How to start a business : 400 रूपये घर से लेकर निकला था ये शख्स, आज अरबों का है सम्राज्य

Business Ideas : वैसे तो आपने बहुत से बड़े बिजनेस मैनस् का नाम सुना होगा लेकिन आज हम आपको जिस शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं उन्होंने मात्र 400 रूपये में करोड़ों का कारोबार शुरू किया।

 

HR Breaking News (नई दिल्ली) : भारत में आईपीएल की शुरूआत करने वाले ललित मोदी को तो आप जानते ही होंगे। हाल ही में ललित पुर्व मिस वर्ल्ड सुष्मिता सेन के साथ फोटो शेयर कर के फिर से सुर्खियों में आए थे। लेकिन क्या आपको ललित मोदी के दादा जी गुजरमल मोदी के बारे में पता है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि ललित मोदी एक दिग्गज कारोबारी घराने से आते हैं। व्यापार के क्षेत्र में मोदी के घराने का अच्छा नाम है। ललित मोदी के दादा गुजरमल मोदी ने सिर्फ अपना बिजनेस ही नहीं खड़ा किया बल्कि पूरा का पूरा एक शहर ही बसा दिया था। आज ही के दिन साल 1902 में उनका जन्म हुआ था। आइए आज आपको गुजरमल मोदी के सफर के बारे में विस्तार से बताते हैं।

ये भी पढ़ें :  मां से सीखा तेल व काजल बनाना, खुद का बिजनेस कर आज कमा रही है लाखों


हरियाणा में हुआ था जन्म 


गुजरमल मोदी का पूरा नाम राय बहादुर सेठ गुजरमल मोदी था। गुजरमल का जन्म महेंद्रगढ़ के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। महेन्द्रगढ़ अब हरियाणा का हिस्सा है। गुजरमल जब पैदा हुए थे उसके छह दिन बाद ही उनकी माता जी का निधन हो गया था। गुजरमल का पालन-पोषण उनकी सौतेली मां गुजरी देवी ने किया। गुजरमल का बचपन का नाम रामप्रसाद मोदी था लेकिन अपने सौतेली मां के सम्मान में ही उन्होनें अपना नाम गुजरमल रख लिया था।

400 रुपए से शुरू किया बिजनेस 


दसवीं कक्षा की परीक्षा गुजरमल परिक्षा शुल्क न भरने की वजह से नहीं दे पाए थे। परीक्षा नहीं देने से उनका पढ़ाई का एक साल खराब हो गया था। उनके पिता ने कम उम्र में ही उनको परिवारिक व्यवसाय में डाल दिया था। इस दौरान गुजरमल ने घर से ही पढ़ाई जारी रखी। गुजरमल 17 साल की उम्र में ही कारोबार की दुनिया में कदम रखा था। वह पिता के साथ पुश्तैनी बिजनेस संभालते थे। लेकिन उनके मन में हमेशा कुछ बड़ा करने की बात बनी रहती थी। इसी सोच के साथ सिर्फ 400 रुपए लेकर गुजरमल मोदी घर से निकले थे और उन्होने वनस्पति घी/तेल का का व्यापार शुरु किया था।

खुद की कमाई से खरीदी जमीन

चीनी मिल की रखी नींव धीरे-धीरे पैसा बचा के गुजरमल ने 100 बीघा जमीन खरीद ली। जमीन उन्होंने दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर बेगमाबाद इलाके में खरीदी। इस कदम के बाद गुजरमल ने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा। गुजरमल 1933 में इंग्लैड से मशीनें खरीद के लाए उसी जमीन पर चीनी मिल की शुरूआत की। बेगमाबादा का यह इलाका अब मोदीनगर के नाम से जाना जाता है। मिली थी राय बहादुर की उपाधि गुजरमल मोदी का चीनी मिल चल पड़ा। इसके बाद गुजरमल मोदी अपने पुराने कारोबार की ओर ध्यान देने लगे। फिर से उन्होनें वनस्पति के कारोबार पर ध्यान लगाया। साल 1941 में उन्होंने वनस्पति के तेल से साबुन बनाने का नया व्यापार शुरू किया। साबुन के व्यापार में उन्हें काफी सफलता मिलने लगी। बिजनेस के क्षेत्र में उनकी मजबूती को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने 'राय बहादुर' की उपाधि से सम्मानित किया था। कारोबार में उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए शहर का नाम मोदीनगर रखा गया था।

ये भी पढ़ें :नींबू पानी बेचकर बन गई करोड़पति, महीने की कमाई जानकर उड़ जांएगे होश

बढ़ गया बिजनेस


ललित मोदी के दादा गुजरमल मोदी ने रफ्तार धीमी नहीं की। साबुन के बाद उन्होंने तेल, कपड़ा, पेंट और वार्निश, ग्लिसरीन, लालटेन, बिस्किट, टॉर्च, रबर, स्टील और रेशम जैसे उत्पादों को बनाने का काम शुरू किया। साल 1963 में उन्होनें तमाम कंपनियों के समुह को मोदी ग्रुप का नाम दिया। 1968 में भारत सरकार ने बिजनेस की दुनिया में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था। आज का मोदी ग्रुप मोदी ग्रुप का पूरा व्यापार गुजरमल मोदी और उनके भाई केदार नाथ मोदी के परिवारों के बीच बंटा है। गुजरमल मोदी के बाद मोदी ग्रुप के कारोबार को उनके बेटे केके मोदी ने संभाला। केके मोदी के सबसे बड़े बेटे ललित मोदी हैं। फिलहाल मोदी ग्रुप मालबोरो, फोर स्कायर और रेड & व्हाइट ब्रैंड्स की सिगरेट बनाता है। पान विलास पान मसाला भी मोदी ग्रुप का ही प्रोडक्ट है।