Gold Rate : सोने को लेकर आई बड़ी भविष्यवाणी, रॉकेट से भी तेज ऊछलेगी कीमत

Gold Rate : सोने-चांदी की कीमतों में सारा साल उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहती है। त्योहारी और शादी ब्याह के सीजन में सोने की कीमतों में खूब तेजी देखी जाती है। अब इस साल सोने के दाम में ताबड़तोड़ तेजी के चलते सोने की कीमतें 1 लाख के पार पहुंच गई है। अब हाल ही में सोने को लेकर बड़ी भविष्यवाणी सामने आई है, जिसके मुताबिक अब सोने की कीमतें (Gold Price Prediction) रॉकेट से भी तेज ऊछलेगी।

 

HR Breaking News - (Gold Rate) वैसे तो देशभर में सोना हमेशा से सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बन गया है। अब हाल ही के महीनों में  सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। इस रिकॉर्ड कीमत के बाद अब सभी की निगाहें सोने की कीमतों (Gold Rate  updates) पर टिकी हुई है। अब हाल ही में सोने को लेकर बड़ी भविष्यवाणी सामने आई है, जिसके तहत सोने की कीमतें रॉकेट से भी तेज ऊछलने वाली है।

 

 

जानकारों ने कही ये बात
 

जानकारों का कहना हे कि आने वाले साल में वैश्विक आर्थिक संकट (Global Economy) और कैश तंगी जैसी स्थिति देखी जा सकती थी। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो सोना एक बार फिर निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित ऑप्शन बन सकता है। वैसे तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (Multi Commodity Exchange) पर सोने का भाव 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को बहुत पहले ही पार कर चुका है। 


अगले साल तक क्या होंगे सोने के भाव 


रिपोर्ट्स के मुताबिकक 2026 में संभावित 'कैश-क्रश' या बैंकिंग संकट की कंडिशन में सोने के रेट (Sone Ke Rate) में 25 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक इजाफा देखा जा सकता है। यानी की भारत में सोने की कीमत (Gold Rate Prediction)दिवाली 2026 तक 1,82,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने की संभावना है। बता दें कि यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर होगा।

किन कारणों से मजबूत हुआ सोना

आर्थिक जानकारों का कहना है कि कई कारणों के चलते सोने को नई मजबूती मिल रही है। दुनिया भर में व्यापारिक तनाव, मुद्रा अस्थिरता और महंगाई जैसी परिस्थितियों के चलते नई मजबूती मिल रही हैं। बीते सालों में भी जब भी वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है, तभी सोने  (Sone Ke Bhav) ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

हालांकि विशेषज्ञ ने अलर्ट देते हुए कहा है कि भविष्यवाणियों और अफवाहों के बेस पर इन्वेस्टमेंट करना सही नहीं है। ऐसे में इन्वेस्टर्स को आर्थिक आंकड़ों, महंगाई दर और अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति को देखकर ही कुछ फैसला लेना चाहिए।