Business : पत्नी ने 10 हजार की उधारी से शुरू किया काम, आज पूरे देश में बज रहा डंका
कहते हैं अगर आप घर बनाने की सोच रहे हैं तो आज ही एक ईंट लाकर रख दीजिए। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी आज 3 लाख से ज्यादा लोगों की मेहनत से इस मुकाम पर है। एक समय में इसे शुरू करने वाले ने एक कमरे से शुरू किया और आज ये उस स्तर पर हैं कि कोई इनकी बराबरी नहीं कर सकता।
HR Breaking News (ब्यूरो)। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) आज 3 लाख से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी बन चुकी है. बीते दिनों कंपनी ने मार्च तिमाही का फाइनेंशियल रिजल्ट जारी किया था. कंपनी को मार्च तिमाही में 5,686 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ है और रेवेन्यू बढ़कर 32,276 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है. कंपनी इस साल 85 हजार नई भर्तियां करने वाली है.
आज भले ही इंफोसिस इतनी बड़ी कंपनी बन चुकी है, लेकिन इसकी शुरुआत की कहानी आपको हैरान कर देगी. कंपनी की शुरुआत इसके फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) से 10 हजार रुपये उधार लेकर की थी.
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इन सात दोस्तों ने मिलकर की इंफोसिस की शुरुआत
इंफोसिस कंपनी की शुरुआत सात दोस्तों ने मिलकर की थी. ये सातों दोस्त नारायण मूर्ति, नंदन नीलेकणि, एसडी शिबुलाल, क्रिस गोपालकृष्णन, अशोक अरोड़ा, एनएस राघवन और के दिनेश हैं. ये सातों इंफोसिस शुरू करने से पहले पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम्स में एक साथ काम करते थे. कंपनी शुरू करने के लिए नारायण मूर्ति के पास पूंजी नहीं थी तो उन्होंने अपनी पत्नी से पैसे उधार लिए. पत्नी सुधा मूर्ति ने अपनी सेविंग्स से 10 हजार रुपये उधार दिए, तब जाकर 1981 में इंफोसिस की शुरुआत हो पाई.
एक साल बाद ज्वॉइन कर पाए थे नारायण मूर्ति
इंफोसिस कंसल्टेंट्स नाम से इस आईटी कंपनी की शुरुआत पुणे से हुई और नारायण मूर्ति के घर का एक कमरा इसका पहला ऑफिस बना. नारायण मूर्ति भले ही इस कंपनी के फाउंडर्स में से एक हों, लेकिन वे इंफोसिस के पहले कर्मचारी नहीं हैं. दरअसल इंफोसिस के शुरू होने के एक साल बाद वह आधिकारिक तौर पर इसके साथ जुड़ पाए थे. उनके ज्वॉइन करने से पहले ही तीन लोग इंफोसिस के कर्मचारी बन चुके थे.
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दो साल तक इंफोसिस के पास नहीं था कम्प्यूटर
इंफोसिस आज के समय में दिग्गज आईटी कंपनियों में शुमार है. इनकम टैक्स फाइलिंग के लिए जो नया पोर्टल बना है, उसे इसी कंपनी ने तैयार किया है. हालांकि जब कंपनी शुरू हुई थी, तब उसके पास अपना एक भी कम्प्यूटर नहीं था. करीब 2 साल तक कंपनी ने बिना कम्प्यूटर के ही काम किया. साल 1983 में इंफोसिस ने 'डेटा जनरल 32 बिट एमवी 800' मॉडल का पहला कम्प्यूटर सिस्टम खरीदा.
इंफोसिस आईपीओ को नहीं मिला था सही रिस्पॉन्स
इंफोसिस 1993 में शेयर बाजार में उतरी. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इंफोसिस के आईपीओ को इन्वेस्टर्स ने खास पसंद नहीं किया था और उसे 13 फीसदी कम सब्सक्रिप्शन मिल पाया था. तब इंफोसिस के शेयरों की कीमत महज 95 रुपये थी. आज के समय में इंफोसिस के एक शेयर की कीमत 1,748.65 रुपये हो चुकी है. अगर उस समय किसी ने इंफोसिस के मात्र 100 शेयर खरीदे होते तो उसे 9,500 रुपये लगाने पड़ते, लेकिन उसके इन्वेस्टमेंट की वैल्यू आज करीब 17.50 लाख रुपये हो गई होती.