Property Rights : क्या ससुर की संपत्ति में हिस्सा ले सकती है बहू, जानिए कानूनी प्रावधान

Property Rights : आमतौर पर प्रापर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है. इसी कड़ी में आज हम आपको अपनी इस खबर में बता दें कि आखिर क्या ससुर की संपत्ति में बहू हिस्सा ले सकती है या नहीं... आइए नीचे खबर में जान लेते है इससे जुड़ा कानूनी प्रावधान-

 

HR Breaking News, Digital Desk- (Property Knowledge) पैतृक संपत्ति पर दावा और हकदारों को लेकर अक्सर लोग भ्रमित रहते हैं, खासकर जब संपत्ति पिता या ससुर की हो. समय के साथ संपत्ति के नियम-कायदे और कानून बदलते रहते हैं. कौन संपत्ति का हकदार है और कौन उस पर दावा कर सकता है, यह जानना महत्वपूर्ण है.

संपत्ति कानूनों की कम जानकारी से अक्सर विवाद होते हैं, खासकर जब बात बहू के अधिकारों की आती है. ससुराल के घर और संपत्ति में बहू का क्या हक है, इसे लेकर कई गलतफहमियां हैं. आज हम आपको भारतीय कानून के अनुसार बहू के ससुराल की संपत्ति में अधिकारों के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि ऐसी उलझनें कम हो सकें.

ये तो सभी को पता है कि सुरक्षा कानून ने महिला को पति के साथ घर में रहने का अधिकार दिया है. यह अधिकार महिला के गुजारा भत्ते (alimony) और मानसिक शारीरिक हिंसा से बचाव के अधिकार के अलावा है. लेकिन पति की संपत्ति में पत्नी के अधिकारों से संबंधित मुद्दा भी संपत्ति बंटवारे से जुड़ा एक अहम मुद्दा है. पति और ससुराल की संपत्ति में पत्नी का कोई हक है या नहीं और इससे जुड़े कानूनी प्रावधान क्या हैं.

क्या है कानूनी प्रावधान-
यदि किसी व्यक्ति ने अपनी मेहनत से कोई संपत्ति (जैसे जमीन, मकान, पैसे या गहने) अर्जित की है, तो उस पर पूरी तरह से उसी व्यक्ति का अधिकार होता है जिसने उसे कमाया है. वह उस संपत्ति (property) को बेच सकता है, गिरवी रख सकता है, वसीयत कर सकता है या दान भी दे सकता है. इस संबंध में सभी कानूनी अधिकार उसी व्यक्ति के पास सुरक्षित रहते हैं, चाहे उसकी शादी हो चुकी हो या नहीं.

बहू का सास-ससुर की संपत्ति पर अधिकार-
सामान्यतः, सास-ससुर की संपत्ति (property of parents-in-law) पर महिला का कोई अधिकार नहीं होता है, न उनके जीवित रहते और न ही उनकी मृत्यु के बाद. संपत्ति पर पहला अधिकार पति का होता है. हालांकि, यदि पति की मृत्यु पहले हो जाती है और फिर सास-ससुर का देहांत (death of mother-in-law) होता है, तो उनकी संपत्ति पर महिला का अधिकार स्थापित हो जाता है.

इसके लिए यह जरूरी है कि सास-ससुर नें संपत्ति संबंधी वसीयत (Mother-in-law and father-in-law's property will) बनाकर उसे किसी और को ना दिया हो. यहां तक कि बेटा भी माता-पिता के घर में तभी तक रह सकता है, जब तक कि माता-पिता की अनुमति हो. वह इसमें रहने के लिए कानूनी अधिकार (legal rights) का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. यह उस स्थिति में, जब तक कि पिता ने स्वयं उक्त संपत्ति खरीदी हो.