MNC छोड़ शुरू किया कपड़े प्रेस करने का काम, आज करोड़ों में है कमाई

ब्यूटीपार्लर से लेकर खाने तक आजकल लोगों को हर सर्विस घर में लेने की आदत हो चुकी है. इस्तरी पेटी जैसे स्टार्टअप की मालकिन संध्या नांबियार को भी आधुनिक दौर के इस आलस ने घेर लिया था. लेकिन, उनके इस आलस ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी. Aajtak.in से बातचीत में संध्या ने बताया कि
 

ब्यूटीपार्लर से लेकर खाने तक आजकल लोगों को हर सर्विस घर में लेने की आदत हो चुकी है. इस्तरी पेटी जैसे स्टार्टअप की मा‍लकिन संध्या नांबियार को भी आधुनिक दौर के इस आलस ने घेर लिया था. लेकिन, उनके इस आलस ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी. Aajtak.in से बातचीत में संध्या ने बताया कि किस तरह एक दिन जब उन्हें चेन्नई में घर बैठे लांड्री की सर्विस नहीं मिली तो उन्होंने इसी फील्ड में करियर बनाने की ठान ली. एक बड़ी मल्टीनेशनल में एचआर की नौकरी छोड़कर कैसे प्रेस करने का काम शुरू किया. आइए जानें उनके संघर्ष और पूरे सफर की कहानी.

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मूल रूप से केरल की रहने वाली संध्या नांबियार की पढ़ाई-लिखाई मदुरै और कोयंबटूर से हुई है. उन्होंने विजुअल कम्युनिकेशन की पढ़ाई के साथ एचआर में एमबीए किया है. संध्या बताती हैं कि मैं पिछले सात आठ साल से साउथ इंडिया में नामी मल्टी नेशनल कं‍पनी में एचआर (Human Resource) का काम कर रही थी.

वो बताती हैं कि शादी की तो बहुत सारी जिम्मेदारियां आ गई थीं. मेरी कोशिश यही रहती थी कि मेरी जिंदगी सरल ढंग से चले. मुझे हर सर्विस घर बैठे मिल जाए. शनिवार रविवार के दिन भी बाहर न जाना पड़े, या घर में भी ज्यादा काम न हो तो आराम कर सकूं.

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वर्किंग टाइम सुबह नौ से शाम सात बजे था तो कपड़े धोने और प्रेस करने में हमेशा दिक्कत महसूस होती थी. मुझे पार्लर से लेकर क्लीनिंग तक हर सर्विस घर पर मिल रही थी.