Indian Railway : एक रेल के इंजन की कीमत जान पकड़ लेंगे सिर

Indian Railway :  मौजूदा समय में ट्रेन का इंजन 16 सिलेंडर के साथ आता है। एक सिलेंडर की क्षमता 10,941 सीसी की होती है। अगर इसे 16 से गुना करें तो, एक इंजन की क्षमता लगभग 1,75,000 सीसी होती है। 

 

HR Breaking News (नई दिल्ली)।  ट्रेन के भारी भरकम डिब्बों को खींचने के लिए लोकोमोटिव इंजन को बेहद पावरफुल बनाया जाता है. लंबी दूरी तय करने के लिए और ज्यादा समय तक बिना खराब हुए चलते रहने के लिए इसे काफी टिकाऊ भी बनाया जाता है. जैसे कार के इंजन की पॉवर को 1000, 1200 या 1500cc में गिना जाता है वैसे ही ट्रेन के इंजन की पॉवर का भी पता लगाया जा सकता है.

भारत में चलने वाले एक डीजल लोकोमोटिव इंजन में 16 सिलेंडर होते हैं. एक सिलेंडर में 150 लीटर के आसपास डीजल का इस्तेमाल होता है. इसकी तुलना एक कार से करें तो, आमतौर आमतौर पर एक कार का इंजन 3 या 4 सिलेंडर का होता है जिसमें 1 या 2 लीटर ईंधन का इस्तेमाल होता है. एक ट्रेन के फ्यूल टैंक की कैपेसिटी 50 हजार लीटर तक की होती है. आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि ट्रेन का इंजन कितना भारी होता है.

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कितने सीसी का होता है ट्रेन का इंजन?


मौजूदा समय में ट्रेन का इंजन 16 सिलेंडर के साथ आता है. एक सिलेंडर की क्षमता 10,941 सीसी की होती है. अगर इसे 16 से गुना करें तो, एक इंजन की क्षमता लगभग 1,75,000 सीसी होती है. अगर इसकी तुलना 1000 सीसी इंजन वाली हुंडई वेन्यू से करें तो एक ट्रेन के इंजन की पॉवर 175 वेन्यू कारों के बराबर होगी. हालांकि ऑटोमोटिव नियमों के अनुसार बड़े इंजन की पॉवर की गणना सीसी में नहीं बल्कि लीटर में की जाती है.

एक डीजल लोको सिलेंडर की क्षमता 10,941 सीसी होती है. एक लीटर का मतलब 1000 सीसी होता है. यानी कुल 16 सिलेंडर मिलाकर ट्रेन के इंजन की क्षमता 175 लीटर की होती है. बता दें कि ट्रेन का लोकोमोटिव इंजन अलग-अलग क्षमता का होता है.

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कितनी होती है इंजन की कीमत?


ट्रेन का इंजन अपने भार को खींचने के साथ साथ ट्रेन में लगे सभी डिब्बों को भी खींचता है. इतने पावरफुल इंजन को तैयार करने में रेलवे करोड़ों रुपये खर्च करती है. भारत में मुख्य रूप से दो तरह के इंजन, डीजल और इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल किया जाता है. मौजूदा समय में 52 फिसदी ट्रेनें डीजल इंजन से संचालित की जा रही हैं. इलेक्ट्रिक ट्रैक पर डीजल इंजन की परिचालन समस्या को दूर करने के लिए इन्हें डुअल मोड पर चलाया जा रहा है. यानी ये लोको इंजन आवश्यकता के अनुसार, डीजल और इलेक्ट्रिक दोनों पर चल सकते हैं.

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डुअल मोड वाले लोको इंजन लागत तकरीबन 18 करोड़ रुपये के आसपास आती है, जबकि सिंगल मोड पर चलने वाले 4500 एचपी डीजल इंजन पर 10-13 करोड़ रुपये का खर्च आता है. डुअल मोड वाले लोको इंजन भारी होते हैं और इनकी अधिकतम रफ्तार 135 किलोमीटर प्रति घंटे होती है.