Supreme Court : क्या 14 साल की होती है उम्रकैद, सुप्रीम कोर्ट के वकील ने दी सही जानकारी

Supreme Court : देश में अधिकतर लोगों को उम्रकैद का मतलब 14 साल की जेल की सजा पता है। ऐसे में आज हम आपको अपनी इस खबर में उम्रकैद की सजा से जुड़े कुछ जरूरी सवालों और जवाबों के बारे में बताने जा रहे है... जानने के लिए आप भी खबर के अंत तक जूड़े रहे। 
 

HR Breaking News, Digital Desk- भारत में किसी आरोपी का जुर्म तय हो जाने के बाद कोर्ट उसके गुनाहों के आधार पर सजा तय करता है. कोर्ट तय करता है कि शख्स का जुर्म कितना बड़ा है? इसके बदले उसे फांसी मिलेगी, उम्रकैद मिलेगी या कुछ साल जेल में काटने के बाद उसे रिहा कर दिया जाएगा. फांसी की सजा का तो साफ़ मतलब है मौत. लेकिन उम्रकैद को लेकर लोग कन्फ्यूज रहते हैं. इस कन्फ्यूजन (confusion) की मुख्य वजह है बॉलीवुड (bollywood) की फिल्में. जी हां, आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि जिस शख्स को उम्रकैद मिलती है वो चौदह साल जेल में काटकर बाहर आ जाता है. ऐसे में ज्यादातर लोगों को ऐसा ही लगता है कि उम्रकैद का मतलब चौदह साल की जेल है.

उम्रकैद का मतलब ही होता है उम्र भर कैद में यानी जेल में रहना. फिर ये चौदह साल का कांसेप्ट कितना सही है? क्या ये असलियत है या लोगों की ग़लतफ़हमी? इसी बात का जवाब आज हम आपको देने जा रहे हैं. इस सवाल का जवाब दिया है सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता ने. उन्होने लोगों के दिमाग में उठने वाले इस सवाल के जवाब को देकर लोगों की कन्फ्यूजन दूर करने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि आखिर उम्रकैद के असल मायने क्या हैं?

नहीं है चौदह साल का नियम-
एडवोकेट विराग गुप्ता ने बताया कि संविधान में ये कहीं नहीं लिखा है कि उम्रकैद का मतलब चौदह साल की कैद है. कोर्ट अपराधी के गुनाह के आधार पर उसे सजा सुनाता है. इसमें मौत के अलावा उम्रकैद या कुछ सालों की कैद शामिल है. लेकिन उम्रकैद को लेकर लोगों के दिमाग में काफी कन्फ्यूजन रहता है. इस कन्फ्यूजन को खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी दूर करने की कोशिश करते हुए स्पष्ट किया था कि उम्रकैद का मतलब जिंदगी भर जेल में रहना है. इसे चौदह साल नहीं माना जा सकता.

फिर कैसे आया चौदह साल का कांसेप्ट?
दरअसल, उम्रकैद की सजा पाए कैदी को कम से कम चौदह साल जेल में बिताने ही है. चौदह साल के बाद उसकी फाइल को एक बार फिर रिव्यू में डाला जाता है. ऐसे में उसके व्यवहार के आधार पर सजा को घटाया या बढ़ाया जाता है. यानी अगर किसी कैद ने चौदह साल जेल में बिता लिए हैं, तब ही उसकी फाइल फिर से सरकार के सामने पेश की जाती है. अगर सरकार को ऐसा लगता है कि कैदी ने अपने अपराध के अनुसार सजा पा ली है, तो उसे रिहा भी किया जा सकता है. कई बार बीमारियां भी इसका आधार बनती है. लेकिन ये जरुरी नहीं है. कई बार अपराधी की सजा को उम्रभर के लिए एक्सटेंड कर दिया जाता है. तो समझ गए ना आप उम्रकैद और चौदह साल के बीच का रिलेशन.