Petrol-diesel price पेट्रोल डीजल के दामों में दोबारा होगी बढ़ोतरी, कच्चे तेल की कीमतों ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड
 

crude oil prices पेट्रोल (petrol) और डीजल (diesel) एक बार दोबारा आम जनता की कमर तोड़ सकती है। एक्सपर्ट की मानें तो पेट्रोल डीजल (diesel price hike) के दामों में एक बार दोबारा तेजी आ सकती है। जिसके पीछे वजह कच्चे तेल की कीमतों में आया भारी उछाल है। आइए नीचे खबर में जानते है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल डीजल के भाव (petrol diesel bhav) में क्या होगा असर
 
 

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, पेट्रोल-डीजल की कीमत (Petrol-diesel price) में पिछले कई दिनों से कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन यह स्थिति जल्द बदल सकती है। पेट्रोल और डीजल की कीमत में एक बार फिर उछाल देखने को मिल सकता है। इसकी वजह यह है कि भारत के लिए क्रूड कॉस्ट यानी कच्चे तेल की लागत (crude cost) गुरुवार को बढ़कर 121.28 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है जो नौ मार्च, 2012 के बाद इसका उच्चतम स्तर है। तब यह 125.1 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी। इससे जून में मंथली एवरेज 118.3 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। इससे पहले अप्रैल, 2012 में यह कीमत 118.6 डॉलर प्रति बैरल पहुंची थी। देश में अंतिम बार छह अप्रैल को पेट्रोल और डीजल की कीमत में अंतरराष्ट्रीय कीमत के मुताबिक बदलाव हुआ था। पिछले महीने सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी।

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देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये और डीजल की कीमत 90 रुपये के पार पहुंच गई थी। बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 22 मई को एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी। पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये की कमी की गई थी। इससे सरकारी खजाने पर सालाना एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। अभी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये और डीजल की कीमत 89.62 रुपये है। नुकसान को कम करने के लिए रिलायंस-बीपी (Reliance-BP) और नयारा एनर्जी (Nayara Energy) जैसी निजी कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल बेचना बहुत कम कर दिया है। नयारा तो कुछ स्थानों पर सरकारी तेल कंपनियों के मुकाबले तीन रुपये महंगा तेल बेच रही है। रिलायंस-बीपी के पेट्रोल पंप तो एक बार फिर बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं।

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सरकारी कंपनियां का मुनाफा होगा प्रभावित
कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी से सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होगा। इसकी वजह यह है कि कई दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है जबकि इस दौरान कच्चे तेल की कीमत में भारी इजाफा हुआ है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है। इंडियन बास्केट ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट (Brendt) को फॉलो करता है। इंडियन बास्केट में इसका वेटेज 24 फीसदी है। ब्रेंट की कीमत में पिछले साल से काफी तेजी आ रही है। इसकी वजह यह है कि मांग पटरी पर लौट आई है और सप्लाई टाइट बनी हुई है। इसकी वजह यह है कि ओपेक प्लस देश जरूरत के मुताबिक सप्लाई नहीं कर रहे हैं।

 


यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia-Ukraine war) के बाद कच्चे तेल की कीमत में भारी उछाल आया था। एक समय यह 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था जो 2008 के बाद इसका उच्चतम स्तर था। लेकिन सरकारी तेल कंपनियों ने इसके मुताबिक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की थी। इससे उन्हें हरेक लीटर पेट्रोल पर 18 रुपये और डीजल पर 21 रुपये का घाटा हो रहा है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 137 दिनों तक पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इसके बाद सरकार ने नवंबर में दिवाली पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी।