gold silver investment : सोने में ज्यादा पैसा या चांदी में निवेश करना सही, पैसा लगाने से पहले जान लें ये जरूरी बात

सोने को अक्सर सुरक्षित निवेश माना जाता है। कई लोग मुश्किल दौर में अपनी संपत्ति बचाने के लिए इसमें पैसा लगाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक और धातु है जो लंबी अवधि में सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है? वह है चांदी। मोतीलाल ओसवाल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अक्षय तृतीया (2023) से सोने और चांदी की कीमतों में क्रमशः 13% और 11% की बढ़ोतरी हुई है।आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

 

HR Breaking News (नई दिल्ली)।  सोने में आंख मूंदकर पैसा लगा रहे हैं? हालांकि, एक और धातु है जो लंबी अवधि में सोने से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। वह धातु है चांदी। मोतीलाल ओसवाल की हालिया रिपोर्ट कहती है कि नए साल के पिछले चक्र से सोने और चांदी के रिटर्न में 13% और 11% की बढ़ोतरी देखी गई है। यह साइकिल 2023 में अक्षय तृतीया से शुरू हुआ था।

 

 

रिपोर्ट में कहा गया है, 'इससे पहले सप्‍लाई और डिमांड की चिंताओं ने सोने की कीमतों पर बहुत ज्‍यादा असर नहीं डाला है। खासकर उस समय जब बाजार में अत्यधिक अस्थिरता रही। हालांकि, सोने की कीमतों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी के साथ मूल्‍य में कुछ नरमी की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है।'


सोने की कीमतों पर कई फैक्‍टर डाल सकते हैं असर


इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि कई फैक्‍टर सोने की कीमतों को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकते हैं। इन फैक्‍टरों में अपेक्षा से कम इकनॉमिक डेटा, ग्रोथ को लेकर बढ़ी चिंताएं, इस साल और अधिक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें, भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ते कर्ज को लेकर चिंताएं, बढ़ती मांग और अमेरिकी पैदावार में कमी शामिल हैं। वहीं, चांदी की कीमत उसकी उपयोगिता के कारण बढ़ने के आसार हैं। उस पर इन फैक्‍टरों असर शायद नहीं हो।

रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनावी साल में सोने में उतार-चढ़ाव ज्‍यादा होता है। इसके अलावा 40 से अधिक देशों में चुनाव होने वाले हैं। इनमें अमेरिका और भारत भी शामिल हैं। मार्केट पार्टिसिपेंट्स आमतौर पर भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाते हैं, जैसे कि फेडरल रिजर्व की ओर से समय से पहले ब्याज दरों में कटौती। ऐसे में कोई भी अप्रत्याशित बड़ी घटना भविष्य में कीमतों को बढ़ावा दे सकती है। 2024 की शुरुआत से सोने और चांदी में उल्लेखनीय उछाल आया है।


इन बातों के कारण भी उतार-चढ़ाव देखने को म‍िला


इसके अलावा यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भू-राजनीतिक तनावों और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों के कारण इस साल सोने और चांदी के मूल्य में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इससे बुलियन बाजार में उतार-चढ़ाव आया है।
वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल के मुताबिक, केंद्रीय बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में सोने की खरीद की रफ्तार को बनाए रखा। इससे आधिकारिक होल्डिंग्स में 290 टन की बढ़ोतरी हुई।


इसके अलावा, यह भी ध्यान देने वाली बात है कि बार और सिक्कों की मांग साल दर साल 3 फीसदी बढ़कर 312 टन हो गई। जबकि ग्‍लोबल आभूषणों की मांग में 2 फीसदी की गिरावट आई और यह 479 टन रह गई। केंद्रीय बैंकों, खासकर तुर्की, चीन और भारत के रिजर्व बैंकों ने पहली तिमाही में अपनी सोने की मांग में बढ़ोतरी की है।


इसके अलावा मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत से सोने और चांदी का आयात 150 टन और 3000 टन से ज्‍यादा हो गया है। आयात में बढ़ोतरी यूएई के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) सौदे जैसे कारणों से हो सकती है। यह 1 फीसदी टैरिफ दर कोटा (टीआरक्यू) लाभ प्रदान करता है या बाजार सहभागियों को अन्य बुलियन वस्तुओं के लिए आयात शुल्क लाभ प्रदान करता है।