Property news : बिना किसी जान पहचान ऐसे निकलेगा ज़मीन का 100 साल पुराना रिकॉर्ड 

property news hindi : जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीदने जाते हैं उसके दस्तावेज़ों का पूरा होना बहुत जरूरी है। अगर दस्तावेज़ सही होंगे तो ही वो प्रॉपर्टी आपके नाम हो सकती है | प्रॉपर्टी नाम करवाने से पहले आपको यह पता होना चाहिए की इस प्रॉपर्टी का पिछला बैकग्राउंड क्या है और पहले इसके कितने मालिक रहे चुके हैं। प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड निकालना भी एक सिरदर्दी वाला काम है। पर अब यी काम बेहद आसानी से हो जायेगा क्योंकि अब आप बिना किसी जान पहचान के ज़मीन का 100 साल पुराना भी रिकॉर्ड निकलवा सकते हैं 

 

HR Breaking News, New Delhi :  कोई भी ज़मीन खरीदने से पहले उसके दस्तावेज़ों का चेक करना बहुत जरूरी है | अगर दस्तावेज़ सही होंगे तो ही प्रॉपर्टी आपके नाम हो सकती है | प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसका रिकॉर्ड चेक कर लें. पहले यह काम काफी मुश्किल होता था और ऑफिस के चक्‍कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन हो गया है. अगर आप पुराने दस्‍तावेज निकालना चाहते हैं तो आराम से ऑनलाइन जाकर 10-20 साल नहीं, बल्कि 50 से 100 साल तक का रिकॉर्ड फटाफट आपके हाथ में होगा.

पहले लोगों को भूमि संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए राजस्व विभाग के चक्कर काटने पड़ते थे. बिना जान-पहचान के कोई काम होना बेहद ही मुश्किल था. पर आज ऐसा नहीं है. आप बिना किसी पहचान के भी जमीन का पुराना रिकॉर्ड आसानी से निकाल सकते हैं. ऐसे तो हमें जमीन का 50 साल पुराना ही चाहिए होता है, लेकिन कई बार 100 साल पुराने रिकॉर्ड की भी जरूरत पड़ जाती है. अगर आप भी जमीन का पुराना रिकॉर्ड निकालना चाहते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. हम आपको इसका तरीका बता रहे हैं…

 

 

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जमीन का पुराना रिकॉर्ड देखने के लिए लगभग सभी राज्यों के राजस्व विभाग द्वारा ऑफिशियल पोर्टल लॉन्च किया जा चुका है. आप अपने राज्य के भूलेख पोर्टल पर जाकर जमीन का 100 साल पुराना रिकॉर्ड भी देख सकते हैं. आप किसी भी जमीन का पुराना से पुराना रिकॉर्ड केवल नाम, खसरा नंबर, खाता संख्या, जमाबंदी नंबर से देख सकते हैं. चलिए हम आपको इसका प्रोसेस बताते हैं-


– मान लीजिए आप बिहार, यूपी और दिल्ली के निवासी हैं तो भूमि के रिकॉर्ड के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सबसे पहले आपको Revenue Department, Bihar, UP, Delhi की आधिकारिक वेबसाइट http://bhumijankari.bihar.gov.in/ पर जाना होगा.

– इसके बाद आप बिहार स्वराज विभाग की आधिकारिक वेबसाइट के Homepage पर आ जायेंगे. यहां आप view registered document के ऑप्शन पर क्लिक करें.

– Click करते ही आपकी स्क्रीन पर एक नया पेज ओपन हो जाएगा. यहां आपको मांगी गई सभी जरूरी जानकारी भरकर Search Button पर क्लिक करना है.

– जैसे ही आप Search Button पर क्लिक करेंगे आपके सामने एक नया पेज ओपन हो जाएगा, इसमें आपको नीचे click here to view the details के आप्शन पर क्लिक करना होगा.

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– अब आपकी स्क्रीन पर जमीन से संबंधित सभी जरूरी Records / information दिखाई देगी. अगर आप और अधिक विवरण देखना चाहते है तो view details के ऑप्शन पर क्लिक कर दें.

ऑफलाइन निकालना हो रिकॉर्ड तो..
अगर आप ऑफलाइन जमीन का पुराना रिकॉर्ड देखना चाहते हैं तो आपको राजस्व विभाग के कार्यालय में जाना है. फिर आपको स्वराज विभाग के संबंधित अधिकारी से भूमि का रिकॉर्ड देखने के लिए एप्लीकेशन फॉर्म प्राप्त करना होगा. अब आपको इस में पूछे गए सभी महत्वपूर्ण जानकारी भरकर और निर्धारित शुल्क को संबंधित अधिकारी के पास जमा करना होगा. जिसके उपरांत स्वराज विभाग के अधिकारी के द्वारा आप को जमीन के पुराने कागजों की प्रतिलिपि प्रदान कर दी जाएगी.

