Income Tax : 12 नहीं 17 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री, एक्‍सपर्ट ने बताया तरीका

Income tax news : फरवरी माह के शुरू में ही वित्त मंत्री ने बजट पेश किया था, जिसमें उन्होंने इनकम टैक्स स्लैब (income tax slabs) में बदलाव किया और 12 लाख रुपये की सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया। इससे टैक्सपेयर्स (update for taxpayers) को बड़ी राहत मिली है। इससे भी आगे बढ़ते हुए खास बात तो यह है कि आप 12 लाख ही नहीं बल्कि 17 लाख की आय को भी टैक्स फ्री कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक्‍सपर्ट्स द्वारा बताए इस तरीके का इस्तेमाल करना होगा। आइए जानते हैं क्या है 17 लाख की आय को टैक्स फ्री करने का तरीका ।

 

HR Breaking News - (IT slabs)। अब नए वित्त वर्ष से आयकर नियमों (income tax new rules) में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अब टैक्स स्लैब में बदलाव कर टैक्स फ्री आय को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख कर दिया गया है। इसके बाद अब एक्‍सपर्ट ने ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिससे केवल 12 लाख ही नहीं बल्कि 17 लाख रुपये की आय भी टैक्स फ्री (tax free income) हो जाएगी।

इस तरीके के बाद इनकम टैक्सपेयर्स को राहत की सांस ली है और वह इस तरीके को जानने में लगे हैं। खबर में  आपको इस फॉर्मूले की सारी जानकारी देने सहित बताने जा रहे हैं कि यह तरीका (how top save income tax) कैसे काम करता है।


न्यू टैक्स रिजीम का लाभ -


सरकार ने नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त कर दिया है, इसके अलावा 75 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ (standard deduction benefit) नौकरीपेशा लोगों को अलग से दिया जाता है। हालांकि आप  इससे भी आगे बढ़ते हुए अपनी सालाना 17 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त बना सकते हैं। इसके लिए कुछ खास तरीका है, जिससे कर बचाने का लाभ लिया जा सकता है। इस नए तरीके से बिना अतिरिक्त छूट (How to get tax exemption)  के भी, उच्च आय वालों को कर में राहत मिल सकती है।

जानिये क्या होता है कॉस्ट टू कंपनी -


कंपनियां कर्मचारियों को एक निर्धारित राशि देती हैं, जिसमें यात्रा खर्च व अन्य खर्चे भी शामिल हो सकते हैं, इसे CTC (Cost to Company) कहा जाता है। यदि कोई व्यक्ति नई कर व्यवस्था (New tax regime) अपनाता है, तो उसे यात्रा खर्च पर कर नहीं देना होगा। हालांकि, यह छूट केवल तब मिलती है जब यात्रा काम से संबंधित हो, जैसे ऑफिस जाने के लिए। इस प्रकार से इनकम टैक्स विभाग (Income tax department) के नियमों के अनुसार सिर्फ ऑफिस के उद्देश्यों के लिए खर्च किए गए पैसों पर ही टैक्स राहत मिलती है, न कि निजी यात्रा के लिए।


किसे दिया जाता है ट्रैवल कंसेशन -


कुछ कंपनियां विशेष कर्मचारियों को यात्रा खर्च के लिए एक निश्चित राशि देती हैं, जिसे ट्रेवल कंसेशन कहा जाता है। आयकर विभाग की कैलकुलेशन के हिसाब से (Income Tax Calculator) यह भत्ता आमतौर पर हर महीने 3,200 रुपये की एक निर्धारित राशि के रूप में मिलता है, जो सालाना 38,400 रुपये की एक तय सीमा तक होता है। यह सुविधा केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलती है, जिन्हें शारीरिक रूप से किसी प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह भत्ता कर्मचारियों के लिए यात्रा में सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से होता है।

सैलरी पर भी होगी टैक्स में छूट -


सैलरी पर काम करने वाले लोग अपने फोन और इंटरनेट के खर्च पर कर में छूट (tax exemption) प्राप्त कर सकते हैं। दोनों कर व्यवस्थाओं (New tax regime) में इस खर्च पर कोई सीमा नहीं है, यानी पूरी राशि पर छूट मिल सकती है। इस तरह की जानकारी एक विशेषज्ञ ने दी है, जिन्होंने बताया कि दोनों विकल्पों में कर्मचारियों को अपने टेलीफोन और इंटरनेट बिल पर कर में राहत मिल सकती है, बशर्ते यह खर्च काम से संबंधित हो।

