Supreme Court ने कहा, India या भारत... जो मन है कहिए, और रद्द करदी याचिका 

हाल ही में Supreme Court ने India को भारत से बदलने की लेकर पेश की गयी याचिका को रद्द कर दिया है और बताया है की India या भारत... जो मन है कहिए, आइये विस्तार से जानते हैं क्या है मामला 
 

HR Breaking News, New Delhi : इंडिया बनाम भारत को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. इस बहस की शुरुआत राष्ट्रपति भवन से आए निमंत्रण पत्र से हुई, जिसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा था. इस निमंत्रण के सामने आने के बाद ही विपक्ष हमलावर हो गया. 'INDIA' गठबंधन के नेताओं का दावा है कि इंडिया या भारत वाली बहस के पीछे BJP का डर है. तो वहीं, बीजेपी नेता इसे गुलामी की मानसिकता पर चोट बता रहे हैं. खास बात ये है कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मोदी सरकार ने कहा था कि देश का नाम इंडिया के बजाय भारत करने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में 2016 में ही INDIA का नाम बदलने को लेकर याचिका दाखिल की जा चुकी है. आइए जानते हैं कि तब सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

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2015 में मोदी सरकार ने SC में कहा था- नाम बदलने की जरूरत नहीं

खास बात ये है कि 2015 में मोदी सरकार ने एक जनहित याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि देश का नाम इंडिया के बजाय भारत नहीं किया जाना चाहिए. तब केंद्र सरकार ने दावा किया था, ''अनुच्छेद 1 में किसी भी बदलाव पर विचार करने के लिए परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. भारत का संविधान अनुच्छेद 1.1 आधिकारिक और अनौपचारिक उद्देश्यों के लिए देश का नाम कैसे रखा जाए, इस पर संविधान का प्रावधान कहता है, ''इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा.''

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

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सुप्रीम कोर्ट में देश का नाम INDIA से बदलकर भारत रखने की मांगें पहले भी उठ चुकी हैं. 2016 में इंडिया नाम हटाकर भारत करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी. तब चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर और जस्टिस यू यू ललित ने याचिकाकर्ता से कहा था कि भारत कहिए या इंडिया कहिए, जो मन है कहिए. अगर आपका मन भारत कहने का है तो कहिए. अगर कोई इंडिया कहता है तो कहने दीजिए. 

- चार साल बाद 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा इंडिया की जगह भारत नाम रखने वाली याचिका को खारिज किया. 2020 में चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा था कि संविधान में भारत और इंडिया दोनों नाम दिए गए हैं.  

क्या है मामला?

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दरअसल, 9 और 10 सितंबर को होने वाले G20 कार्यक्रम के निमंत्रण को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से सभी फॉरन डेलीगेट्स को भेजा गया था. पत्र के सबसे ऊपर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा. आम तौर पर ऐसे निमंत्रण में हमनें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया का इस्तेमाल होते हुए देखा है. संविधान के preamble में भी लिखा जाता है we the people of india. नॉट we the people of bharat. बस यहीं से इंडिया बनाम भारत की बहस शुरू हो गई. खास बात ये है कि राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए निमंत्रण में इंडिया की जगह भारत नाम ऐसे वक्त पर हुआ, जब 2024 चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने विपक्षी दलों ने INDIA गठबंधन बनाया है. ऐसे में विपक्षी दलों का दावा है कि पीएम मोदी INDIA गठबंधन से डरे हुए हैं, इसलिए केंद्र सरकार INDIA का नाम बदलकर भारत करने जा रही है. 

विशेष सत्र में प्रस्ताव लाने की चर्चा

मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस सत्र को लेकर अब तक कुछ साफ नहीं है. लेकिन चर्चा है कि संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार संविधान से 'इंडिया' शब्द हटाने का प्रस्ताव ला सकती है. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भी सोमवार को कहा था कि लोगों को 'इंडिया' की बजाय 'भारत' कहना चाहिए.

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संविधान में दोनों नामों का जिक्र

हमारे देश के दो नाम हैं. पहला- भारत और दूसरा- इंडिया. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिखा है, 'इंडिया दैट इज भारत'. इसका मतलब हुआ कि देश के दो नाम हैं. हम 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया' भी कहते हैं और 'भारत सरकार' भी.