HDFC Bank : बैंक ने ग्राहकों को कर दिया खुश, इतना कम कर दिया लोन पर ब्याज 

जहाँ एक तरफ बैंक लोन को महंगा कर रहे हैं  वहीं दूसरी तरफ इस बैंक ने लोन के ब्याज को कम कर दिया है जिससे ग्राहकों को बहुत फायदा होगा।  ग्राहक बैंक के इस फैसले की बहुत तरीफ कर रहे हैं 

 

HR Breaking News, New Delhi : HDFC Bank Home Loan के मोर्चे पर अच्छी खबर लाया है। एचडीएफसी बैंक की एमसीएलआर दरों में 85 बीपीएस कटौती के बाद होम लोन की ईएमआई यानी मासिक किस्त कम होने की उम्मीदें हैं।

कब से प्रभावी हैं नई दरें

रिपोर्ट के अनुसार एचडीएफसी बैंक ने सीमांत लागत आधारित उधार दर (MCLR) को चुनिंदा अवधि के लिए 85 आधार अंकों तक कम कर दिया। बैंक की वेबसाइट के अनुसार, नई उधार दरें 10 अप्रैल, 2023 से प्रभावी हैं। 

दरों में कितनी कटौती हुई

एचडीएफसी बैंक की दर में कमी के बाद एमसीएलआर घटकर 7.80 प्रतिशत हो गई। पहले यह 8.65 फीसदी थी। एचडीएफसी बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, एक महीने की एमसीएलआर 8.65 फीसदी से घटकर 7.95 फीसदी हो गई। इसमें 70 बेसिस प्वाइंट की भारी कटौती हुई थी।

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MCLR में कटौती से कितना फायदा

तीन महीने के एमसीएलआर को 40 बेसिस प्वाइंट घटाकर 8.30 फीसदी कर दिया गया। पहले यह 8.7 फीसदी थी। एचडीएफसी बैंक ने छह महीने के एमसीएलआर को 10 आधार अंकों से घटाकर 8.7 फीसदी कर दिया। पहले यह 8.80 फीसदी थी।

रिजर्व बैंक के फैसले के बाद दरों में कटौती

HDFC बैंक का यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 6 अप्रैल, 2023 को आयोजित अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के बाद आया है।

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ग्राहकों को कितना फायदा मिलेगा

शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर योगेश चंदे,ने बताया कि रेपो दर अपरिवर्तित आरबीआई से सकारात्मक आश्चर्य के रूप में आती है। यह विशेष रूप से लोन लेने वाले लोगों को बड़ी राहत देगा, हालांकि इससे उन्हें तत्काल कोई लाभ नहीं होगा।"

HDFC बैंक की ब्याज दर के बारे में इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस MCLR कटौती का HDFC होम लोन लेने वालों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि अधिकांश होम लोन बैंक की मूल कंपनी HDFC लिमिटेड से मिलती है।

नए फैसले का फायदा केवल पुराने पर्सनल लोन और ऑटो लोन लेने वालों (फ्लोटिंग रेट लोन) को मिलेगा। ऐसे लोगों के लोन एमसीएलआर से जुड़े हैं, इसलिए एमसीएलआर में कटौती के बाद राहत मिलेगी।

01 अक्टूबर, 2019 को बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दर (EBLR) को लॉन्च किया गया। ऐसे में 31 मार्च, 2016 के बाद लिए गए खुदरा ऋणों का बड़ा अमाउंट MCLR के आधार पर दिया गया।

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एमसीएलआर क्या है, लोन कैसे प्रभावित होगा?

सीमांत लागत आधारित उधार दर (MCLR) न्यूनतम ब्याज दर है। बैंक या वित्तीय संस्थान खास तरह के ऋण के लिए चार्ज करते हैं। आमतौर पर इसे ऋण के लिए ब्याज दर की निचली सीमा माना जाता है। एमसीएलआर तय करते समय कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है।

जिन फैक्टर के आधार पर MCLR तय होता है इसमें जमा दरें, रेपो दर, परिचालन लागत और cash reserve ratio को बनाए रखने की लागत शामिल होती है।

रेपो रेट में बदलाव से एमसीएलआर पर असर

ऋण स्वीकृत करते समय, बैंक आम तौर पर उस दिन प्रचलित एमसीएलआर को ध्यान में रखते हैं। एमसीएलआर से जुड़े लोन की ब्याज दर रीसेट तिथि पर घोषित नए एमसीएलआर में बदल जाएगी। वोन एग्रीमेंट में रीसेट की अवधि आम तौर पर एक वर्ष या उससे कम होती है।

MCLR से जुड़े लोन स्प्रेड के साथ आते हैं। इसका मतलब वो अमाउंट या मार्जिन है जो लोन लेने वाले लोगों को एमसीएलआर से इतर चुकानी पड़ती है। बैंक विभिन्न ऋणों पर प्रसार की सीमा निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

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