ITR Filing : इन लोगों को नोटिस भेज रहा आयकर विभाग, कहीं आपने तो नहीं की ये गलती 

Income tax notice - नौकरी पेशा लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स भरने में ही चला जाता है। ऐसे में वह इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए नए नए तरीके अपनाते हैं। जिसके चलते कई बार ऐसे कदम उठा लेते हैं जिससे बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है। अगर आपने भी ऐसी गलती की है तो इनकम टैक्स विभाग का नोटिस मिल सकता है। आइए नीचे खबर में जानते हैं 

 

HR Breaking News (ब्यूरो)। पिछले साल आयकर विभाग (Income Tax Department) ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कुछ ऐसे कर्मचारियों की पहचान की थी, जिन्होंने टैक्स छूट (Tax Exemption) पाने के लिए झूठी डिडक्शन की थीं। इसके चलते कुछ कर्मचारियों की टैक्स देनदारी कम हो गई तो कुछ की टैक्स देनदारी (Tax Liability) खत्म ही हो गई। इस साल फिर से आयकर विभाग ऐसे लोगों की पहचान करने में जुटा है, ताकि उन्हें नोटिस (Income Tax Notice) भेजकर कार्रवाई की जा सके। आयकर विभाग की तरफ से बार-बार तमाम एंप्लॉयर्स से भी कहा जाता है कि वह कंपनी के कर्मचारियों को झूठे डिडक्शन (ITR Filing False Deduction) करने के खिलाफ चेतावनी देते रहें। 

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इन शहरों में कंपनियों को मिली सूचना

पिछले दिनों में आयकर विभाग की तरफ से बेंगलुरु, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों में स्थित कंपनियों को कुछ सूचनाएं भेजी गई हैं। आयकर विभाग (Income Tax Department) का कहना है कि कंपनी के कर्मचारियों ने फॉर्म-16 से अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम की हैं। ज्यादा डिडक्शन क्लेम करने का मतलब ये नहीं है कि वह झूठी ही हैं, लेकिन इससे एक शक पैदा होता है कि वह झूठी हो सकती हैं।

 

आयकर विभाग भेज सकता है नोटिस

ऐसे मामलों में आयकर विभाग नोटिस (Income Tax Department notice)भेजकर डिडक्शन का प्रूफ मांग सकता है या इनकम का सोर्स पूछ सकता है। अगर आप संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं तो आप पर अतिरिक्त टैक्स देनदारी बन सकती है। यहां तक कि आपको पेनाल्टी भी चुकानी पड़ सकती है और जितने दिन देर से आपसे टैक्स (tax) चुकाते हैं, उसका ब्याज भी चुकाना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

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जब भी कोई कर्मचारी अपने नियोक्ता को टैक्स डिडक्शन क्लेम (Tax Deduction Claim) करते हुए इन्वेस्टमेंट प्रूफ देता है, तो नियोक्ता की जिम्मेदारी उसे आयकर विभाग को सूचित करना होगा है। इनकम टैक्स से जुड़े तमाम प्रूफ, जो कर्मचारी की तरफ से कंपनी में सबमिट होते हैं, उसे नियोक्ता को इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 192 (2डी) के तहत आयकर विभाग को देना होता है। इसी से आयकर विभाग समझ पाता है कि आपने कहां-कहां निवेश किया है। 

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यही जानकारी आपकी फॉर्म-16 (Form-16) में भी होती है। वहीं अगर आप इससे अधिक का टैक्स डिडक्शन लेते हैं तो वह फॉर्म-16 के आंकड़ों से मेल नहीं खाता और आयकर विभाग नोटिस (Income Tax Department notice) भेजकर उस पर आपकी सफाई या सबूत मांग सकता है।