Ancestral property partition :  पैतृक संपत्ति का किस आधार पर होता है बंटवारा, जानिये किसी को कम और किसी को क्यों मिलती है ज्यादा

Ancestral property partition : हमारे देश में संयुक्त परिवार की संस्कृति है. यहां बड़े-बड़े परिवार कई पीढ़ियों से एक साथ ही रहते हैं. हालांकि, अब धीरे-धीरे यह बदल रहा है और इसकी छोटे परिवार यानी न्यूक्लियर फैमिली ले रही है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 

HR Breaking News (नई दिल्ली)।  ऐसे में बंटवारे के समय पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर कई बार अनबन देखने को मिलती है. परदादा के समय में जो जमीन एक परिवार के लिए थी उसमें कई टुकड़े होते हैं. लेकिन कितना हिस्सा किसे मिलेगा यह एक सवाल रहता है. इसका जवाब यह है कि आपके पिता की संपत्ति ही आपके पास आएगी.

 

 

अगर हम 4 पीढ़ियों की विरासत में मिली संपत्ति की बात करें तो यह आपके परदादा से शुरू होगी. मान लेते हैं कि आपके परदादा के 2 बेटे हुए तो दोनों में 50-50 फीसदी हिस्सा बंट जाएगा. हालांकि, परिवार विभाजित नहीं है तो ये परिस्थिति अभी नहीं आएगी. अब मान लेते हैं कि आपके दादा की 2 और उनके भाई की 1 संतान हुई. जो संपत्ति पहले 2 लोगों में बंटी थी अब वह 3 में विभाजित होगी. हालांकि, यहां विभाजन अब समान नहीं रहेगा. आपके पिता और उनके सगे भाई को 50 फीसदी में 2 हिस्से बांटने होंगे. वहीं उनके चचेरे भाई को पूरा 50 फीसदी हिस्सा मिल जाएगा.


आपके पास आएगी कितनी संपत्ति


आपके पिता के पास 2 भाइयों में विभाजित होने के बाद 25 फीसदी संपत्ति आएगी. अब मान लेते हैं कि आप 2 सगे भाई हैं और आपके पिता के भाई (चाचा/ताऊ) का केवल एक ही बेटा है. तो उसे 25 फीसदी संपत्ति पूरी मिल जाएगी. वहीं, आपके हिस्से 12.5 फीसदी हिस्सा ही आएगा. इसलिए हम गांवों में देखते हैं कि कुछ पीढ़ी पहले एक ही परिवार रहे कुछ लोगों के पास बहुत अधिक जमीन होती है तो कुछ के पास बहुत कम.

वसीयत


इसमें वसीयत के बड़ा किरदार अदा करती है. अगर किसी पैतृक की वसीयत लिखने के बाद मृत्यु हुई है तो बंटवारे को लेकर विवाद की आशंका बहुत कम रहती है. वसीयत में कई बार एक ही व्यक्ति को बगैर बांटे सबकुछ दे दिया जाता है. यह कानूनी रूप से मान्य होता है और इसके बाद कोई अन्य दावेदार संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता है. हालांकि, अगर वसीयत नहीं लिखी गई है तो फिर विरासत के आधार बंटती है. इसमें उत्तराधिकारियों को संपत्ति दे दी जाती है. उत्तराधिकारी का वर्ण हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में है. गौरतलब है कि मुस्लिम समाज में संपत्ति का बंटवारा अलग तरीके से होता है.

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