Silver Price : अब चांदी भी बना सकती है लखपति, जानिए कैसे…

HR BREAKING NEWS. Silver Price : भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें देर-सबेर बढ़ने की आशंका से इक्विटी मार्केट की तेजी थमने के आसार हैं। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस साल तीसरी लहर के बाद कोविड महामारी खत्म हो जाएगी। ऐसे में अनिश्चितता घटेगी और सोने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलना कम हो
 

HR BREAKING NEWS. Silver Price : भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें देर-सबेर बढ़ने की आशंका से इक्विटी मार्केट की तेजी थमने के आसार हैं। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस साल तीसरी लहर के बाद कोविड महामारी खत्म हो जाएगी। ऐसे में अनिश्चितता घटेगी और सोने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलना कम हो जाएगा। इस बीच महंगाई लोगों की जेब काटती रहेगी, जिससे बचाव में चांदी तगड़ी हेजिंग टूल साबित हो सकती है।

3 साल में 250% तक रिटर्न की उम्मीद
ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि 2022 और अगले कुछ वर्षों तक चांदी में (Silver Price) जोरदार तेजी का रुझान रहेगा। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का अनुमान है कि इस साल चांदी 80 हजार और अगले तीन साल में 1.5 लाख रुपए तक का लेवल देख सकती है। फिलहाल यह 61 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है। इस हिसाब से चांदी इस साल 33% और अगले तीन वर्षों में 250% तक रिटर्न दे सकती है।

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पृथ्वी फिनमार्ट के डायरेक्टर मनोज कुमार जैन का अनुमान है कि इस साल चांदी 74 हजार और तीन साल में 1 लाख तक पहुंच सकती है। इस हिसाब से भी चांदी 67% से ज्यादा रिटर्न दे सकती है।

इन तीन कारणों से चांदी में (Silver Price) बड़ी तेजी की संभावना
1. 
जिस हिसाब से मांग बढ़ रही है उतनी तेजी से चांदी की माइनिंग में इजाफा नहीं हो पा रहा है। 2018-20 तक चांदी की माइनिंग लगातार घटती रही।
2. ऑटोमोबाइल, सोलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री से चांदी की अतिरिक्त डिमांड निकल रही है। यह मांग साल-दर-साल बढ़ती जा रही है।
3. अमेरिका के राष्ट्रपति ग्रीन टेक्नोलॉजी को सपोर्ट कर रहे हैं। ग्रीन यानी पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी में चांदी का ज्यादा इस्तेमाल होता है।

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पांच साल से लगातार बढ़ रही डिमांड (Silver Price), लेकिन सप्लाई स्थिर
लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, बीते 5 वर्षों से चांदी की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। 2020 इसका अपवाद रहा, जब कोविड महामारी चरम पर थी। इसके उलट 2017 के बाद से चांदी की माइनिंग में लगातार कमी आ रही है। सिर्फ 2021 में सालाना आधार पर चांदी की माइनिंग बढ़ी थी, लेकिन यह 2020 के लो-बेस के कारण हुआ था। तब भी खनन सिर्फ 8.2% बढ़ा था, जबकि उस दौरान चांदी की डिमांड में 15.3% की बढ़ोतरी हुई थी।

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ग्लोबलडेटा की एक रिपोर्ट कहती है कि 2022-24 के बीच चांदी की डिमांड 25-30% बढ़ेगी। इसके उलट 2022 से लेकर 2024 तक चांदी की माइनिंग में मात्र 8 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है।