Bank privatization: बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार बदलेगी यह कानून

Bank privatization Update: केंद्र सरकार (Central government) ने बैंकों के निजीकरण(privatization) के प्लान में बदलाव कर दिया है। अब सरकार इन बैंकों में अपनी भागीदारिता पूरी तरह खत्म करना चाहती है। पढ़े पूरी खबर..  
 

HR Breaking News, New Delhi: केंद्र सरकार (Central government) की ओर बैंकों का निजीकरण(Privatization) करने की कवायद काफी समय से जारी है। सरकार इसको लेकर कुछ बदलाव करने वाली है। सरकार इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी पूर्ण रूप से समाप्त करने वाली है। दरअसल, अब केंद्र सरकार ने बैंकों के निजीकरण(Privatization)  के प्लान में बदलाव कर दिया है. अब सरकार इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह खत्म करना चाहती है. अब तक सरकार कुछ बैंको का ही निजीकरण करने वाली थी. अब सरकार इसके कानून में संशोधन करेगी. अभी के कानून के अनुसार, सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम से कम 51% जरुर होना चाहिए.

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सरकार नियम में संशोधन करने की तैयारी में

इकॉनोमिक टाइम्स(Economic times) के अनुसार, सरकार संसद के मॉनसून सेशन में इस बिल को पेश कर सकती है. अगर ये बिल पास होता है तो सरकार सभी बैंको का निजीकरण (Privatization) कर सकेगी. अभी बैंकिंग कम्पनीज एक्ट 1970 (Banking Companies act 1970) (Exhibition and Transfer of Undertaking) के अनुसार, किसी भी बैंक का कंट्रोल सरकार के पास ही रहेगा. यानी सरकार इसे पूरी तरह प्राइवेट नहीं कर सकती. दरअसल, सरकार बैंकों के निजीकरण का फैसला पहले ही कर चुकी है. लेकिन अब तक सरकार इन बैंकों में अपनी 26% हिस्सेदारी रखना चाहती थी.

2021 में बिल करने वाली पेश

गौरतलब है  कि सरकार वर्ष 2021 के संसद के शीतकालीन सत्र में ही बैंकिंग लॉज अमेंडमेंट बिल पेश करने वाली थी, लेकिन किसी वजह से ये बिल पेश नहीं किया गया था. लेकिन फिर फरवरी में बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात कही थी.
 

इन बैंकों को होगा निजीकरण

 जानकारी के अनुसार सरकार सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया(Central Bank of India) और इंडियन ओवेरसीज बैंक(Indian Overseas Bank) के निजीकरण पर विचार कर रही है. आपको बता दें कि पहले ही निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) फिलहाल अमेरिका में आईडीबीआई बैंक(IDBI Bank) की बिक्री के लिए रोड शो कर रहा है. यानि इसका प्रोसेस शुरू भी हो गया है. दरअसल, IDBI का गठन बैंकिंग कम्पनीज एक्ट 1956 के आधार पर हुआ था.

 

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दरअसल, सरकार छोटे सरकारी बैंकों का विलय कर बड़े बैंको को बनाने की कोशिश कर रही है. इसके तहत कई सरकारी बैंकों का विलय भी हो चूका है. सिंडिकेट बैंक(Syndicate Bank) का विलय केनरा बैंक(Canara Bank) में हो गया है. यानी सरकार बैंकों की संख्या कम करने की कोशिश में लगी है.