PF खातधारकों को फ्री मिलता है 7 लाख का फायदा, जानिए EPFO के नियम
HR Breaking News, Digital Desk- EDLI स्कीम की शुरुआत EPFO की तरफ से 1976 में की गई थी. यदि किसी कारणवश ईपीएफओ सदस्य की मौत हो जाए, तो उसके परिवार को आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से इसे शुरू किया गया था. ये बीमा कवर एकदम मुफ्त में दिया जाता है. EDLI स्कीम के लिए योगदान कंपनी की ओर से किया जाता है.
जानिए क्या है EDLI स्कीम-
EDLI स्कीम की शुरुआत EPFO की तरफ से 1976 में की गई थी. यदि किसी कारणवश ईपीएफओ सदस्य की मौत हो जाए, तो उसके परिवार को आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से इसे शुरू किया गया था. ये बीमा कवर एकदम मुफ्त में दिया जाता है. EDLI स्कीम के लिए योगदान कंपनी की ओर से किया जाता है.
कैसे तय होती है रकम-
बीमा राशि पिछले 12 महीनों की बेसिक सैलरी और डीए पर निर्भर करती है. इंश्योरेंस कवर का क्लेम आखिरी बेसिक सैलरी+DA का 35 गुना होगा. साथ ही क्लेम करने वाले को 1,75,000 तक की बोनस राशि का भुगतान भी किया जाता है.
जब तक नौकरी तब तक इंश्योरेंस कवर-
EPFO सदस्य केवल EDLI योजना द्वारा तब तक ही कवर किया जाता है, जब तक वो नौकरी करता है. नौकरी छोड़ने के बाद उसके परिवार / उत्तराधिकारी / नॉमिनी इसका क्लेम नहीं कर सकते. अगर ईपीएफओ मेंबर लगातार 12 महीनों से नौकरी करता आ रहा है तो कर्मचारी की मृत्यु के बाद नॉमिनी को कम से कम 2.5 लाख तक का लाभ मिलेगा.
नॉमिनेशन नहीं है तो ये होंगे हकदार-
नौकरी करने के दौरान कर्मचारी की बीमारी, दुर्घटना या स्वाभाविक मृत्यु होने पर EDLI को लेकर क्लेम किया जा सकता है. EDLI स्कीम के तहत कोई नॉमिनेशन नहीं हुआ है तो कवरेज मृत कर्मचारी का जीवनसाथी, कुंवारी बच्चियां और नाबालिग बेटा/बेटे लाभार्थी माने जाते हैं.
कैसे करें क्लेम-
यदि EPF सब्सक्राइबर की असमय मौत हो जाती है तो उसके नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी इंश्योरेंस कवर के लिए क्लेम कर सकते हैं. इसके लिए नॉमिनी की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. इससे कम होने पर उसकी तरफ से अभिभावक क्लेम कर सकते हैं. क्लेम करते समय मृत्यु का प्रमाण पत्र, सक्सेशन सर्टिफिकेट जैसे डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है. अगर दावा माइनर के अभिभावक की ओर से किया जा रहा है तो गार्जियनशिप सर्टिफिकेट और बैंक डीटेल्स देने होंगे.