कार लीज पर टैक्स में छूट -


कार लीज एक ऐसा समझौता है, जिसमें आप कार को एक निर्धारित समय के लिए इस्तेमाल करते हैं और मासिक भुगतान करते हैं। समझौते की अवधि समाप्त होने पर, आप कार को वापस कर सकते हैं या उसे खरीद सकते हैं। यह योजना व्यक्तिगत और ऑफिस कामों (income tax new update) के लिए उपलब्ध होती है। इस योजना के तहत, 1.6 लीटर इंजन वाली कार पर कर में 1800 रुपये की एक निश्चित राशि की छूट मिलती है, जो मासिक आधार पर लागू होती है।


NPS से ऐसे मिलता है फायदा -


टेबल के अनुसार दोनों मामलों में, कर योग्य आय 12 लाख रुपये है। इसके अलावा नई कर व्यवस्था के तहत 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (standard deduction)का दावा भी वह करता है तथा आयकर अधिनियम की धारा 80CCD(2) के तहत NPS खाते में नियोक्ता के योगदान का लाभ टैक्स (NPS benefit in tax) अदा करने में मिलता है। इस तरह से कटौती होने पर उसकी कर योग्य आय और कम हो जाती है और कर्मचारी अपनी आय पर कर बचत कर पाता है।

अनुलाभ में ऐसे जुड़ते हैं 900 रुपये- 


अगर कंपनी कार के साथ ड्राइवर भी देती है, तो हर महीने अनुलाभ की राशि में 900 रुपये और जोड़ दिए जाते हैं। अगर कोई व्यक्ति खर्चों के लिए रिइंबर्समेंट (reimbursements) का विकल्प चुनता है, तो उसे कर में छूट मिल सकती है। इससे कर्मचारी की ग्रोस इनकम पर कम टैक्स लगेगा। यह नया तरीका ऐसे खर्चों को कम करने में मदद करता है।


सैलरी स्ट्रक्चर अनुसार इतनी बचेगी टैक्सेबल इनकम -


विवरण            CTC का 30 प्रतिशत मूल वेतन    CTC का 40 प्रतिशत मूल वेतन
ग्रोस सैलरी        16,37,424 रुपये            16,64,959 रुपये
वाहन खर्चे घटाएं        2,40,000 रुपये            2,40,000 रुपये
मोबाइल खर्चे घटाएं        50,000    रुपये            50,000 रुपये
नेट सैलरी        13,47,424 रुपये            13,74,959 रुपये
स्टेंडर्ड डिडक्शन घटाएं      75,000 रुपये            75,000 रुपये
NPS योगदान घटाएं    72,424    रुपये            99,959 रुपये
कुल कर योग्य आय          12,00,000 रुपये            12,00,000 रुपये

समझिए टेबल में दिए गए सैलरी स्ट्रक्चर को-


दो केस स्टडीज के अनुसार वेतन संरचना दी गई है। एक कर्मचारी को अपनी कुल सीटीसी (CTC) पैकेज का 30 प्रतिशत मूल वेतन के रूप में मिलता है, जबकि दूसरे कर्मचारी को CTC (Cost to Company) का 40 प्रतिशत मिलता है। दोनों कर्मचारियों को समय पर बिल जमा कराने पर मोबाइल और यात्रा खर्चों में कटौती मिल रही है। दोनों ही कर्मचारियों ने नई कर व्यवस्था के तहत NPS में योगदान करने पर छूट (tax exemption rules) पाने का विकल्प चुना है। यह छूट 14 प्रतिशत मूल वेतन के आधार पर मिलती है। 


नोट : यहां पर केवल एक निश्चित आय को ही शामिल किया गया है। अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई से मिलने वाला फायदा, इसमें नहीं गिना गया है। देय टैक्स (income tax exemption) ग्रोस इनकम को लेकर तय होता है। अगर आय के अतिरिक्त स्रोतों को जोड़ लिया जाए, तो गणना बदल जाएगी यानी आय के और भी स्रोत हैं तो टैक्स कैलकुलेशन अलग होगी।