें।
अधिवक्ता राम मेंडाडकर ने 25 वर्षों से अधिक समय से वकालत कर रहे हैं। राम मेंडाडकर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अवैध रूप से जब्त किए गए अपने धन को वापस पाने की मांग की थी। एआईयू ने जुलाई 2018 में दिल्ली हवाई अड्डे पर मेंडाडकर को रोका था और उसके सामान में 2,000 रुपये, 500 रुपये और 100 रुपये के नोटों में 16 लाख रुपये पाए थे। विभाग ने कहा कि यह अस्पष्टीकृत आय थी।
12 मई के बाद लगेगा ब्याज
आईटीएटी के उनके पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को 31 अगस्त तक मेंडाडकर से जब्त किए गए पूरे 16 लाख रुपये वापस करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर आईटी इसमें विपल रही तो उसे 12 मई से उस पर ब्याज देना होगा।
दिल्ली जा रहे थे वकील
मेंडाडकर ने बताया कि यह नकदी दो मुवक्किलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में रेकॉर्ड पर वकील को भुगतान की जाने वाली फीस के लिए थी। वह दोनों मामलों के लिए एक वरिष्ठ वकील को नियुक्त करने जा रहे थे। उनकी याचिका में उस वरिष्ठ वकील के नाम का उल्लेख नहीं था जिसे वे नियुक्त करना चाहते थे।
रकम पर हुआ विवाद
वकील ने बताया कि उनके ग्राहकों ने उनकी पेशेवर फीस के रूप में अप्रैल 2018 में लगभग 6 लाख रुपये नगद और 17 लाख रुपये चेक से जमा किए थे। आईटी आकलन करने वाले वकील और आयुक्त (अपील) ने उनके स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया, लेकिन आईटीएटी ने उनके पेशेवर शुल्क खाते को देखा और संतुष्ट था कि राशि का हिसाब रखा गया था।
हाई कोर्ट ने कहा- अत्यधिक आपत्तिजनक
मेंडाडकर ने कहा कि आयकर आयुक्त अपने मुवक्किल के पैसे के स्रोत के बारे में स्पष्टीकरण की मांग नहीं कर सकते। आयकर विभाग ने मेंडाडकर की याचिका का विरोध किया और हाई कोर्ट से आईटीएटी के आदेश पर विचार नहीं करने का अनुरोध किया जो सीआईटी (ए) के दिए गए औचित्य पर विचार करने में त्रुटिपूर्ण था। हाई कोर्ट ने इसे अत्यधिक आपत्तिजनक कहने के बाद, अधिकारी ने हलफनामा वापस ले लिया।
अधिकारियों को ट्रेनिंग का निर्देश
हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है, 'अगर आयकर विभाग के अधिकारियों को इस तरह से जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो इसके परिणामस्वरूप केवल करदाताओं को अनुचित उत्पीड़न और कर कानूनों के प्रशासन में अराजकता होगी। उम्मीद है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय, आयकर और केंद्रीय निदेशक, प्रत्यक्ष कर, अपने अधिकारियों को उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित करने के लिए ओरिएंटेशन करेंगे।'