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले चेक कर लें ये डॉक्यमेंट- 

किसी भी व्यक्ति के लिए प्रॉपर्टी खरीदना जीवन में सबसे महत्वपूर्ण काम में से एक है। आप सारी जमा पूंजी, भारी कर्ज और बड़े अरमानों से प्रॉपर्टी खरीदारी का फैसला करते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई आसानी से चट ना कर सके।
प्रॉपर्टी के कागजात (property documents) चेक करने में आपकी लापरवाही आपके जीवन भर की बचत को एक मिनट में उड़ा सकती है।

देश में औसत व्यक्ति बड़ा लोन लेकर ही प्रॉपर्टी खरीदता है। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। यहां आपको उन दस्तावेजों की सूची बता रहे हैं जिन्हें चेक कर आप इस सौदे को सही तरीके से पूरा कर सकते हैं।

सेल डीड


यह क़ानूनी दस्तावेज है जो प्रॉपर्टी के मालिकाना हक़ की पुष्टि करता है। या इस बात का भी सबूत है कि प्रॉपर्टी पुराने मालिक से मौजूदा विक्रेता को ट्रांसफर की गयी है।

प्रॉपर्टी का टाइटल क्लियर होने के साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि सेल डीड (sale deed) स्थानीय रजिस्ट्रार के दफ्तर में रजिस्टर्ड हो। एक लॉयर आशा नायर ने कहा, 'सबसे पहले यह चेक करें कि जो प्रॉपर्टी आप खरीद रहे हैं उसका टाइटल डीड क्लियर हो।' इसका मतलब यह है कि उस प्रॉपर्टी पर कोई विवाद ना हो।

संपत्ति का टाइटल डीड एक क़ानूनी दस्तावेज है जो प्रॉपर्टी के मालिकाना हक़ की पुष्टि करता है। बसु ने कहा, 'आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो व्यक्ति आपको प्रॉपर्टी बेच रहा है, टाइटल डीड उसी के नाम से हो।

सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप किसी वकील से ही प्रॉपर्टी डीड को वेरीफाय करायें, इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि कागज सही हैं और उनमें कोई कमी नहीं है।'

बिल्डिंग प्लान अप्रूवल


अगर आप किसी बिल्डिंग में फ्लैट खरीद रहे हैं तो यह सुनिश्चित करें कि बिल्डर ने बिल्डिंग प्लान संबंधित अथॉरिटी से मंजूर जरूर कराया हो। यह संबंधित अथॉरिटी के कमिश्नर या उनके द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी से अप्रूव कराया जाना चाहिए। इससे आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि बिल्डर ने मकान क़ानूनी तरीके से बनाया है या नहीं।

लोन सर्टिफिकेट


यह सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है कि संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई लोन या अन्य देनदारी तो नहीं है। मतलब यह है कि आप जिस समय प्रॉपर्टी खरीद रहे हों, उस समय वह हर तरह के कर्ज या देनदारी से मुक्त हो।

सब रजिस्ट्रार ऑफिस द्वारा जारी यह सर्टिफिकेट बताता है कि प्रॉपर्टी से संबंधित किस तरह का ट्रांजेक्शन किया गया है और इस समय उसकी वास्तविक हालत क्या है। नोएडा के एक वकील अतुल्य नेहरा ने कहा, 'दूसरे शब्दों में यह सर्टिफिकेट किसी मोर्गेज , टाइटल ट्रांसफर या क़ानूनी रूप से रजिस्टर्ड ट्रांजेक्शन का सबूत है जिससे प्रॉपर्टी पर कोई सवाल ना उठे।'


कंप्लीशन सर्टिफिकेट


स्थानीय निकाय द्वारा जारी कंप्लीशन सर्टिफिकेट यह सुनिश्चित करता है संबंधित प्रॉपर्टी का निर्माण उसके दिशा निर्देशों के हिसाब से ही हुआ है। नेहरा ने कहा, 'यह पानी, बिजली, सीवर जैसी बेसिक जरूरतों के हिसाब से बहुत जरूरी सर्टिफिकेट है। अगर यह नहीं मिला तो प्रॉपर्टी में बेसिक सुविधा जुटाना मुश्किल हो सकता है।'

ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट


कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने के बाद स्थानीय निकाय (नगर निगम या अथॉरिटी) ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है। यह सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है कि संबंधित प्रॉपर्टी रहने के लिहाज से उपलब्ध है और उसका निर्माण सभी नियम-कानूनों का पालन करते हुए किया गया है।

वरिष्ठ वकील दीपन मर्चेंट ने कहा, 'यह संकेत देता है कि प्रॉपर्टी क़ानूनी तौर पर वैध है और रहने के लिए उपयुक्त है। किसी प्रॉपर्टी की खरीदारी के हिसाब से यह सबसे जरूरी दस्तावेज है।'

पावर ऑफ एटॉर्नी


यह एक क़ानूनी दस्तावेज है जिसकी मदद से कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रॉपर्टी की देखभाल, किराये पर उठाने या बेचने के लिए अधिकृत करता है। इस दस्तावेज का भी हालांकि रजिस्ट्रेशन कराया जाना जरूरी है।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकील जसपाल कौर ने कहा, 'स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज बचाने के लिए कई बार लोग पावर ऑफ एटॉर्नी के जरिये प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। इससे सरकार को राजस्व की बड़ी हानि होती है और मुकदमे के अधिक मामलों का सामना करना होता है। इसमें एक ही प्रॉपर्टी को कई लोगों के हाथ बेच दिया जाता है। इसके सावधानी से जांच करने की जरूरत है।'

टैक्स और बिल संबंधी कागजात


प्रॉपर्टी खरीदने वाले व्यक्ति को सभी बकाया चुका दिया गया है, यह सुनिश्चित करना चाहिए और इसके लिए जरूरी रसीद या बिल देखना चाहिए। प्रॉपर्टी बेचने वाले व्यक्ति से सभी रसीद असली मांगें और सिर्फ फोटोकॉपी रसीद पर भरोसा ना करें।