retirement age कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र पर आया बड़ा फैसला, अब 3 महीने का नोटिस होगा जरूरी
 

retirement age update कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र (Employee retirement age) को लेकर काफी दिनों से सोशल मीडिया पर काफी खबरें वायरल की जा रही है। इसी बीच कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र को लेकर बड़ा फैसला आया है। आइए नीचे खबर में जानते है पूरा मामला
 
 

HR Breaking News, डिजिटल डेस्क नई दिल्ली,  एक तरफ जहां देशभर में रिटायरमेंट उम्र (Employees Retirement age) को लेकर चर्चा तेज हो गई है। वहीं दूसरी तरफ उच्च न्यायालय द्वारा रिटायरमेंट एज पर बड़े निर्णय दिए जा रहे हैं। इसी बीच अब उच्च न्यायालय ने नगरपालिका अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियम के तहत नगर पालिकाओं की शक्ति को बरकरार रखा।

 


वहीं हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि किसी भी समय और उसके बाद 55 वर्ष की आयु प्राप्त करने के साथ ही कर्मचारी (Employees) 3 महीने का नोटिस देकर सेवानिवृत्त (Retire) हो सकते हैं। वहीं प्रतिवादी द्वारा दो महीने के वेतन के भुगतान के लिए एक अतिरिक्त तर्क को खंडपीठ ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि नगर पालिका द्वारा नियम 5 के अनुसार तीन महीने का नोटिस दिया गया था।

 

दरअसल गुजरात हाईकोर्ट द्वारा पाटन नगरपालिका के कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका के संबंध में सुनवाई की जा रही थी। श्रम न्यायालय के पुरस्कारों को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान गुजरात हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नियम को बनाने के लिए धारा 271 के तहत शक्तियों का प्रयोग करना, नगर पालिका की शक्तियों के भीतर है। ऐसे में नियम पाच के प्रावधान से संकेत मिलता है कि एक कर्मचारी के खिलाफ नगर पालिका द्वारा कार्रवाई की जा सकती है। और कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचे उसे पहले उसे तीन महीने का नोटिस दिए जाने, उसके बदले वेतन दिए जाने के अधीन करने के साथ ही सेवानिवृत्ति दी जा सकती है।


बता दें कि इससे पहले पाटन नगरपालिका के कर्मचारियों द्वारा याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि कर्मचारी नगर पालिका के साथ काम कर रहा था और 55 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने के लिए याचिकाकर्ता नगर पालिका के स्टैंड को चुनौती दी गई थी। जिसमें श्रम न्यायालय के समक्ष एक औद्योगिक उठाया गया था। जिसमें कहा गया था कि वह 60 वर्ष की आयु तक अपनी नौकरी जारी रखने का हकदार है। श्रम न्यायालय ने याचिकाओं को अनुमति दी थी और उसे बहाल करने का आदेश दिया था।

जानकारी के मुताबिक नगर पालिका ने 2005 के एससीए नियम 22332 के डिवीजन बेंच के फैसले और याचिका के आधार पर याचिकाकर्ता ने आदेश को रद्द करने की प्रार्थना की थी। बता दें कि इस आदेश में कुछ कर्मचारी 55 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हुए थे अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लंबे समय से चले आ रहे विवाद को निपटाने के लिए नगर पालिका द्वारा कर्मचारियों को 3 महीने का वेतन दिया गया था।

इतनी डिवीजन बेंच ने यह भी कहा था कि प्रत्येक न्यायपालिका को धारा 271 के तहत ही अधिकार है कि राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन अपने स्वयं के मामले के लिए अपने नियम बनाने की शक्तियों से प्रदान की गई है। वहीं कर्मचारी अधिनियम के तहत नियम पाच को चुनौती देते हुए जो नगर पालिका के कर्मचारी को 55 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त कर उसे खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देती है।

इसलिए नगरपालिका को चुनौती दिए जाने वाले इस याचिका को खारिज कर सेवानिवृत्ति दिए जाने के फैसले को यथावत रखा गया है और याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि न्यायपालिका के पास ही अधिकार है कि वह 3 महीने की नोटिस जारी कर कर्मचारी को सेवानिवृत्त कर सकती है।